प्राइवेट प्रैक्टिस में लिप्त रहने वाले डॉक्टरों को, बचाने में लगे हैं महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा

लखनऊ :  गोरखपुर मेडिकल कालेज में लापरवाही या आक्सीजन की कमी से हुई बच्चो की मौत के बाद मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ ने मेडिकल कालेज जाकर व्यवस्था का जायजा लिया था।  महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा केके गुप्ता  दिनांक 13 अगस्त को  गोरखपुर में ही मौजूद थे।

‘इंडिया संवाद’ ने महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा केके गुप्ता से प्रेस वार्ता के समय यह प्रश्न किया कि आप उन डॉक्टरों के विरुद्ध क्या कार्यवाही करेंगे जो नौकरी में होते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस से अपनी जेब गर्म करते रहते है? महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा केके गुप्ता ने तुरंत ही बड़ी बेबाकी से जवाब दिया कि आप लोग समाज के जिम्मेदार प्रहरी है,आप प्राइवेट प्रैक्टिस करने वालो के बारे में सबूत लाकर दे। अगर उनपर मैं कार्यवाही न करूं तो मेरा नाम बदल दीजिएगा। उनके द्वारा दो बार यह वचन दिया गया।

आपको बता दे कि  29 व 30 अगस्त को   Zee न्यूज़ ने गोरखपुर और कुशीनगर में सरकारी डॉक्टरों द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस द्वारा रुपयों से जेबे भरने का स्टिंग ऑपरेशन का प्रसारण किया था।  Zee न्यूज़ के रिपोर्टर राहुल सिन्हा स्वंम मेडिकल कालेजों के उन डॉक्टरों के पास मज़दूर बनकर पहुंचे थे जो प्राइवेट प्रैक्टिस में लिप्त थे।गोरखपुर  मेडिकल कालेज के तीन डॉक्टर्स  के अलावा कुशीनगर के उप मुख्य  चिकित्सा अधिकारी डॉ ताहिर अली को प्राइवेट प्रैक्टिस में बकायदा लिप्त पाया था।न्यूज़ चैनल ने दावा किया है कि उनके पास सरकारी डॉक्टर्स के हस्त लिखित पर्चे और वीडियो रिकार्डिंग मौजूद है जिसे वे राज्य सरकार और केंद्र सरकार के संबंधित अधिकारियो को देने को तैयार है। उन्होंने डॉक्टर्स की हैंड राइटिंग की फॉरेंसिक जांच कराए जाने की भी बात कही है।

30 अगस्त को ‘इंडिया संवाद’ ने मुख्य मंत्री योगी द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस करने वालो के विरुद्ध कार्यवाही की रिपोर्ट प्रकाशित की तो उसी दिन से इन प्राइवेट प्रैक्टिस करने वालो ने अपने घर या नर्सिंग होम पर आने वाले मरीजो को बेदर्दी से लौटना शुरू कर दिया था।

इस न्यूज़ के बाद महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा केके गुप्ता से बराबर फोन पर सम्पर्क करने का प्रयास किया गया। आज इंडिया संवाद ने सीधे महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा के कार्यालय जाकर उनसे संपर्क किया और उन्हें गोरखपुर में उनके द्वारा दिये गए आश्वासनों की याद दिलाई गई तो उन्होंने बाते पलटना शुरू कर दी। केके गुप्ता का कथन था कि ऐसे स्टिंग ऑपरेशन तो हमेशा होते रहते है। मरीज के बयान का भी सबूत लाइए तो मैं कार्यवाही करूंगा, क्योंकि आगे मामले जब कोर्ट में जाते है तो मीडिया वालो के सबूत  वहां प्रस्तुत नही हो पाते है। निश्चचित रूप से महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा के के गुप्ता  Zee न्यूज़ के स्टिंग ऑपरेशन को प्रमाणित नही मानते,जो दो दिन तक प्रसारित किया गया। यदि इसे एक बार भी देखा होता तो उन्हें यह पता चल जाता कि पत्रकार स्वंम मरीज़ बन कर ही गया था और उससे बड़ा कोई सबूत नही हो सकता।

अब प्रश्न यह है की जब महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा के पद पर बैठे हुए अधिकारी जब स्टिंग ऑपरेशन को ही सबूत नही मानते है तो इतने बड़े महकमे में किये जा रहे भ्र्ष्टाचार में लिप्त किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध प्राप्त सबूतों को किस प्रकार मानेंगे। यह स्पष्ट रूप से प्रमाणित करता है कि महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा के अधीन गलत काम करने वाले सभी  व्यक्तियों से महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा की साठ गाँठ रहती है और उन्हें उसका पर्याप्त लाभ भी मिलता होगा।

 

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