नई दिल्ली:बजट 2021 में फार्मा सेक्टर 124 करोड़ रुपए फार्मा उद्योग ने इस वृद्धि को ‘मात्र एक औपचारिकता’ करार दिया है.
यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब विभिन्न देशों में दवाओं के प्रमुख आपूर्तिकर्ता होने की वजह से ‘दुनिया की फार्मेसी’ कहे जाने वाले भारत को पिछले साल फरवरी में चीन में कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण आवश्यक दवाओं की कमी का सामना करना पड़ा था.
सरकारी दस्तावेज़ों के अनुसार, ‘फार्मास्युटिकल उद्योग विकास’ योजना को मजबूती देने के लिए रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत आने वाले फार्मास्यूटिकल्स विभाग के बजट में 200 फीसदी की वृद्धि की गई है जो कि 34.05 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमानों (वर्ष 2020-21 में) के मुकाबले 124.42 करोड़ रुपये किया गया है.
गैर-महामारी वर्ष 2019-2020 में इस योजना के तहत 3.29 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया था, हालांकि, 2020-21 के वित्तीय वर्ष में योजना को मजबूती के लिए 42.05 करोड़ रुपये दिए गए.
योजना के तहत आवंटित राशि का उपयोग विभिन्न महत्वपूर्ण योजनाओं में निवेश के लिए किया जाएगा जिसमें महत्वपूर्ण की स्टार्टिंग मैटीरियल (केएसएम), मध्यवर्ती दवाएं और एक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रेडिएंट (एपीआई) के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) से जुड़ी योजनाएं शामिल हैं. दवा की गोलियों को तैयार करने के लिए केएसएम, एपीआई और मध्यवर्ती दवाओं जैसे कच्चे माल की जरूरत पड़ती है.