भीम सेना ने जंतर-मंतर पर दिखाई ताकत, चंद्रशेखर ने एक पाठशाला से शुरू किया था संगठन का सफर

विनय रत्न सिंह और चंद्रशेखर ने 2015 में कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। आम युवाओं की तरह रोगजार खोजने के बजाय उन्होंने अपने लिए अलग राह चुनी। दोनों ने अपने समाज के उत्थान के लिए काम करने का फैसला किया। दलित संगठन भीम सेना के सह-संस्थापक सिंह कहते हैं, “21 जुलाई को हमने भीम सेना की पहली बैठक की। हमने तय किया कि हम अपने इलाके में एक पाठशाला शुरू करेंगे और अपने बच्चों को शिक्षित करेंगे।”

फतेहपुर भादो गांव में दो साल पहले शुरू की गयी इस पाठशाला से दो साल पहले शुरू हुआ सफर अब 350 पाठशालाओं तक पहुंच चुका है। भीम सेना न केवल फतेहपुर बल्कि मुजफ्फरनगर, शामली और मेरठ में भी पाठशालाएं चलाती है। सिंह कहते हैं, “सहारनपुर के छुटमलपुर इलाके में एएचपी कॉलेज के पास ठाकुर समुदाय के कुछ लोगों ने कुएं से पानी पीने पर दलितों की पिटाई कर दी थी। जब हमने प्रशासन के सामने मामला उठाया तो हम धमकियां मिलने लगीं। लेकिन हम झुके नहीं। जातिगत भेदभाव के अलावा महिलाओं के संग दुर्व्यवहार होने पर हम प्रशासन के सामने मामला उठाते हैं और न्याय पाने के लिए प्रदर्शन करते हैं।”

 

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