मुंगेर की AK-47 रायफल दिल्‍ली में 2 से 2.5 लाख रुपये में मिल रही है

हथियार और बिहार के मुंगेर का 200 साल से भी ज्यादा पुराना और गहरा नाता बताया जाता है. कहते हैं कि मीर कासिम ने मुंगेर को हथियार बनाने का मुख्यालय बनाया था. आजादी के बाद भी ये प्रथा जारी रही. हथियार बनाने के कुछ अाधिकारिक कारखाने भी मुंगेर में लगे. हथियार बनाने की बेहतरीन कारीगरी यहां के लोगों के खून में बताई जाती है. लेकिन अब बिहार के मुंगेर में बने कट्टे और पिस्टल ने देशभर की पुलिस की नींद हराम कर दी है. खासतौर पर मुंगेर मेड एके-47 रायफल. यहां धड़ल्ले से कट्टे-पिस्टल के साथ अब एके-47 रायफल भी बन रही है.

परेशानी की बात ये भी है कि बड़ी ही आसानी से एके-47 जैसे हथियार बड़े-बड़े अपराधियों के हाथों में भी पहुंच रहे हैं. मुंगेर अब देशी एके-47 रायफल को लेकर चर्चाओं में है. यहां की बनी एके-47 रायफल अपराधियों को 2 से 2.5 लाख रुपये में आसानी से दिल्ली में मिल जा रही है. मुंगेर में बनी एके-47 रायफल पर रोशनी डालती है न्यूज18 हिन्दी की ये रिपोर्ट.

रेलवे के लोहे से मिलती है एके-47 को गुणवत्ता

मुंगेर में बनी एके-47 रायफल की अपनी ही एक खासियत है. अवैध हथियारों के बाजार में हथियारों को चलाते वक्त उनके फटने का खतरा ज्यादा रहता है. यहां तो फिर बात एके-47 की थी. लेकिन  मुंगेर के कारीगरों ने इसे भी कामयाब बना दिया.


बताया जाता है कि मुंगेर के पास जमालपुर में रेलवे का वर्कशॉप है. ये सभी जानते हैं कि रेलवे अपने यहां उम्दा किस्म का लोहा इस्तेमाल करता है. और हथियार बनाने के लिए भी उम्दा किस्म के लोहे की जरूरत होती है. जमालपुर के वर्कशॉप से अवैध तरीके से  लोहा बाहर लाया जाता है. रेलवे के लोहे से बने हथियार काफी उम्दा होते हैं. देश में कहीं और बने हथियार से मुंगेर के हथियार की क्वालिटी ज्यादा अच्छी होती है. यही वो बात है जिस वजह से मुंगेर में बने हथियार की डिमांड बहुत ज्यादा है.

फैक्ट्री की छंटनी ने दिया अवैध कारखाने में काम का मौका

जानकारों की मानें तो बिहार में और खासतौर से मुंगेर के आसपास बड़ी संख्या में अधिकारिक हथियार बनाने की फैक्ट्री लगाई गईं थी. लेकिन कुछ समय बाद ये फैक्ट्रियां घाटे में चलने लगीं या दूसरे कारणों से इन पर मंदी का असर पड़ने लगा. नतीजा ये हुआ कि फैक्ट्री से कर्मचारियों की छंटनी होने लगी.

सूत्र बताते हैं कि फैक्ट्री के बड़े अच्छे-अच्छे कारीगर एक ही झटके में फैक्ट्री से निकाल दिए गए. मौके का फायदा उठाते हुए अवैध हथियारों के काम में लगे लोगों ने ऐसे कारीगरों को हाथों-हाथ लपक लिया. ये वो कारीगर थे जो अधिकारिक फैक्ट्रियों में आधुनिक हथियार बड़ी ही सफाई से बना रहे थे.

मानजी है एके-47 रायफल बनाने वाला कारीगर

कहा जाता है कि इस वक्त मुंगेर में जितनी भी एके-47 रायफल बन रही हैं उसके पीछे मास्टर माइंड मानजी का दिमाग और उसके हाथों की कलाकारी है. बताया जाता है कि मानजी भी दूसरे कारीगरों की तरह से एक अधिकारिक कंपनी से छंटनी का शिकार हुआ था. फैक्ट्री से निकाले जाने के बाद कुछ दिन तक मानजी यहां-वहां बेरोजगार घूमता रहा. लेकिन एक दिन वह अचानक से गायब हो गया.

बाद में मालूम हुआ कि मानजी अवैध हथियार बनाने वाले एक कारखाने में काम कर हरा है. बताया जाता है कि वर्ष 2014 में इसी कारखाने की बनी एके-47 रायफल दिल्ली में पकड़ी गई थी. पकड़े गए लोगों ने एके-47 बनाने वाले कारीगर के रूप में मानजी का नाम बताया था.

सस्ती इतनी कि हर कोई चाहता है एके-47

अगर विदेश में बनी एके-47 रायफल की बात करें तो सूत्रों के अनुसार अवैध तरीके से ये रायफल 5 लाख रुपये से अधिक कीमत में ही मिलती है. जबकि मुंगेर में बनी एके-47 रायफल बिहार से निकलकर दिल्ली या उसके आसपास के क्षेत्रों में 2 से 2.5 लाख रुपये में मिल जाती है.

इतना ही नहीं एक एके-47 रायफल खरीदने पर मैगजीन, ट्रिगर स्प्रिंग और ग्रिप हैंडल फ्री में दिए जाते हैं. इसके साथ ही एके-47 बेचने वाले ही उसके लिए गोलियां भी मुहैया कराते हैं.

ये है मुंगेर में बनी एके-47 की खासियत

– विदेशी एके-47 रायफल की तरह से मुंगेर में बनी एके-47 भी उच्च गुणवत्ता के गैस चैंबर और स्प्रिंग के चलते एक मिनट में 600 गोलियां फायर करती है.

– विदेशी एके-47 की तरह से मुंगेर की बनी एके-47 भी 300 से 400 मीटर तक फायर करती है.

– वजन में भी विदेशी एके-47 जितनी 4.5 किलो की होती है.

राजनीतिक हत्याओं में इस्तेमाल हो रही है मुंगेर की एके-47

जानकारों की मानें तो मुंगेर की बनी एके-47 का इस्तेमाल राजनीतिक हत्याओं में भी खूब हो रहा है. बिहार में लोजपा नेता की हत्या का मामला हो या फिर भाजपा नेता ब्रजलाल तेवतिया और पूर्व एमएलए रामवीर शौकीन की हत्या, हर एक मर्डर के पीछे वारदात को अंजाम देने वाला हथियार एके-47 रायफल थी.

खास बात ये है कि जांच में सामने आया था कि हत्या के लिए जिस एके-47 का इस्तेमाल किया गया है वह मुंगेर की बनी हुई है.

 

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