मुझे नौकरी चाहिए होती तो अरुण जेटली वित्त मंत्री न होते: यशवंत सिन्हा

अर्थव्यवस्था की हालत पर देश के पूर्व एवं मौज़ूदा वित्त मंत्रियों (यशवंत सिन्हा और अरुण जेटली) के बीच बयानबाज़ी जारी है. जेटली ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में किसी का नाम लिए बिना सिन्हा को ‘नौकरी (केंद्र में वित्त मंत्री के पद की तरफ इशारा) का आवेदक’ बताया. इसके कुछ ही देर बाद सिन्हा ने कहा, ‘अगर मैं नौकरी का आवेदक होता तो उनका (जेटली) नंबर पहले नहीं आता. वे वित्त मंत्री न होते.’

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सिन्हा ने देश की अर्थव्यवस्था की ख़राब हालत के लिए जेटली को ज़िम्मेदार ठहराने वाले बुधवार के अपने आलेख का भी बचाव किया. उन्होंने कहा, ‘जो लोग कहते हैं कि यह मेरा किसी (जेटली) पर निजी हमला है तो ऐसा नहीं है. अगर बात अर्थव्यवथा की होगी तो ज़ाहिर है कि वित्त मंत्री को ही उसका उत्तरदायी ठहराया जाएगा. गृह मंत्री को तो नहीं. लेकिन वे (मोदी सरकार) मेरे बेटे को मेरे ख़िलाफ तैनात कर मुद्दे को ढंकने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में मैं भी निज़ी (आरोप-प्रत्यारोप) के स्तर पर उतर सकता हूं. लेकिन मैं इस जाल में फंसूंगा नहीं.’

इससे पहले जेटली ने बिबेक देबोरॉय और अशोक मलिक की लिखी किताब ‘इंडिया@70, मोदी@3.5:: कैप्चरिंग इंडियाज़ ट्रांसफॉरमेशन अंडर नरेंद्र मोदी’ के लोकार्पण के मौके पर सिन्हा पर हमला किया था. उन्होंने कहा था, ‘इस किताब का नाम ‘इंडिया@70, मोदी@3.5 एंड जॉब एप्लीकेंट@80’ होना चाहिए.’ फिर उन्होंने सीधे पूर्व वित्त मंत्रियों (पी चिदंबरम और सिन्हा) को निशाने पर लिया. और कहा, ‘मेरे पास पूर्व वित्त मंत्री होने की सुविधा नहीं है. और न ही पूर्व वित्त मंत्री से कॉलमिस्ट हो जाने की सुविधा है कि मैं आसानी से नीतिगत जड़ता की स्थिति को भूल सकूं. यह भूल सकूं कि 1998-2002 (सिन्हा का कार्यकाल) के बीच बैंकों के फंसे कर्ज़ का बोझ 15 फीसदी हो गया था.’

 

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