यातायात माह बना मज़ाक -नंबर प्लेटों पर कहीं मूछें तो कहीं पार्टियों के नाम

एक नवंबर से प्रदेश में यातायात जागरूकता माह चल रहा है लेकिन पुलिसकर्मियों के काम करने के तरीकों में कोई सुधार (improvement) आता नहीं दिख रहा है। कहीं सत्ता की हनक तो कहीं रसूख दिखाने की होड़ ने प्रदेश में यातायात नियमों का मजाक बना दिया है। राजनीतिक पार्टियों के रंगों पर लिखीं डिजाइनर नंबर प्लेटें न सिर्फ व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रही हैं बल्कि अनहोनी को भी आमंत्रण दे रही हैं। राजधानी लखनऊ समेत कई शहरों में इसी तरह से यातायात  नियमों का मखौल उड़ रहा है।

नम्बर प्लेट की जगह हैं राजनीतिक दलों के स्टिकर 

लोग सरेआम स्टिकर अपनी मोटर साइकिलों की नम्बर प्लेटों पर राजनीतिक दलों के नाम के स्टिकर लगा कर घूम रहे हैं। लाल-हरी प्लेटों पर कहीं गोल्डन तो कहीं सफेद रंग से लिखे नंबर दिखें या न दिखें, इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। हालाँकि, सड़क पर सुरक्षित सफर के साथ ही यातायात नियमों के पालन पर जोर दिया जा रहा है।

जहाँ एक तरफ नियमों का उल्लंघन करने पर यातायात पुलिस वाहन चालकों के चालान और वाहन सीज कर रही है वहीं, दूसरी तरफ पुलिस चंद रुपये लेकर वाहनों को छोड़ भी देती है। वाहनों की नंबर प्लेट को लेकर पुलिस में कोई सक्रियता नहीं है ।

अनोखी तरीके से बनाते हैं नम्बर प्लेट

विभागीय चुप्पी का ही परिणाम है कि डिजाइनर नंबर प्लेटों का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। नंबर प्लेटों से छेड़छाड़ में दुपहिया वाहन सबसे आगे हैं। राजनीतिक पार्टियों के रंगों से पुती प्लेटों पर डिजाइन में कहीं राम लिखा है तो कहीं यादव और सपा।

कई गाड़ियां तो ऐसी हैं जिनकी प्लेटों पर लिखे नंबरों को आसानी से समझ पाना भी आसान नहीं है। ऐसे ही नियमों की अनदेखी से ही हादसे होते हैं। प्रत्येक वाहन चालक को सड़क सुरक्षा के मानकों का ध्यान रखना चाहिए। कल को अगर कोई हादसा होता है तो बिना गाड़ी के नम्बर की वजह से अपराधी आसानी से बच निकल जायेंगे।

 

read more at-