ये है यूपी के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट – जिनके आगे चारो खाने चित हुए अपराधी

उत्तर प्रदेश पुलिस के एनकाउंटर की खबरें इन दिनों देश भर में गूंज रही है, ऐसा नहीं है कि प्रदेश में पहली बार एनकाउंटर किए जा रहे हैं लेकिन कई सालों से सफेदपोश आकाओं की वजह से यूपी पुलिस चाहकर भी बदमाशों पर कड़ा एक्शन नहीं ले पा रही थी। जिसके बाद सत्ता बदली, सीएम बदले और बदला गया पुलिस का मिजाज..वही यूपी पुलिस जो बदमाशों के आगे पीछे भागती फिर रही थी आज वही खाकी या तो बदमाशों को ढेर कर रही है तो खुद बदमाश पुलिस से पनाह मांगते फिर रहे हैं। तो चलिए जब बात एनकाउंटर की हो रही है तो आपको बताते हैं सूबे के कुछ ऐसे पुलिस अधिकारियों के बारे में जिन्होंने एनकाउंटर करके अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

यूपी पुलिस में ऐसे कई बहादुर अफसर हैं जिन्होंने जयारम की दुनिया के कई आकाओं को मटियामेट करके उन्हें या तो दुनिया से अलविदा कर दिया या फिर उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। हम आपको ऐसे कुछ बहादुर आईपीएस अफसरों के नाम बताते हैं जिन्होंने यूपी पुलिस के नाम को रौशन किया है।

आईपीएस दलजीत चौधरी

 

आईपीएस दलजीत चौधरी

दलजीत चौधरी 1990 बैच के आईपीएस अफसर हैं, दलजीत चौधरी को इटावा और उनके आस-पास के चंबल के जंगलों में दस्यु के आतंक के खात्मे के लिए विशेष तौर पर जाना जाता है। दलजीत चौधरी अबतक लगभग 50 एनकाउंटर कर चुके हैं। उन्हें उनकी बहादुरी के लिए पांच बार गैलेंट्री एवार्ड (वीरता पुरस्कार) दिया जा चुका है। दलजीत चौधरी जब इटावा के एसपी और कानपुर रेंज के डीआईजी थे तो उनके कार्यकाल में 50 से ज्यादा बार उनकी खूंखार डकैतों से आमना-सामना हुआ। जिसमें बड़ी तादात में डाकू मारे गए। जबकि काफी संख्या में डकैतों ने आत्मसमर्पण भी किया। आईपीएस दलजीत चौधरी ने अभी कुछ ही महीने पहले लखनऊ में आतंकी सैफउल्लाह का एनकाउंटर किया था। यही नहीं वह यूपी एसटीएफ और कई जिलों के कप्तान भी रह चुके हैं। दलजीत चौधरी पूर्व की समाजवादी पार्टी की सरकार में उत्तर प्रदेश के एडीजी एलओ (अपर पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था) भी रह चुके हैं।

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आईपीएस नवनीत सिकेरा

आईपीएस नवनीत सिकेरा

उत्तर प्रदेश में नवनीत सिकेरा का नाम एक जांबाज अफसर के तौर पर जाना जाता है। वह यूपी के एटा जिले से ताल्लुक रखते हैं। सरकार जाहे जो भी उनके पास एक बड़ा दायित्व रहता है। नवनीत सिकेरा 1996 बैच के आईपीएस अफसर हैं। नवनीत सिकेरा एक किसान के बेटे हैं। नवनीत सिकेरा के नाम सबसे बड़ी उपलब्धि यूपी में 1090 की सफलता है। पूर्व की अखिलेश यादव सरकार ने 1090 की जिम्मेदारी नवनीत सिकेरा को दी और उन्होंने इस सेवा को इतना बेहतर बना दिया कि देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी इसकी तारीफ हुई। नवनीत सिकेरा भी उन अफसरों में शामिल हैं जिन्होंने बड़े-बड़े बदमाशों को ढेर किया है। नवनीत सिकेरा अब तक 60 से ज्‍यादा एनकाउंटर कर चुके हैं। सिकेरा ने ही कुख्यात गैंगस्टर रमेश कालिया के आतंक को खत्‍म किया था। नवनीत सिकेरा की अगुवाई में पुलिस ने बारातियों का वेश बदलकर रमेश कालिया को मौत के घाट उतारा था। यूपी में एक ऐसा भी वक्‍त था जब बाहुबलियों और कुख्‍यात अपराधियों के सताए लोग थाने के बजाय नवनीत सिकेरा के पास पहुंचते थे और वह उन लोगों को अपराधियों से बचाते थे। सिकेरा जहां भी रहे वहां अपराध की रोकथाम की वजह से वह जनता के चहेते अफसर रहे। मेरठ, बनारस, मुजफ्फरनगर जैसे इलाकों में उन्‍होंने जरायम की दुनिया को शांत कर दिया था। जिलों की कप्‍तानी के बाद उन्‍होंने खुद को महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों की ओर केंद्रित कर लिया।

 

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आईपीएस अमिताभ यश

आईपीएस अमिताभ यश

आईपीएस अमिताभ यश 1996 बैंच के आईपीएस अफसर हैं। अपने सेवाकाल की आधी सर्विस एसटीएफ में रहकर उन्‍होंने करीब तीन दर्जन से ज्‍यादा यानि की 36 से भी ज्यादा अपराधियों को मार गिराया। अमिताभ यश अब तक 60 से ज्यादा एनकाउंटर कर चुके हैं। यही नहीं दुर्दांत डांकू और आतंक का प्रयाय बन चुके ददुआ का एनकांउन्टर, 4 अगस्त 2007 को चित्रकुट, बांदा सहित कई जिलों में लोगों का जीना हराम कर चुके ठोकिया का सफाया किया। 19 मार्च 2008 को फतेहपुर में उमर केवट को उनके अंजाम तक पहुंचाकर यूपी पुलिस का नाम रौशन किया। अमिताभ यश वर्तमान में यूपी एसटीएफ के आईजी पद पर तैनात हैं। वह मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं।

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एसएसपी अनंत देव

एसएसपी अनंत देव

एसएसपी अनंत कुमार तिवारी 1986 बैच के पीपीएस अफसर हैं। 2006 में वो प्रमोट होकर आईपीएस बने और अबतक कई जिलों के कप्तान भी रह चुके हैं। एसएसपी अनंत देव अबतक 60 से ज्यादा एनकाउंटर कर चुके हैं। अनंत देव के नाम सबसे बड़ी उपलब्धि पुलिस की वर्दी पहनकर पुलिसवालों की हत्या करने वाले ठोकिया गैंग का सफाया करने का है। यही नहीं ठोकिया गैंग के सरगना को भी अनंत देव ने भी ढेर किया था। ददुआ के मरने के बाद बीहड़ों में सिर उठाने वाले नए-नए बदमाशों का सफाया भी अनंत देव ने किया है। अनंत देव को कई वीरता पुरस्कार मिल चुका है।

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एसएसपी राजेश पांडेय

एसएसपी राजेश पाण्डेय

राजेश पांडेय मूल रूप से इलाहाबाद जिले के रहने वाले हैं। राजेश पांडेय 1989 में प्रदेश पुलिस सेवा यानी पीपीएस की परीक्षा पास कर डीएसपी बने। जब वर्ष 1997-1998 में यूपी एसटीएफ का गठन हुआ, तब वे लखनऊ में सीओ हजरतगंज के रूप में तैनात थे। एसएसपी राजेश पांडेय ने ही कुख्यात सरगना श्रीप्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर किया था। कुख्यात माफिया श्री प्रकाश शुक्ल ने पूर्व सीएम कल्याण सिंह की सुपारी ले ली थी। उसके बाद प्रदेश में एसटीएफ का गठन किया गया। राजेश पांडेय अब तक 50 से अधिक अपराधियों को मौत के घाट उतार चुके हैं। एसएसपी राजेश पांडेय को वीरता के लिए तीन बार राष्ट्रपति पदक से नवाजा जा चुका है। राजेश पांडेय ने भी कुख्यात माफिया बबलू श्रीवास्तव को कोलकाता से गिरफ्तार किया था। इस दौरान मुठभेड़ में चार बदमाश ढेर हुए थे। वाराणसी ब्लास्ट में शामिल आतंकवादी सलार को भी राजेश पाण्डे ने ढेर किया था।

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आईपीएस असीम अरुण

आईपीएस असीम कुमार अरुण

आईपीएस असीम कुमार अरुण वर्ष 1994 बैच के आईपीएस अफसर हैं। पुलि‍स महकमें में बेहद तेज-तर्रार पुलि‍स अफसरों में गि‍ने जाने वाले आईपीएस असीम कुमार अरुण का जन्‍म 3 अक्‍टूबर 1970 को बदायूं जिले में हुआ। असीम अरुण के पि‍ता श्रीराम अरुण भी भारतीय पुलि‍स सेवा में आईपीएस ऑफि‍सर रह चुके हैं। वहीं मां शशि अरुण जानी-मानी लेखि‍का और समाजसेवि‍का हैं। लखनऊ में हुए ठाकुरगंज स्थित हाजी कॉलोनी में आईएसआईएस आतंकी सैफुल्‍लाह को असीम अरुण की टीम ने ढेर किया था। इस वक्त वह यूपी एटीएस के आईजी पद पर तैनात है। साल 1994 में भारत की प्रति‍ष्‍ठि‍त पुलि‍स सेवा आईपीएस के लि‍ए चयनि‍त होने के बाद असीम ने टि‍हरी गढ़वाल, बलरामपुर, हाथरस, सिद्धार्थ नगर, अलीगढ़, गोरखपुर व आगरा में बतौर जनपद पुलि‍स कप्तान अपनी सेवा दी है। इतना ही नहीं साल 2002-03 में असीम अरुण को संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की ओर से कोसोवो में पुलि‍स कार्य करने के लि‍ए भेजा जा चुका है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र व एसपीजी के कार्य तथा अवकाश के दौरान देश के सभी राज्यों व 20 देशों की यात्रा प्रशिक्षण का भी अवसर इस तेज तर्रार आईपीएस को मि‍ल चुका है। आईपीएस असीम कुमार अरुण, एनएसजी के पुलि‍स कमांडो कोर्स मानेसर सहि‍त सीबीआई की साइबर अपराध वि‍वेचना अकादमी गाजि‍याबाद में भी अपनी सेवा दे चुके हैं।

 

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