योगी के कौन-कौन मंत्री ट्रांसफर-पोस्टिंग से कमा रहे माल, PMO ने IB से मांगी रिपोर्ट

नई दिल्लीः यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भले ही ईमानदार छवि हो। जनता का पैसा न तो करोडों की लग्जरी कार खरीदने में और न ही आलीशान बंगले में सुख-सुविधाओं के लिए उन्हें लुटाना पसंद है,  मगर उनके ही कुछ मंत्रियों का आचरण एकदम विपरीत है। भगवा सरकार में भी उनका ढर्रा सपा-बसपा सरकार के मंत्रियों जैसा हैं। खबर है कि लखनऊ में एक बार फिर से ट्रांसफर-पोस्टिंग के धंघे की शुरू हुई सुगबुगाहट ने  पीएमओ तक हलचल मचा दी है।

नई सरकार में भी ट्रांसफर-पोस्टिंग की पोल खोली है तैनाती में पैसे की डीलिंग से परेशान दो अफसरों की गुमनाम चिट्ठियों ने। पैसे न देने पर इऩ अफसरों को साइडलाइऩ कर दिया गया।

पीएमओ को भेजी शिकायत में अफसरों ने कहा है कि उन्हें नई सरकार में स्वच्छ व्यवस्था की उम्मीद थी। मगर,  निजी सचिव और अन्य करीबियों के जरिए मंत्री महकमे में क्लास वन और टू अफसरों की पोस्टिंग के लिए रेट फिक्स कर दिए हैं। ये वही रेट हैं, जो सपा सरकार में चलते थे। पैसे देने पर साइडलाइन चल रहे दागियों को भी मलाईदार कुर्सियां हासिल हो जा रहीं।

खास बात है कि अफसरों की शिकायत में जिन मंत्रियों का जिक्र है, वे  चुनाव से पहले भगवा लहर देख नए-नए भाजपाई बने और भाग्य ने साथ दिया तो मंत्री पद के साथ मलाईदार महकमे भी हासिल हो गया। और अब मौका मिलते ही लूट-खसोट शुरू कर दिए। जिससे योगी सरकार की छवि पर बट्टा लगना तय है। और अगर ऐसा हुआ तो मोदी के मिशन 2019 को पलीता लग सकता है।

बहरहाल शिकायतों को  संज्ञान में लेते हुए पीएमओ ने इंटेलीजेंस ब्यूरो को योगी सरकार में संदिग्ध आचरण वाले मंत्रियों का काला-चिट्ठा तैयार करने को कहा  है। इंडिया संवाद से आइबी के वरिष्ठ अधिकारी ने इस आदेश की पुष्टि की, हालांकि और डिटेल्स देने से मना कर दिया।

आइबी की क्यों ले रहा पीएमओ मदद

यूपी में संगठन और सरकार से मोदी को पिछले एक महीने से गोपनीय फीडबैक सही और सटीक रूप से मिलना बंद हो गया। कहा तो यह भी जा रहा है कि संगठन मजबूत करने के लिए जिनके कंधों पर जिम्मेदारी है, वे भी ट्रांसफर-पोस्टिंग के धंधे में फीलगुड करने में लग गए। इसे देखते हुए मोदी और उनकी टीम ने पीएमओ के जरिए आइबी को मौखिक रूप से आदेश दिया कि वह योगी सरकार के कुछ खास मंत्रियों की हरकतों पर नजर रखे।

बता दें कि योगी सरकार के काम की मानीटरिंग के लिए मोदी ने पीएमओ में भी बकायदा अफसरों का एक सेल स्थापित कर रखा है। यह सेल न केवल योगी सरकार को प्लानिंग में मदद कर रही है, बल्कि मंत्रियों और अफसरों की गतिविधियों की मानीटरिंग भी कर रही है। इसी सेल ने आइबी को यूपी के संबंधित मंत्रियों के खिलाफ लगाया है।

ट्रांसफर-पोस्टिंग वाले अफसरों से आइबी लेगी इनपुट

एक अफसर का कहना है कि योगी सरकार में क्लास वन और टू अफसरों की इधर बीच काफी ट्रांसफर-पोस्टिंग हुई है। चौंकाने वाली बात है कि स्वच्छ शासन के दावे के बावजूद तमाम दागी अफसरों को मलाईदार पटल हासिल हो गए। यह सब संभव हुआ सेटिंग-गेटिंग से।  चुनाव से पहले गैरभाजपाई पृष्ठिभूमि के रहे मंत्रियों ने ट्रांसफर-पोस्टिंग को धनउगाही का जरिया बना लिया। क्योंकि योगी आदित्यनाथ के आदेश के चलते हर अहम प्रोजेक्ट की फाइल उनकी आंखों के सामने से ही गुजरती है।  योगी के संतुष्ट होने पर ही फाइल आगे बढ़ती है। ऐसे में किसी प्रोजेक्ट और ठेका देने में कमाई की गुंजाइश कम दिख रही। जिससे सपा-बसपा से दलबदलकर मंत्री बने लोग अब ट्रांसफर-पोस्टिंग में ही कमाई की गुंजाइश देख रहे हैं।

चिट्ठियों ने खोल दिया रेट

चिट्ठियों में क्लास वन के अफसरों की तैनाती 25 से 50 लाख रुपये का जिक्र है। ऐसे ही तहसील और ब्लाकस्तर के अफसरों का रेट भी खोला गया है। आधे दर्जन मंत्रियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग में शामिल करने का जिक्र है। पैसे के दम पर अयोग्य अफसर अहम पटल न हथिया ले और हरकतों से सरकार की छवि न धूमिल कर दे, इस चिंता से केंद्र सरकार वाकिफ है। ऐसे में मोदी और शाह ने पीएमओ के बड़े अफसर को टॉस्क दिया है कि वह आइबी को इस दिशा में लगाकर पूरा फीडबैक उपलब्ध कराएं   सपा-बसपा राज में ट्रांसफर-पोस्टिंग बन गई थी इंडस्ट्री

 

सपा सरकार में आईएएस-पीसीएस सहित अन्य लेवल के अफसरों की तैनाती में खूब पैसा चलता था। आइएएस अशोक कुमार ने पिछले साल तो पोल ही खोल दी थी। कहा था कि अगर 70 लाख रुपये उनके पास होते तो आज वे किसी जिले के डीएम होते न कि सचिवालय में सचिव बनकर कुर्सी तोड़ते।  जब चुनाव का मौका आया था तब प्रधानमंत्री मोदी ने इस मामले को रैलियों में उठाते हुए कहा था कि सपा सरकार तो अफसरों के पदों को नीलाम करती है।

 

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