गुजरात में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए मंगलवार को हुए चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच देर रात तक नाटकीय उठापटक देखने को मिली. कांग्रेस जहां अपने एकमात्र प्रत्याशी अहमद पटेल की जीत के लिए संघर्ष करती रही वहीं भाजपा पटेल को जीत हासिल करने से रोकने में अपनी पूरी ताकत से जुटी रही. इस लड़ाई की शुरुआत गांधीनगर से हुई और शाम होते-होते दिल्ली पहुंच गई.
दो विधायकों के वोट को लेकर दोनों दलों में ठन गई. दोनों दल चुनाव आयोग में चले गए. कांग्रेस ने इन दो वोटों को खारिज करने के लिए गुलाम नबी आजाद, पी चिदम्बरम, रणदीप सुरजेवाला, आनंद शर्मा जैसे बड़े नेताओं को उतारा तो बीजेपी ने अरुण जेटली, रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान जैसे दिग्गजों को चुनाव आयोग भेजा. फैसला कांग्रेस के पक्ष में गया और क्रॉस वोटिंग करने वाले दो कांग्रेसी विधायकों के वोट रद्द कर दिए गए.
मतदान के दौरान कांग्रेस के दो विधायकों ने भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया. वहीं कांग्रेस को समर्थन का वादा करने वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के एक विधायक ने भी क्रॉस वोटिंग की. जनता दल (युनाइटेड) के महासचिव ने जहां कहा है कि राज्य से उनकी पार्टी के एकमात्र विधायक ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया है, वहीं खुद विधायक का कहना है कि उन्होंने पटेल के पक्ष में मतदान किया है.
कांग्रेस के बागी विधायकों के चलते राजनीतिक घमासान शुरू हुआ. भाजपा की तोड़फोड़ से बचाने के लिए बेंगलुरू भेजे गए 44 कांग्रेस विधायकों में पटेल को 42 विधायकों के ही वोट मिले, जबकि दो विधायकों ने बगावत करते हुए न सिर्फ भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया, बल्कि तीनों प्रत्याशियों को अपना मतपत्र भी दिखा दिया. इसके खिलाफ कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से शिकायत कर उनके मतों को अवैध करार दिए जाने की मांग की. आयोग ने शिकायत मिलने के बाद मतों की गणना रोक दी गई
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