राष्ट्रपति 9 सितंबर को “प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान” का शुभारंभ करेंगी

नयी दिल्ली, 08 सितम्बर 2022,माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 2025 तक देश से टीबी उन्मूलन के मिशन को फिर से जीवंत करने के लिए 9 सितंबर को प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान का शुभारंभ करेंगी। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने मार्च 2018 में दिल्ली एंड टीबी शिखर सम्मेलन में 2030 तक के लिए निर्धारित एसडीजी लक्ष्य से पांच साल पहले देश में टीबी को समाप्त करने का आह्वान किया था। इस अभियान को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार, केंद्रीय मंत्रियों, राज्यपालों और उपराज्यपालों तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में शुरू किया जाएगा। ऑनलाइन कार्यक्रम में राज्य और जिला स्वास्थ्य प्रशासन, कॉरपोरेट्स, उद्योग, नागरिक समाज और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। देश 2025 तक टीबी उन्मूलन की प्रतिबद्धता को दोहराने जा रहा है।

प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान की परिकल्पना सभी सामुदायिक हितधारकों को एक साथ लाने के लिए की गई है ताकि टीबी के उपचार में लोगों की सहायता की जा सके और टीबी उन्मूलन की दिशा में देश की प्रगति में तेजी लाई जा सके। माननीय राष्ट्रपति नि-क्षय मित्र पहल का भी शुभारंभ करेंगी जो अभियान का एक महत्वपूर्ण घटक है। नि-क्षय मित्र पोर्टल टीबी के उपचार से गुजर रहे लोगों को विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। तीन आयामी सहायता में पोषण, अतिरिक्त निदान और पेशेवर सहायता शामिल है। दानकर्ताओं, जिन्हें नि-क्षय मित्र कहा जाता है, में हितधारकों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल हो सकती है, जिनमें निर्वाचित प्रतिनिधि, राजनीतिक दल से लेकर कॉरपोरेट, गैर सरकारी संगठन और आम व्यक्ति तक हो सकते हैं।

उद्घाटन समारोह का उद्देश्य एक सामाजिक दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित करना है जो 2025 तक देश से टीबी को खत्म करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जन आंदोलन में सभी पृष्ठभूमि के लोगों को एक साथ लाए। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान रोगी केंद्रित स्वास्थ्य प्रणाली की ओर सामुदायिक समर्थन हासिल करने की दिशा में एक कदम है।

आइये आपको बताते चले कि -संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) क्या है :-

क्षय रोग (टीबी) नियंत्रण गतिविधियों को देश में लागू किए पचास वर्षों से अधिक हो गये है। राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम (एनटीपी) की शुरूआत भारत सरकार ने वर्ष 1962 में बीसीजी टीकाकरण और टीबी उपचार से जुड़े जिला टीबी केंद्र मॉडल के रूप में की थी। वर्ष 1978 में बीसीजी टीकाकरण को टीकाकरण विस्तारित कार्यक्रम के अंतर्गत स्थानांतरित कर दिया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और भारत सरकार तथा स्वीडिश अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (एसआईडीए) ने वर्ष 1992 में एनटीपी की संयुक्त समीक्षा की थी तथा उन्हें कार्यक्रम में कुछ कमियां जैसे कि प्रबंधकीय कमजोरियां, अपर्याप्त वित्त पोषण, एक्स-रे पर अत्यधिक निर्भरता, गैर-मानक उपचार कोर्स, उपचार पूर्ण होने की दर में कमी एवं उपचार परिणामों पर सुव्यवस्थित/पद्धतिबद्ध सूचनाओं का अभाव पाया गया था।

उसी समय डब्ल्यूएचओ ने वर्ष 1993 में टीबी को वैश्विक आपातकाल घोषित किया। उसने क्षय रोग की चिकित्सा के लिए प्रत्यक्ष प्रेक्षित थेरेपी, छोटा-कोर्स (डॉट्स/डाइरेक्टली ऑब्जर्व्ड शॉर्ट कोर्स), अर्थात् सीधे तौर पर लिए जाने वाला छोटी अवधि के उपचार की स्थापना की तथा सभी देशों से इसे अपनाने की सिफ़ारिश की। भारत सरकार ने वर्ष 1993 में एनटीपी को संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के रूप में लागू किया। डॉट्स की आधिकारिक तौर पर शुरूआत वर्ष 1997 में आरएनटीसीपी रणनीति के अंतर्गत की गयी थी तथा इस कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2005 के अंत तक पूरे देश को कवर किया गया था।

वर्ष 2006 से 2011 के दौरान अपने दूसरे चरण में आरएनटीसीपी ने गुणवत्ता और सेवाओं की पहुंच में सुधार किया तथा सभी मामलों का पता लगाने और उपचारित करने के लक्ष्य के लिए कार्य किया गया। ये लक्ष्य वर्ष 2007 से 2008 तक प्राप्त किए गए थे। इन उपलब्धियों के बावजूद अनियंत्रित और अनुपचारित मामलों ने टीबी महामारी को जारी रखा। टीबी एचआईवी/एड्स से पीड़ित लोगों के बीच रोग और मृत्यु का प्रमुख कारण था तथा प्रतिवर्ष बहुत ज़्यादा मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (एमडीआर-टीबी) मामलों की सूचना प्राप्त हुयी थी। इस अवधि के दौरान “टीबी मुक्त भारत” के दीर्घकालिक उद्देश्य की प्राप्ति हेतु ‘समुदाय में सभी टीबी रोगियों के लिए टीबी के गुणवत्तापरक निदान और उपचार की सार्वभौमिक पहुंच’ के लक्ष्य के साथ क्षय रोग नियंत्रण वर्ष 2012-2017 के लिए राष्ट्रीय रणनीति योजना निर्मित की गयी थी।

टीबी के सभी के मामलों की अनिवार्य अधिसूचना के संदर्भ में एनएसपी वर्ष 2012-2017 के दौरान सामान्य स्वास्थ्य सेवाओं (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन), नैदानिक सेवाओं का विस्तार, दवा प्रतिरोध (ड्रग रेसिस्टेंट) टीबी का प्रणालीगत प्रबंधन (पीएमडीटी) सेवा वितारण, सभी टीबी-एचआईवी के मामलों के लिए एकल खिड़की सेवा, राष्ट्रीय दवा प्रतिरोध निगरानी और भागीदारी के दिशानिर्देशों के संशोधन के साथ महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों और पहलों की शुरूआत गई थी।

हालांकि वर्ष 2025 तक भारत से टीबी उन्मूलन के लिए पांच वर्ष पहले का वैश्विक लक्ष्य रखा गया है। राष्ट्रीय और राज्य सरकारों, विकास भागीदारों, नागरिक समाज संगठनों, अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों, अनुसंधान संस्थानों, निजी क्षेत्र, और कई अन्य लोगों सहित भारत में टीबी उन्मूलन के लिए प्रासंगिक सभी हितधारकों की गतिविधियों के मार्गदर्शन के लिए एक ढांचा आरएनटीसीपी द्वारा तैयार किया गया है, जिसका नाम “क्षय रोग उन्मूलन वर्ष 2017-2025 हेतु राष्ट्रीय रणनीतिक योजना” है।
@ फोर्थ इंडिया न्यूज़ टीम

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