लाल बहादुर शास्त्री की मौत एक प्रश्न, उत्तर ?

(लेख -अरुण सिंह चंदेल ,एडिटर इन चीफ फोर्थ इंडिया न्यूज़)

लाल बहादुर शास्त्री पर विशेष- लेख

भारत, 02 अक्टूबर 2021, एक किस्सा 10 जनवरी 1966 को संयुक्त घोषणा पत्र हस्ताक्षरित हुआ और उसी रात को दिल का दौरा पड़ने से लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया।क्या यह सच है या नहीं।फिल्म बनी,,नाटक हुए,लेख लिखे गए और बहस भी हुई।परिणाम सिफ़र।

लाल बहादुर शास्त्री की 2 अक्टूबर को जयंती मनाई जाती है,शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 उत्तर प्रदेश के मुग़लसराय में हुआ था और निधन 10 जनवरी, 1966 को हुआ, शास्त्री अपने दादा के घर पर 10 साल की उम्र तक रहे थे। फिर उच्च शिक्षा के लिए वाराणसी गये थे, वही पर कक्षा छः की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उनके पिता का नाम शारदा प्रसाद और माँ का रामदुलारी देवी था । शास्त्री का उपनाम श्रीवास्तव था, इसे बदल दिया था क्योंकि वह वह अपनी जाति को उभारना नहीं चाहते थे,जिससे समाज में कोई उन्हे ऊंची जाति का समझ कर दूर हो जाये । शास्ती के पिता स्कूल में टीचर थे और फिर इलाहबाद में आयकर विभाग में क्लर्क हुए ।

पिता गरीब होने के वाबजूद भी अपनी ईमानदारी और सज्जनता के मशहूर थे। शास्त्री एक वर्ष के होंगे तभी पिता उन्हें छोड़ कर ईश्वर के पास चले गए । माता रामदुलारी देवी ने उन्हें वा शास्त्री की दो बहनो को कठनाईयो में पाला। काशी विद्यापीठ में चार साल तक दर्शनशास्त्र की पढाई उन्होंने जेल से छूटने के बाद की थी। लाल बहादुर ने “शास्त्री” की उपाधि वर्ष 1926 में प्राप्त की। इसके बाद “द सर्वेन्ट्स ऑफ़ द पीपल सोसाइटी” से जुडे ,सोसाइटी की लाला लाजपत राय द्वारा शुरुआत 1921 में की गयी थी। शास्त्री का विवाह ललिता देवी के साथ 1927 में हुआ और विवाह समस्त कार्यक्रम सादे तरीके से हुए।

1930 में गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान किया, आंदोलन में साथ ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और ढाई साल के लिए जेल भेज दिया गया। दूसरे विश्व युद्ध 1939 में शुरू होने के बाद, सन 1940 में एक जन आंदोलन” कांग्रेस ने आजादी कि मांग के लिए शुरू किया, इस आंदोलन से जुड़े और लोगों को शास्त्री ने सरकार को भू-राजस्व और करों का भुगतान न करने आह्वान किया
था। शास्त्री की भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मुख्य भूमिका रही,इनको उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविन्द वल्लभ पंतका भी सानिध्य मिला उनके साथ संसदीय सचिव भी रहे,उचाईयो को छूते हुए 1964 में भारत के प्रधान मंत्री बने। स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे-लाल बहादुर शास्त्री।

1964 में जवाहरलाल नेहरू के मरणोपरांत सभी की सहमती से शास्त्री को प्रधान मंत्री बनाया गया । देश एक कठिन दौर से गुजर रहा था और देश बड़ी चुनौतियों से जूझ रहा था। वय्क्तितय में महान साहसी और दृढ़निश्चयी थे।भले शारीरिक कद छोटे होते हुए भी उनके कार्य महान थे। जब पाकिस्तान के साथ 1965 का युद्ध हुआ उस दौरान देश में नेतृत्व करते हुए जीता और देश को एकता के सूत्र में बांध कर नैरा दिया “जय जवान जय किसान’। शास्त्री ने आज़ादी के पहले स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़ चढ़ कर भाग लिया । शास्त्री का जीवन सादगी और ईमानदारी का था।

जनवरी 1966 में शांति वार्ता के लिए ताशकंद में भारत के शास्त्री और पाकिस्तान के अयूब खान के बीच बातचीत हुई और रूसी मध्यस्थता के तहत संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर हुए । इस संधि के के अनुसार भारत युद्ध के दौरान कब्ज़ा किये गए सभी प्रांतो को पाकिस्तान को लौटने देगा। शास्त्री की सोवियत संघ के उज्बेकिस्तान के ताशकंद समझौते के दौरान मौत हुई थी। बताया गया कि 10 जनवरी, 1966 को पाकिस्तान के साथ ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के महज 12 घंटे बाद 11 जनवरी को रात 1: 32 बजे उनकी मौत हो गई। इंजेक्शन देने के चंद मिनट बाद ही उनकी मौत हो गई। आधिकारिक तौर पर कहा जाता है कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई,,पर रहस्यों से पर्दा आज भी नहीं उठा ,परिवार के लोगो का कहना था की उनका मर्डर किया गया ,यह सब एक प्रश्न के रूप में आज भी उत्तर खोज रहा है।

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