लूट की बेदी पर हो रहा अमृत पेयजल योजना का विकास कार्य

(बहराइच से स्वतन्त्र पत्रकार डी पी श्रीवास्तव की एक रिपोर्ट )

उत्तर प्रदेश,बहराइच,27 मार्च 2022 ,देश के ग्रामीण इलाको में पेयजल एक प्रमुख समस्या है,जिसे आज तक की कोई भी सरकार सुलझा नहीं पायी है, हां यह बात तो है कि प्रयास लगातार होते रहे है ,राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्यूलपी) योजना चल रही है। शहरो में स्वच्छ पेयजल व सीवरेज व्यवस्था सरकार राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के अंतर्गत कार्य करा रही है हालांकि कई इलाको में पाइप लाइन डालने के बाद सड़क निर्माण नहीं किया गया है। ऐसे में लोग ऊबड़-खाबड़ रास्तों से सफर करने पर मज़बूर है ।

संसार में देखा जाए तो जल एक ऐसा दुर्लभ प्राकृतिक संसाधन है जो सिर्फ कृषि कार्यों को ही नहीं बल्कि पृथ्वी पर बहुतायत संख्या में फैले जीवन के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं।लेकिन यह भी विचारणीय है कि जल की कमी का संकट न सिर्फ भारत ही झेल रहा है बल्कि दुनिया के लगभग समस्त देशों की यह सबसे दुर्लभ समस्या बनी हुई है। जिस की गंभीरता को समझते हुए हाल ही में जल दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पानी की एक-एक बूंद बचाने का आह्वान पूरे देश की जनता से एक बार फिर दोहराते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जल संरक्षण को एक जन आंदोलन बनते देखना खुशी की बात है और जल जीवन मिशन अत्यधिक प्रभावी साबित हो रहा है।जिसमें जन जन की भागीदारी से घर घर के नलो तक जून 2025 तक स्वच्छ जल पहुंचाने का संकल्प लिया जा रहा है।लेकिन इसके उलट अगर हम बाद जनपद बहराइच की करें तो अमृत पेयजल योजना के अंतर्गत जो भी कार्य यहां करवाए जा रहे हैं उसमें भ्रष्टाचार का खुला खेल होने के बाद भी न तो प्रशासन जाग रहा है और न शासन जाग रहा है सरकार द्वारा करोड़ों का भुगतान होने के बाद भी भ्रामक रिपोर्ट बनाकर प्रदेश सरकार व केंद्र सरकार को हस्तांतरित किया जा रहा है। अगर हम बात करें यहां पर बनी अमृत पेयजल योजना के अंतर्गत कई पानी टंकियों की तो हालत बद से बदतर होने के बाद भी ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत से लूट का नंगा नाच नाचा जा रहा है।पानी टंकी व निर्मित मकानों के निर्माण में भी बालू का प्रयोग,सरियों का प्रयोग,लाल पीले ईटों का प्रयोग सीमेंट आदि में खेल कर मानक विहीन निर्माण कार्य कर बनाया जाना यहां के अधिकारियों और ठेकेदारों की आदत बन गई है।
चाहे बात नगर के किला स्थित प्राइमरी पाठशाला में बनी पानी टंकी की हो,जीजीआईसी स्थित पानी टंकी की हो या फिर पुरानीओंकार टाकीज स्थित पानी टंकी की हो लगभग सभी जगहों पर मानक विहीन कार्यों को अंजाम देते हुए देखा जा रहा है।लेकिन खुलेआम भ्रष्टाचार होने के बाद भी प्रशासन के किसी भी अधिकारी की निगाह वहां तक न पहुंच पाना अपने आप में बहुत बड़ा सवाल बनता जा रहा है।यही नहीं अभी जिलाधिकारी आवास के बगल में भी एक नलकूप पर अमृत पेयजल योजना के अंतर्गत पाइपों का निर्माण किए जाने के दौरान अमृत जल दोहन का बड़ा मामला तब प्रकाश में आया जब बड़ी पाइप के फूट जाने के कारण 3 दिनो तक लगातार जल का दुर्लभ बहाव होता रहा जिस में न जाने कितने गैलन पानी पीने योग्य नष्ट हो गए जब ठेकेदार रितेश को फोन किया जाता तो वह फोन नहीं उठाता और राजू जे. ई. को जब फोन किया जाता तो बताते हम छुट्टी पर हैं। कोई भी जिम्मेदार मौके पर दिखाई नही दिया। और तीन दिनों तक धारा प्रवाह निर्मल जल बहता रहा। जिसका जवाब देने वाला कोई नहीं है।बलरामपुर ए.ई.से जब तरुण मित्र द्वारा बात की जाती तो वह बताते हैं यह नगरपालिका की गलती है जबकि मामले को नगरपालिका को अभी हस्तांतरित किया ही नहीं गया था। और जब यह दुर्लभ स्थिति में बह रहा था तो जिम्मेदार ठेकेदार रितेश कहां पर थे? आखिर मौके पर कोई क्यों नहीं पहुंचा। बात करने पर सब के सब एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए दिखाई दे रहे थे।लेकिन मौके पर पहुंचने पर लोगों ने बताया कि हम लोगों ने नगरपालिका को भी फोन किया, जे. ई. और ठेकेदार को भी फोन किया लेकिन सुनने वाला कोई नहीं था। जबकि मौके पर गहरे गहरे गड्ढे बुरी तरह से भर चुके थे जिसमें आवासीय लोग भी रहते थे।जिनके जान का खतरा लगातार बना हुआ था।जमीन भी धसक रही थी। लेकिन सुनने वाला कोई भी जिम्मेदार मौजूद नहीं था।यही नहीं अमृत पेयजल योजना के अंतर्गत जिले में जो भी पाइप लाइन निर्माण कार्य करवाए गए उसमें नगर की हालत ऐसी बदसूरत बना दी गई है की गलियों और सड़कों पर लोग घायल व चोटिल हो रहे हैं।कार्यदाई संस्थाओं द्वारा जिन जगहों की खुदाई कर पाइप लाइन बिछाया जा रहा है उसे पाटने के बाद न तो उसकी सही ढंग से लेबलिंग करवाई गई और न ही सही ढंग से उसे पाटा ही गया।बस खोदी गई मिट्टी से पाट कर स्थान को ऊबड़ खाबड़ स्थिति में पुराने ईटो के साथ छोड़ दिया गया। बताया जाता है कि ठेकेदार व अधिकारियों की मिलीभगत से अमृत पेयजल योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा भेजे गए करोड़ों, अरबों रुपए को ज्यादा से ज्यादा सिर्फ लूटने का काम किया जा रहा है।लोग बताते हैं कि जो भी इस योजना के अंतर्गत मकानों का निर्माण करवाया गया उसमें भी भ्रष्टाचार का खुला खेल खेला गया है। कोई भी मकान मानक के हिसाब से नहीं बना है। बालू, ईट,मौरंग और सरिया में बड़े बड़े खेल होने की बात बताई जा रही है।लेकिन मौके पर जो भी चेकिंग पर आता वह सिर्फ फॉर्मेलिटी मात्र कर अपने हिस्से की रकम खोजता रहता। मानो सही और गलत से उसका कोई सरोकार ही न हो।और शायद यही कारण है कि कोई भी अधिकारी भ्रष्टाचार के भारी वजन को अपने सिर लादने की जहमत नहीं उठाता।बलरामपुर में बैठे ए. ई. ने भी बात करने पर बताया था कि हम इस पर नजर रखेंगे और जहां गलत होगा हम उस पर कार्यवाही भी करवाएंगे लेकिन अभी तक न तो उन्होंने कोई कार्रवाई ही करवाई न हीं पलटकर अब तक कोई जानकारी ही दी गई।और शून्यहीनता का व्रत आज तक धारण धारण कर भ्रष्टाचार का नंगा नाच अपने आंखों पर मोटा शीशा चढ़ा कर देखते रहे हैं।राजू जे. ई. पर भी लोग खुला आरोप लगाते हुवे देखे जा रहे हैं।लोगों का कहना है कि यह लोगों से प्राइवेट काम करवाकर उनका रुपया भी हड़प लेते हैं।दो लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर यहां तक बताया कि राजू द्वारा न सिर्फ उनका रुपया हड़पा गया बल्कि उन्हें जाति सूचक गलियां देते हुवे उनका अपमान भी किया गया।एक नपाप कर्मी से भी प्राइवेट काम करवाकर इनके द्वारा रुपया हड़प लिया गया था जो कि मीडिया के दबाव में उसे प्राप्त हो सका। बताया जाता है की राजू लोगों को मारने की धमकी भी देते रहते।बताया यह भी जाता है कि ठेकेदार और राजू की मिलीभगत से सरकार से अधिक धन उगाही कर मिस्त्रियों को कम भुगतान दिया जाता है।जिसकी तस्दीक खुद मिस्त्री भी करते हैं। पानी टंकी के नीचे भी पीले ईट की कुटाई करवा कर उसे बालू से ढककर मानक विहीन सीमेंट आदि डालकर कुटाई करवाया जाता रहा। पानी टंकी कि करवाई गई बाउंड्री में दूसरे की दीवार को सहारा बना कर उसे नई दीवार दर्शाकर भुगतान करवाया जाता है।यदि संपूर्ण भ्रष्टाचार पर किसी ईमानदार संस्था से जांच करवाई जाए तो करोड़ों रुपए के घोटाले सामने शत-प्रतिशत आ सकते हैं।लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि सरकार द्वारा इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बाद भी निर्माण कार्य में घोटाला क्यों करवाया जाता रहा? खुलेआम गलियों और सड़कों पर मानक विहीन कार्य होने के बाद भी किसी भी अधिकारी की नजर अब तक क्यों नहीं पड़ी।क्या सबको सिर्फ रुपयों की ही भूख ने मार डाला?क्या ऐसे ही प्रधानमंत्री की अति महत्वाकांक्षी पेयजल योजना के अंतर्गत घर-घर तक लोगों को साफ पानी दिलवाए जाने के संकल्प की धज्जियां सरकारी नुमाइंदो द्वारा उड़ाया जाता रहेगा?आखिर इन पर बुलडोजर कब चलेगा जो सरकारी पगार लेने के बाद भी अलग से सरकारी धनों में जबरदस्ती घुस कर धन का दोहन करते रहते हैं।

बताते चले कि जल-जीवन मिशन के अंतर्गत भारत सरकार 2024 तक देश के हर एक ग्रामीण निवासी तक पर्याप्त पिने लायक जल उपलब्ध करवाना चाहती है। इस जल जीवन अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार ने 3.6 लाख करोड़ रूपये आवंटित किये हैं। इसे हम नल से जल पहुंचाने का भी अभियान कह सकतें हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इस मिशन की बहुत ही आवश्यकता है। वहां के लोगों को होने वाली जल समस्याओं से भी छुटकारा मिल सकता है।

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस योजना की घोषणा कर लोगों के उत्थान के लिए उपयुक्त फैसला लिया है। एक सर्वे के अनुसार यह बात जानी गई है की भारत की आज़ादी के लगभग 70 साल बाद भी भारतीय आबादी में से 50 % ऐसे लोग हैं जिन्हे पर्याप्त मात्रा में पानी भी नहीं मिल पाता है। अब राज्य सरकारों के साथ मिलकर केंद्र सरकार इस योजना को हर घर जल पहुंचाने की कोशिश कर रही है।

 

 

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