‘वृंदावन’ के तीर्थस्थल घोषित होने की संभावना

वृंदावन। समझा जाता है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने वृंदावन को तीर्थस्थल घोषित करने का प्राथमिक निर्णय ले लिया है, जिसे अंतिम रूप देकर किसी भी समय सार्वजनिक किया जा सकता है। जानकार सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित मथुरा-वृंदावन नगर निगम में वृंदावन की उपेक्षा होने की इस धर्मनगरी के निवासियों की आशंकाओं के मद्देनजर सरकार ने यह निर्णय लिया है।

यूं तो वृंदावन को तीर्थस्थल घोषित किये जाने की मांग बहुत पुरानी है, लेकिन मथुरा के साथ संयुक्त रूप से प्रस्तावित नगर निगम में इसे भी शामिल करने का निर्णय लिये जाने के बाद तो इस मांग ने अप्रत्याशित रूप से अधिक जोर पकड़ लिया है। सूत्रों के अनुसार सरकार को अंतिम निर्णय में यह तय करना है कि केवल वृंदावन को ही तीथüस्थल घोषित किया जाए या मथुरा तथा व्रज क्षेत्र के अन्य स्थानों को भी यह दर्जा दिया जाए।

भगवान् श्रीकृष्ण, उनकी शक्तिस्वरूपा राधारानी तथा लीला-सहायक दाऊ बल्देवजी से जुड़े महत्वपूणü स्थानों में मथुरा और वृंदावन के अतिरिक्त गोकुल, रावलग्राम, बल्देवजी (दाऊजी), बरसाना, राधाकुंड, गोवर्द्धन तथा नंदगांव भी शामिल है। इनमें से मथुरा, वृंदावन, राधाकुंड, गोवर्द्धन, बरसाना तथा नंदगांव, कलिमलहारिणी यमुना की दाहिनी ओर बसे हुए हैं, जबकि बायीं ओर गोकुल, महावन, रमणरेती, रावलग्राम तथा बल्देवजी (दाऊजी) जैसे धर्मस्थल हैं।

सूत्रों का कहना है कि राधारानी की नगरी बरसाना, युगल सरकार की जलकेलिस्थली राधाकुंड, गिरिराज गोवर्द्धन को एक अंगुली पर उठाकर व्रज को इन्द्र के महाकोप (प्रलयंकारी वर्षा) से बचाने की बालकृष्ण की दिव्य एवं अछ्वुत लीला के साक्षी गोवर्द्धन और उनकी बालक्रीडास्थली नंदगांव को भी तीथüस्थल घोषित किया जा सकता है। ये सभी स्थान यमुना के दाहिनी ओर है।

यमुना के बायीं ओर स्थित शिशुकृष्ण की किलकारियों से गुंजायमान एवं उनकी प्रारंभिक दिव्य लीलाओं के साक्षी गोकुल राधारानी की जन्मस्थली रावलग्राम तथा व्रज के राजा दाऊ बल्देवजी के भव्य प्राचीन मंदिर के लिए प्रसिद्ध बल्देव (दाऊजी) कस्बे को भी तीर्थस्थल घोषित किया जा सकता है।

 

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