वृंदावन में आरएसएस की तीन दिवसीय बैठक शुरू, अमित शाह हुए शामिल

मथुरा. श्री कृष्ण की नगरी मथुरा के वृंदावन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तीन दिवसीय बैठक और चिंतन शिविर शुक्रवार (1 सितम्बर) से शुरू हो गया. शिविर तीन दिन चलेगा,  जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हुए.बीजेपी के वैचारिक गुरु कहे जाने वाले आरएसएस की तीन दिवसीय बैठक में भाग लेने वालों में आरएसएस प्रमुख मोहन भगावत और कई वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हैं.बैठक में आरएसएस-बीजेपी नेताओं द्वारा 2019 लोकसभा चुनाव के लिए रोड मैप पर चर्चा करने की संभावना है.ऐसा माना जा रहा है कि आरएसएस नेतृत्व उन तरीकों पर भी विचार करेगा जिनके तहत उसके आनुषंगी संगठनों को ऐसे विवादास्पद बयान देने से रोका जाए जो भाजपा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए समस्या की वजह बनते हैं.

इसमें प्रमुख रूप से जम्मू कश्मीर में अलगाववाद के विषय पर संघ सख्त रुख अपना सकता है. जम्मू में रोहिग्यो और उततर पूर्व के राज्यों में बांग्लादेशियों की घुसपैठ को लेकर संघ गंभीर है.रोहिग्या मुसलमानों को तो पाकिस्तान और बांग्लादेश तक ने अपने देश से निकाल दिया है जबकि भारत में ये हजारों की संख्या में रह रहे हैं . देश की सुरक्षा के इस विषय को लेकर केंद्रीय मंत्रियों से चर्चा करने के साथ ही उनको आगामी कार्ययोजना सौंपी जा सकती है. इसमें घुसपैठिए की पहचान कर उन्हें संबंधित देशों से बात कर उनकी वापसी करवाने के प्रयास होंगे.

‘चलो गांव की ओर’ नीति पर काम

देश की आर्थिक नींव को मजबूत करने के लिए संघ गांव का रुख करेगा. संघ केंद्र के मंत्रियों को शहर की तुलना में गांव की ओर अधिक जोर देने का सुझाव दे सकता है, ताकि वैश्विक मंदी का देश पर प्रभाव कम हो सके. इसके लिए खेती में उत्पादन बढाने, कृषि संस्कृति को बढ़ावा देने की योजनाएं, किसानों को अधिक से अधिक वैज्ञानिक विधियों के इस्तेमाल के प्रयास केंद्र सरकार को करने होंगे. हिंदुत्व का एजेंडा देश के अंदर ही नहीं, बाहर के भी हिंदुओं के बारे में संघ चिंतन और चिंता करेगा.

पड़ोसी मुल्क में हिंदुओं की स्थिति पर चर्चा

बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार का विरोध पर गहन चिंतन के साथ बढ़ते अत्याचार के कारण हिंदू वहां से पलायन न करें और पाक विस्थापित हिंदुओं को मजबूरी में शरणार्थी का जीवन न जीना पड़े. इसकी रोकथाम के लिए केंद्र सरकार को विदेश नीति में शामिल करने पर जोर दिया जा सकता है.

समान अधिकार नागरिकता के मुद्दे भी बैठक में शामिल हो सकते हैं, ताकि देश में जाति, धर्म के आधार पर फैले विद्वेष को दूर किया जा सके.

बैठक में ये होंगे शामिल

समन्वय बैठक में शामिल होने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसरकार्यवाह दत्तात्रेय, कृष्णगोपाल, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मुरलीधर और विश्व हिंदू परिषद के दिनेश केशवधाम पहुंच गए हैं.

समन्वय बैठक में विहिप के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष प्रवीण भाई तोगड़िया, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली, गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहेंगे .

आरएसएस अनुषांगिक संगठनों की रिपोर्ट के आधार पर कार्ययोजना बनाकर बीजेपी और केंद्र सरकार के कद्दावर मंत्रियों को पाठ पढ़ाएगा. इसमें आम आदमी और किसान मुख्य रूप से एजेंडे में होंगे. आने वाले समय में केंद्र एवं बीजेपी शासित राज्य सरकारों की कार्यप्रणाली और उनकी नीतियां संघ के एजेंडे के अनुरूप हो सकती हैं.

विभिन्न मुद्दों पर होगा चिंतन

वृंदावन के केशवधाम में एक से तीन सितंबर तक चलने वाली संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक के पहले किसान संघों के साथ दो दिन तक संघ की बैठक हो भी चुकी है. संघ का मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी विचारधारा के अनुरूप साधना है. इसके अलावा देश की वर्तमान परिस्थितियों के साथ आतंरिक और वाह्य सुरक्षा, अर्थ व्यवस्था और विदेशों में हिंदुओं की दशा एवं सुरक्षा को लेकर गहन चिंतन किया जाएगा. केरल समेत देश के कई राज्यों में आरएसएस कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमलों को देखते हुए उसको देश के गावों से और सशक्त बनाने पर चर्चा के साथ ही संघ अपनी कार्ययोजना को अमल में लाने के लिए अनुषांगिक संगठनों को गाइडलाइन देगा.

संघ से जुड़े संगठन रखेंगे अपना एजेंडा

संघ सूत्रों के मुताबिक संघ अपने 150 अनुषांगिक संगठनों और 35 केंद्रीय अखिल भारतीय स्तर के संगठनों के प्रमुखों के सामने अपना एजेंडा रखेगा. साथ ही इस एजेंडा से देश और दुनिया पर होने वाले प्रभाव और हिंदुओं की व्यवस्था में सुधार पर भी जोर दिया जा सकता है.

 

Read More- PalPalindia