‘शरद पवार को जानना कोई गुनाह नहीं है ‘ : दाऊद इब्राहिम

नई दिल्लीः  मुंंबई में भाई की गिरफ्तारी के बाद दाऊद फिर सुर्खियों में है। पढ़िए दाऊद का वह इंटरव्यू, जिसमें वह महाराष्ट्र के बड़े नेताओं से रिश्ते पर बोलता है।

 

सवाल-याकूब मेनन की गिरफ्तारी से तुम पर क्या असर पड़ेगा दाऊद-मैं तो खुश हूं। जांच एजेंसियां सही ट्रैक पर हैं। उन्हें सही बात पता चल सकेगी।

सवाल- क्या तुमने याकूब को इंडिया भेजा। दाऊद-मैं क्यों उसे इंडिया भेजूंगा। मैने तो उसका कभी चेहरा भी नहीं देखा।

सवाल-क्या तुमने याकूब का सरेंडर इसलिए कराया, ताकि केस से तु्म्हारा नाम जुड़ने पर सफाई दे सके जवाब- याकूब तो इंडिया में है। आप जाकर उससे पूछो।  याकूब तो खुद टीवी पर कह चुका है कि वह मुझसे कभी मिला ही नहीं।

सवालः तो क्या याकूब तुम्हें सभी मामलों से बचाने का बयान देने के लिए आया है जवाब-कोई भी व्यक्ति अगर मुझे निर्दोष बताएगा तो भी कोई यकीन नहीं करेगा। कहा जाएगा कि उसने दाऊद से पैसे ले लिए हैं।  एक अफसर से बात हुई तो उसने खुद कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि तुम मुंबई ब्लास्ट केस से नहीं जुड़े हो। यह सच कहने से पहले मुझे इस्तीफा देना पड़ जाएगा। नहीं तो सरकार मुझे सस्पेंड कर देगी।

सवाल-बिना किसी ठोस वजह के तुम्हारा नाम हर केस में क्यों आ जाता है

जवाब- इसके पीछे राजनीतिक वजह है। सरकार से पूछिए मेरे खिलाफ सुबूत क्या हैं। किसी को जानना गुनाह नहीं है।  मेरा मानना है कि मै शरद पवार और एसबी चौहान की राजनीतिक लड़ाई का शिकार हुआ हूं।

सवाल- आरोप है कि शरद पवार तुम्हारे दोस्त हैं

जवाब- हम न तो दोस्त हैं न दुश्मन। जब मीडिया ने पवार से संबंधों के बारे में अफवाह फैलाना शुरू कर दिया, तब मुख्यमंत्री ने पुलिस को केस में मेरा नाम डालने का आदेश दिए। उधर चौहान जानते थे कि मेरी छवि खराब हो चुकी है। उन्होंने सोचा कि मुंबई बम धमाकों से मेरा नाम जोड़ते हुए अगर शरद पवार से लिंक स्थापित कर दिया जाए तो पवार का राजनीति खत्म कर दिया जाए।

इस प्रकार दोनों ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए मुझे केस में फ्रेम करने की कोशिश की। 

सवाल- 12 मार्च 1993 को तुम कहां थे

जवाब- मैं अपने घर पर था। तभी मेरे पास तमाम फोन्स घनघनाने लगे। मगर मैं डरा नहीं क्योंकि मैं इससे जुड़ा नहीं था। एक कार भी घटनास्थल से मिली थी। इससे पता था कि सच्चाई सामने आ जाएगी।  फिर अचानक से पता चला कि दाऊद टकलू नामके आदमी ने मेरा नाम पूछताछ में ले लिया। फिर मीडिया ने केस से मेरा नाम जोड़ते हुए खबरें गढनीं शुरू कर दीं। जिसकी वजह से मेरे नाम जुड़ गया।

यह अंश है मुंबई बम धमाकों के बाद  23 साल पहले प्रकाशित हुए   दाऊद के पहले और आखिरी इंटरव्यू का। जिसमें दाऊद मुंबई बम धमाकों से अपना हाथ होने से इन्कार करते हुए खुद को सियासत का शिकार बताता है।

वह कहता है कि वह महाराष्ट्र में शरद पवार और गृहमंत्री एसवी चौहान की लड़ाई का शिकार हो गया। दोनों ने अपने फायदे के लिए उसका नाम केस में घसीटने की कोशिश की। क्योंकि वह इतना बदनाम हो चुका था कि हर आरोप उस पर चस्पा हो जाता।

दाऊद ने शरद पवार से रिश्ते की बात पर कहा कि किसी को जानना गुनाह नहीं है। इससे साफ पता चलता है कि दाऊद के रिश्ते किस तरह महाराष्ट्र के नेताओं से रहे।

फोन पर शीला भट्ट ने लिया था इंटरव्यू

31 अगस्त 1994 को फोन पर यह इंटरव्यू इंडिया टुडे के  गुजराती संस्करण की तत्कालीन  एडिटर शीला भट्ट ने फोन पर लिया था। इसके बाद दाऊद ने  कभी किसी को इंटरव्यू नहीं दिया। जिसमें बम धमाकों और मेनने की गिरफ्तारी को लेकर तमाम सवाल हुए।

 

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