“सम्पूर्ण राष्ट्रों” को…अंतःकरण की असीम गहराईयों से “भारत” नमन करता है- डॉ. प्रियंका”हम हैं ना”

“”ब्रम्हाण्ड है अपना परिवार…
मानवीय गुण रहे…
ना रहे कोई विकार…
“सम्पूर्ण राष्ट्र” करे ;
“भारत” का नमन स्वीकार…।।””

“सम्पूर्ण राष्ट्रों” को…अंतःकरण की असीम गहराईयों से “भारत” नमन करता है…।

“संविधान”
(मानवता का विधि-विधान..)
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“”मैं देश की आन-बान-शान हूँ…
मैं “भारत” की संस्कृति व सम्मान हूँ…
मैं “राष्ट्र” के एकीकरण की पहचान हूँ…
मैं “भारत” का “संविधान” हूँ…
हाँ..हाँ..हाँ..मैं एक आम इंसान हूँ…
आम इंसान…
आम इंसान…।।””

मानवता का है विधि-विधान…
अपना न्यायपूर्ण संविधान…।।

संविधान के अक्षर-अक्षर में समाया है…
कर्तव्य-अधिकारों का विशद ज्ञान…
करो संविधान का सम्मान…
अपना भारत महान…।।

मानवता का है विधि-विधान…
अपना न्यायपूर्ण संविधान…।।

संविधान के छत्र तले…
सच्ची मानवता पोषित होती है…
भारत की शासन व्यवस्था का…
जिसमें है सम्पूर्ण समाधान…।।

मानवता का है विधि-विधान…
अपना न्यायपूर्ण संविधान…।।

कुछ हनन न हो…कुछ पतन न हो…
मानवीयमूल्यों  का दमन न हो…
मानव जीवन की रक्षा की ख़ातिर…
संकल्पित वचनों का संग्रह है संविधान…।।

मानवता का है विधि-विधान…
अपना न्यायपूर्ण संविधान…।।

अधिकार-अधिकार चिल्लाते हो…
स्वयं के कर्तव्य नहीं निभाते हो…
बात-बात पे ओछी बातें करके…
“भारत” का करते हो अपमान…।।

मानवता का है विधि-विधान…
अपना न्यायपूर्ण संविधान…।।

कर्तव्यों से ना भागो…
अधिकारों की ख़ातिर जगाओ और जागो…
मानवता ही है सर्वोपरि…
यही समझाता है संविधान…।।

मानवता का है विधि-विधान…
अपना न्यायपूर्ण संविधान…।।

अकर्मण्यता सम्पूर्ण विनाश की जड़ है…
मुर्दों जैसी क्यूँ अकड़ है ???
उठो ! कर्तव्यपथ पर बढ़ते जाओ आगे…
कर्तव्यपरायण बन…संविधान का रखो मान…।।

मानवता का है विधि-विधान…
अपना न्यायपूर्ण संविधान…।।

निडरता-साहस-धैर्य…
सहनशीलता-विनम्रता संग…
कर दिया हमनें ऐलान…
बढ़ चला अपना “मानवता का अभियान”…..।।

मानवता का है विधि-विधान…
अपना न्यायपूर्ण संविधान…।।

संविधान में निहित है…
मानवता का आधारभूत ज्ञान…
मानवता का आधारभूत ज्ञान…
मानवता का आधारभूत ज्ञान…

“”जीवन में स्वतंत्रता हो…पर;
निरंकुशता न हो कभी…
संविधान के संकल्पित वचनों में…
स्वयं को ढालो सभी…
स्वयं को सम्भालो सभी…।।””

“”न हम बँटें थें…न बँटें हैं…
न बँटेंगें कभी…
हमें तोड़नें की कोशिश ना करना ;
हम एक थें…हम एक हैं…
एक ही आजीवन रहेगें सभी…।।””

“”मानवता की रक्षा हेतु…
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1.निडरता
2.साहस
3.धैर्य
4.सहनशीलता
5.विनम्रता…संग…””

आ…अब…सभी मिलकर चलें…विश्वपटल की ओर…