‘साइलेंट कन्वर्सेशन: फ्रॉम मार्जिन्स टू द सेंटर’’ नामक एक कला प्रदर्शनी का आयोजन नयी दिल्ली में

नयी दिल्ली , 29 अक्टूबर 2023, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गतराष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए)सांकला फाउंडेशन के सहयोग से 3 नवंबर 2023 से 5 नवंबर 2023 तक नई दिल्ली के पर्यावास केंद्र (हैबिटेट सेंटर) में ‘‘साइलेंट कन्वर्सेशन: फ्रॉम मार्जिन्स टू द सेंटर’’ नामक एक कला प्रदर्शनी का आयोजन कर रहा है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 3 नवंबर 2023 को शाम 4:00 बजे प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह की मुख्य अतिथि होंगी। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री, भूपेन्द्र यादव, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री, अर्जुन मुंडा और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री, अश्विनी कुमार चौबे भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, सांकला फाउंडेशन के साथ मिलकर प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष सफलतापूर्वक पूरा होने पर इस कला प्रदर्शनी का आयोजन कर रहा है। देश में टाइगर प्रोजेक्ट परियोजना एक वन्यजीव संरक्षण पहल है जिसे 1973 में भारत के राष्ट्रीय पशु बंगाल टाइगर की सुरक्षा और संरक्षण और उसके आवास को बहाल करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था ताकि पिछले दशकों में बाघों की संख्या में आ रही भयंकर गिरावट को रोका जा सके। यह परियोजना उन क्षेत्रों के चयन और संरक्षण पर आधारित है जो विशेष रूप से बाघों की आबादी और उनके संबंधित पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने के लिए प्रबंधित किए जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में, बाघ अभयारण्यों कीसंख्या में वृद्धि हुई है, और अब देश भर में 54 बाघ अभयारण्यहैं। प्रोजेक्ट टाइगर का एक अनिवार्य पहलू स्थानीय समुदायों को आजीविका के अवसर प्रदान करके और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करके बाघ संरक्षण प्रयासों में शामिल करना है।

कला प्रदर्शनी में प्रदर्शित की जा रही कलाकृतियों के माध्यम से भारत के बाघ अभयारण्यों के आस-पास रहने वाले आदिवासी समुदायों और अन्य वासियों के बीच अनूठे संबंध और जंगल और वन्य जीवन के साथ उनके गहरे संबंध को प्रदर्शित किया जाएगा।प्रदर्शित कलाकृतियां चित्रों के रूप में होंगी और गोंड, भील और कई अन्य विभिन्न आदिवासी समुदायों के जंगल के साथ सदियों पुराने संबंधों को प्रतिबिंबित करेंगी। ये पेंटिंग बिक्री के लिए उपलब्ध होंगीऔर इनसे प्राप्त आय सीधे कलाकारों के बैंक खातों में भेजी जाएगी। पूरी प्रदर्शनी के दौरान, न केवल इन विविध कला रूपों का प्रदर्शन किया जाएगा, बल्कि कई आदिवासी कलाकार भी दिल्ली के विभिन्न स्‍थानों को देखेंगे और कार्यक्रम के दौरान उपस्थित रहेंगे, जिससे आगंतुकों और कला प्रेमियों को सीधे इनसे आपसी बातचीत का अवसर मिलेगा।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की स्थापना 2006 में की गई थी। यह भारत में बाघ संरक्षण कार्य में अग्रणीरहा है। इसका कार्य क्षेत्र जमीनी सुरक्षा पहल से लेकर नवीनतम तकनीकी उपकरणों का उपयोग करके बाघों और उनके आवास की विज्ञान पर आधारित निगरानी, बाघ अभयारण्यों का स्वतंत्र मूल्यांकन, बाघ अभयारण्यों को वित्तीय और तकनीकी सहायता, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए सामुदायिक विकास सुनिश्चित करते हुए वन्यजीवों के लिए ऐसा स्थान विकसित करना है जहां वे सुरक्षित रहे सकें। प्रदर्शनी का आयोजन एनटीसीए और सांकला फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। यह विभिन्न भारतीय शहरों और दुनिया भर में ऐसी प्रदर्शनियों की श्रृंखला में यह पहली प्रदर्शनी होगी।

@ फोर्थ इंडिया न्यूज़ टीम

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