हड़कम्प! आफत में है जान!

शिवशरण त्रिपाठी
लखनऊ।  योगी सरकार का हर एक दिन सूबे के लोगो के लिये मानो नई सुबह लेकर आने लगा है। गत १९ मार्च को सत्ता संभालने के बाद कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब योगी सरकार कोई न कोई बड़ा फ ैसला लेती दिखती हो। योगी सरकार ने जिस तरह हर मोर्चे पर एक साथ कार्य शुरू करने के साथ भ्रष्टाचार पर नकेल कसनी शुरू की है उससे लोगो में नई उम्मीद जगनी स्वाभाविक ही है।  पहली ही कैबिनेट बैठक में अपने संकल्प पत्र के एक अहम संकल्प लघु एवं सीमान्त किसानों के कर्ज माफ करने की सरकार की घोषणा से जहां किसानों में हर्ष की लहर व्याप्त है वहीं इस घोषणा का देश के अन्य राज्यों ने भी स्वागत किया है। महाराष्ट्र की भाजपा नीत गठबंधन की फ डऩवीस सरकार ने भी महाराष्ट्र के कर्ज में डूबे लघु व सीमान्त किसानों का कर्ज माफ  किये जाने की दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिये है।
मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने हर विभाग की कार्यप्रणाली समझने व उनकी खामियों/उपलब्धियों को जानने समझने की दृष्टि से हर विभाग का प्रस्तुतिकरण देखना/समझना शुरू कर दिया है। इससे उन्हे विभागों की कार्यप्रणाली का तो पता चल ही रहा है उनमें व्याप्त भ्रष्टाचारों की कलई भी खुलने लगी है।
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री सरकारी कार्यालयों में लोप होती कार्य संस्कृति को पटरी पर लाने के लिये जिस तरह मंत्रियों को औचक निरीक्षण के आदेश दिये है और जिस तरह मंत्रियों ने इस पर अमल शुरू कर दिया है उससे काम चोर अधिकारियों/कर्मचारियों में हड़कम्प की स्थिति व्याप्त है।  सोमवार को कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही व प्रदेश के वक्फ  हज मामलों के मंत्री मोहसिन रजा ने औचक छापे मारकर अधिकारियों/कर्मचारियों के होश उड़ा दिये।
कृषि मंत्री श्री शाही ठीक साढ़े ९ बजे कृषि भवन पहुंच गये। करीब २० मिनट इंतजार के बाद उन्होने इस मुख्यालय भवन के सारे गेट बंद करा दिये और उनकी चाबियां अपने पास रख ली। इसके चलते देर से आने वाले कर्मचारियों को गेट के बाहर ही रहना पड़ा। गुस्साये मंत्री जी ने समय से कार्यालय नहीं पहुंचने वाले अधिकारियो/कर्मचारियों का एक दिन का वेतन काटने का आदेश देने के साथ ही सफ ाई की कमी आदि की भी जमकर खबर ली। चेताया सुधर जाओं वरन कड़ी कार्यवाही के लिये तैयार रहो।
इसी प्रकार श्री मोहसिन रजा प्रात: १० बजे इन्दिरा भवन स्थित उत्तर प्रदेश शिया सेण्ट्रल वक्फ  बोर्ड जा पहुंचे। उस समय मौके पर उन्हे सिर्फ  एक कर्मचारी ही मिला बाकी सभी कर्मचारी व अधिकारी गैर हाजिर मिले। उन्होने कार्यालय का उपस्थित रजिस्टर अपने कब्जे में ले लिया और निर्देश दिया कि जो भी अधिकारी कर्मचारी गैर हाजिर है वो तीन दिनों के भीतर अपना स्पष्टीकरण दें। स्पष्टीकरण संतोषजनक न पाये जाने पर नियमानुसार आगे की कार्यवाही की जायेगी। निरीक्षण के दौरान मंत्री जी का पारा तब चढ़ गया जब खाली कमरों में सभी एसी, पंखे चलते पाये गये। उन्होने कहा कि हमारी सरकार गांव में बिजली देने के इंतजाम में लगी है और यहां ये हाल है। गुस्से में बोले सुधर जाओ वरना सस्पेंड कर दूंगा। ऐसी ही नाराजगी उन्होने रिकार्ड रूम में बेतरतीब पड़ी फ ाइलों को देखकर कर जताई। कार्यालय में अध्यक्ष की फ ोटो देखकर भी वह बिफ र पड़े बोले यह सरकारी दफतर है। यहां मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री अथवा राष्ट्रपति की फ ोटो लगनी चाहिये न की किसी और की। यह कोई ड्राइंग रूम है क्या?
समझा जा रहा है कि मंत्रियों के ऐसे औचक निरीक्षणों से कार्यालयों में अक्सर गायब रहने वालों को करारा झटका लगने वाला है। तमाम अधिकारी/कर्मचारी तो ऐसे है जो सिर्फ  हाजिरी लगाने आते है और बाकी समय अपना निजी कारोबार चलाते है। इस प्रवृत्ति पर कठोरता से अंकुश लगाने के लिये अब हर कार्यालय में बायोमैट्रिक हाजिरी लगाने की व्यवस्था शुरू की जा रही है। इससे निश्चित ही कार्य संस्कृति में व्यापक सुधार होगा।  इसी बीच मुख्यमंत्री द्वारा सभी अधिकारियों/कर्मचारियों को अपनी सम्पत्ति की घोषणा किये जाने के आदेशों के चलते खासकर भ्रष्ट अधिकारियों/कर्मचारियों ने भारी बेचैनी देखी जा रही है।
जैसी की खबरें मिली है ऐसे तमाम अधिकारी व कर्मचारी स्वैछिक सेवा निवृत्त लेने पर गंभीरता से विचार करने लगे है। यदि अगले दो तीन महीनों में स्वैछिक सेवा निवृत्त लेने वाले अधिकारियो व कर्मचारियों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी देखने को मिले तो आश्चर्य की बात न होगी।
आफत में है जान!
उत्तर प्रदेश के उन अधिकारियों, कर्मचारियों को तो अब यह पता चल ही गया होगा कि कोई ऐसे ‘योगीÓ नहीं बन जाता।  नित्य तड़के तीन-साढ़े तीन बजे उठकर अपनी दैनिक क्रिया शुरू करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस तरह ११-१२ बजे रात तक मुख्यमंत्री कार्यालय में बैठकर अधिकारियों से उनके विभागों की प्रस्तुतीकरण देख/समझ रहे है। जिस तरह वह हर काम को निपटाकर ही मुख्यमंत्री आवास कालीदास मार्ग जाते है चाहे जितना समय हो जाये उससे आराम तलब न भी सही तो अपने अनुसार कार्य करने वाले खासकर  नौकरशाहों की जान आफ त में देखी जा रही है। सुबह १०-११ बजे दफतर पहुंचना, २ बजे से ४ बजे तक लंच के रूप में विश्राम करना, मन आया तो ५ बजे तक दफतर आये मन नहीं किया तो घर पर ही जरूरी फ ाइले मंगा ली। ऐसे अधिकारियों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन ऐसा भी आयेगा।
ऐसे अधिकारियों के पास अब सिवाय योगी बनने के और कोई चारा भी नहीं रह गया है। हां अलवत्ता स्वैछिक सेवा निवृत्त उन्हे जरूर राहत दे सकती है तो भी जांच का डर बना ही रहेगा। रही केन्द्र सरकार में जाने की तो वहां मोदी जी भी तो चोखा काम लेने में पीछे नहीं रहते।

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