इस साल महज डेढ़ महीने में ही 37 सीआरपीएफ जवानों की शहादत को याद करके हर एक देशवासी की आखें नम हो जाना लाजमी है. पिछले पांच साल में छत्तीसगढ़ के सुकमा इलाके में लगातार सुरक्षाबलों की जानें जा रही हैं. इन सारी बड़ी वारदातों के पीछे एक ही शख्स का नाम आ रहा है, वो है हिडमा.
नक्सली हिडमा के ऊपर सरकार ने 40 लाख का ईनाम रख रखा है, तमाम कोशिशें कर ली गई हैं लेकिन वो न केवल उनकी पहुंच से दूर है बल्कि लगातार सुरक्षाबलों की जान ले रहा है. यहां तक कि पिछले दस साल से हिडमा को सार्वजनिक तौर पर कोई नहीं देख पाया है. हिडमा की जानलेवा सेना और उसकी खूनी रणनीति पर रिपोर्ट. कैसे काम करता है देश का सबसे खतरनाक नक्सली.
हिडमा नक्सलियों के सुकमा इलाके के दंडकारन्य स्पेशल जोन कमेटी प्रमुख रमन्ना का दाहिना हाथ है, यानि यहां नक्सली जो भी हमला करते हैं उसमें हिडमा शामिल रहता है. सीआरपीएफ के पूर्व आईजी वीपीएस पंवार कहते हैं कि वो बहुत ज्यादा फास्ट है. प्लानिंग भी उसकी बहुत पुख्ता रहती है.
हिडमा की टुकड़ी का नाम है पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी. पहली बटालियन और इसके काम करने का इलाका है बीजापुर, दांतेवाड़ा और साउथ सुकमा. हिडमा इसका यूनिट कमांडर है, जिसमें तकरीबन 250 लोग हैं. इस खूनी सेना का सेकेंड इन कमांड है सीतू. सीतू के नीचे फर्स्ट कमांडर सोनू और सेकेंड कमांडर नागेश है. खास बात ये है कि इस खूनी सेना के सारे कमांडर यानि हिडमा, सीतू, सोनू और नागेश के साथ हमेशा 40-50 आदमी मौजूद रहते हैं. खास बात ये है कि ये कमांडर कभी एक साथ नहीं चलते. वो सुकमा के अलग-अलग इलाकों में काम करते हैं. जैसे ही एक यूनिट सुरक्षाबलों पर हमला करती है दूसरी यूनिट उसको तुरंत सपोर्ट करने पहुंच जाती है.
बंकर का इस्तेमाल करती है हिडमा की सेना
हवाई हमलों से बचा जा सके इसके लिए आजकल नक्सल और खासकर हिडमा की खूनी टुकड़ी बंकरों का इस्तेमाल करती है. पहली बार ऐसे बंकरों का पता चला है जिसका इस्तेमाल नक्सल छिपने और सुरक्षाबलों का मुकाबला करने के लिए के लिए करते हैं. सुकमा के घने जंगलों में ऐसे बंकर कदम कदम पर नक्सलियों ने बनाए हैं..ये बंकर 5 फीट गहरे, 5 फीट लंबे और 5 फीट चौड़े होते हैं.
जरा 49 साल उम्र वाले 40 लाख के इनामी हिडमा द्वारा अंजाम दी गई घटनाएं
2010 में दांतेवाड़ा में नक्सली हमला, सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हुए.
2012 में सुकमा कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन का अपहरण
2013 में कांग्रेस नेताओं पर हमला, 31 लोग मारे गए थे
2017 में सिर्फ डेढ़ महीने के भीतर दो हमले, जिसमें 37 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए
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