
नई दिल्ली : हरियाणा आम आदमी पार्टी के नेता नवीन जयहिन्द ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर 5000 करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. जयहिंद ने आरोप लगाया है कि सीएम खट्टर खनन माफियाओं के सरदार हैं. जयहिंद सीएम खट्टर पर खनन के जिस बड़े घोटाले का आरोप लगा रहे हैं वह भिवानी जिले के डाडम खदान आबंटन का मामला है.
इंडिया संवाद से जयहिन्द ने कहा, इस खदान का आबंटन सीएम खट्टर ने ऐसे व्यक्ति को कर दिया जो इसके योग्य है ही नही. वह व्यक्ति दूध का कारोबार करता है और उसके पास खदान चलाने का लाइसेंस भी नहीं है. इस मामले के दस्तावेज जय हिन्द ने मीडिया के सामने रखे हैं. जय हिन्द का कहना है कि – इस मामले में एक पीआईएल के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने खट्टर की भूमिका पर भी टिप्पणी की है. जिसके आधार पर कहा जा सकता है कि इस खनन कारोबार में खट्टर भी शामिल है.
क्या है मामला ?
सब लोग देख लो cm @mlkhattar की ईमानदारी का ढोल कैसे फूटा है ।सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है cm शामिल है पूरे मामले में ।5000 करोड़ का घोटाला है pic.twitter.com/YQo0JpkR4V
— जयहिन्द भाई (@naveenjaihind) August 17, 2017
जय हिन्द का कहना है कि भिवानी जिले के दादम खान की नीलामी सरकार ने साल 2013 दिसंबर में की थी. इस नीलामी ने नवीन गोयल नाम के व्यक्ति ने केजेएसएल नाम की कंपनी के साथ एक संयुक्त कंपनी बनाकर हिस्सा लिया था. इस खान को पाने वाली केजेएसएल को 115 करोड़ हर साल सरकार को देने थे.
साल 2015 में केजेएसएल ने सरकार से कहा कि इस खदान का लाइसेंस रद्द किया जा जाए और सिक्योरिटी के रूप में जमा कि गई 28 करोड़ की राशि को वापस माँगा. हालाँकि नियमों के अनुसार आबंटन वापस पांच साल से पहले नहीं किया जा सकता है.जयहिंद ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि कंपनी द्वारा हाथ पीछे खीचे जाने के बाद आबंटन रद्द किया जाना चाहिए था. लेकिन ऐसा नही हुआ. इसके बाद नवीन गोयल न खट्टर को पत्र लिखा और खदान उनके नाम करने को कहा. और उन्हें ये खदान दे दी गई.
दो साल में खदान से हुआ 5000 का खनन
आप नेता जय हिन्द का कहना है कि सरकार द्वारा किसी भी खदान से एक साल में 1.5 मिलियन टन खनन की अनुमति है जो कि 7.5 लाख ट्रकों के बराबर है. एक ट्रक में लगभग 30 से 35 टन पत्थर ले जाया जा सकता है. जिसमे एक ट्रक कि कीमत 40 हजार के आसपास होती है.
इस हिसाब से इन ट्रकों कि कीमत 2500 करोड़ सालाना होती हैं. जय हिन्द का कहना है कि दो साल में इस खदान से 5000 का खनन हो चुका है. जबकि केजेएसएल कई बार सरकार से इस खदान का आबंटन रद्द करने कि मांग कर चुका है.
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