अब भारत माता सिर्फ उत्तर भारत की नहीं रहीं

पहली बार में भारत माता का ध्यान आते ही उनकी किस तरह की वेशभूषा दिमाग में आती है? भारत के नक्शे पर हाथ में तिरंगा लिए सफेद साड़ी में लिपटी एक स्त्रीशक्ति ही न? लेकिन रुकिए. अब उनकी इस वेश-भूषा में तब्दीली कर दी गई है. इन दिनों वे त्रिपुरा के पारंपरिक परिधान में भी नजर आ रही हैं.

चौंकने की ज़रूरत नहीं है. द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी ने भारत माता की वेशभूषा में यह बदलाव किया है. और इसके पीछे अगले साल मार्च में होने वाले त्रिपुरा विधानसभा के चुनाव को एक बड़ी वजह माना जा रहा है. यही नहीं भारत माता की वेशभूषा में आगे भी बदलाव किए जाने की योजना है. बताया जाता है कि उन्हें पूर्वोत्तर में रहने वाली अन्य जनजातियों के पारंपरिक परिधानों से भी सजाकर पेश किया जा सकता है.

त्रिपुरा के भाजपा प्रभारी सुनील देवधर इस पर रोशनी डालते हुए कहते हैं, ‘पूर्वोत्तर के लोगों में अब भी बाकी देश से अलगाव की भावना नजर आती है. इसीलिए उन्हें यह अहसास कराने के लिए कि वे भी भारत के हिस्से हें, भारत माता उनकी भी हैं, हम यह विचार अमल में लाए हैं. हर जनजाति की अनूठी संस्कृति और वेशभूषा होती है. हम उनकी इन विशिष्टताओं को भी इस तरह से सम्मानित करने की इच्छा रखते हैं.’

ख़बर के मुताबिक योजना के पहले चरण में त्रिपुरा की चार जनजातियों- देबबर्मा, त्रिपुरी, रियांग और चकमा के पारंपरिक परिधानों में भारत माता को सजाया जाएगा. उनकी ऐसी तस्वीरें भाजपा के विभिन्न कार्यक्रमों में दिखेंगी. फिर इस प्रयोग को अन्य राज्यों में भी आजमाया जा सकता है. वैसे यहां एक बात फिर ग़ौर करने की है कि त्रिपुरा की जिन चार जनजातियों को योजना के पहले चरण में शामिल किया गया है उनका हिस्सा राज्य की कुल आबादी का 77.8 फीसदी है.

 

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