अफ़ग़ानिस्तान में आतंक के पर्याय तालिबानियों ने किया तख्ता पलट.

(अरुण सिंह चंदेल,वरिष्ठ पत्रकार ,फोर्थ इंडिया न्यूज़ की एक रिपोर्ट)

नयी दिल्ली,17 अगस्त 2021, विश्व में सब से बड़ी घटना हुई अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता पलट बंदूकों के साये में, न कि मतदान के द्वारा। आतंक का प्रयाय कहे जाने वाले संघठन तालिबान ने काबुल तक कब्ज़ा कर वहा की अशरफ गनी की सरकार का तख्ता पलट दिया। अफगानिस्तान नागरीको में अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है।हवाई अड्डे में हजारों नागरिक व विदेशी लोग भीड़ लगाए बहार भागने को तैयार है ,काफी लोग अमेरिकी जहजों से बहार ले जाये गए है। भारत सरकार भी अपने नागरिकों को बहार निकलने का प्रयास कर रही है।वैसे अफगानिस्तान में रह रहे अपने नागरिकों को निकालने के लिए सभी देश लगे है।आज शाम साढ़े 4 बजे भारतीय वायुसेना का C-17 ग्लोबमास्टर काबुल के लिए रवाना किया गया है, हवाई जहाज काबुल एयरपोर्ट पर लैंड करेगा। बीस वर्षो तक चले युद्ध के बाद अमेरिका के सैनिकों की पूर्ण वापसी से दो सप्ताह पहले तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया। अब अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार लगभग बन गयी है।

सूत्र बताते है कि फगानिस्तान के राष्टपति अशरफ गनी कल ही काबुल छोडकर ओमान चले गए। अफगानिस्तान की राजधानी और सभी बडे शहरो में तालिबान के लडाके मौजूद हैं,सभी जगह अफगान सुरक्षाबलों ने घुटने टेक दिए। 1990 के दशक के अंत में तालिबान का देश पर कब्जा था और फिर उसका कब्जा हो गया है।अफ़ग़ानिस्तान में तालिबानी कब्ज़े की खबर से पाकिस्तान में कई जगह मिठाइयाँ बाँटी गयी, तालिबान ने मंगलवार को एक बयान जारी कर अपने लड़ाकों को किसी के घर में प्रवेश न करने का आदेश जारी किया है,ख़ासकर काबुल में दूतावास की गाड़ियों के साथ किसी तरह के हस्तक्षेप से बचने को कहा गया है।
तालिबान का पहला संवाददाता सम्मेलन मंगलवार को काबुल में अफ़ग़ानिस्तान पर दोबारा नियंत्रण हासिल करने के बाद आयोजित हुआ.
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुज़ाहिद ने पहली बार कहा, “20 साल के संघर्ष के बाद हमने देश को आज़ाद कर लिया है और विदेशियों को देश से बाहर निकाल दिया है.”।
अमेरिकी रक्षा विभाग के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि अमेरिकी सेना ने अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी नागरिकों और तालिबान के निशाने पर रहे अफ़ग़ानियों को निकालने की योजना बनाई है.।अफगानिस्तान की सत्ता हथियाने वाले तालिबान का उपनेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर फिर काबुल लौट आया। वह कतर की राजधानी दोहा में संगठन के अन्य नेताओं के साथ चर्चा के लिए वहां गया था। मुल्ला बरादर अफगानिस्तान में 20 साल से चल रहे युद्ध का विजेता बनकर उभरा है। उसे तालिबान का हीरो माना जा रहा है। बरादर ही अफगानिस्तान का अगला राष्ट्रपति बन सकता है।

नागरिकों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया कि किसी से बदला नहीं लिया जाएगा लेकिन काबुल से बाहर भागने वालों की लाइन लग गई,शहर से बाहर जाने वाली सड़कों पर लोग पते पड़े है।

तालिबान या तालेबान के नाम से भी जाना जाता है, एक सुन्नी इस्लामिक आधारवादी आन्दोलन है जिसकी शुरूआत 1994 में दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान में हुई थी।इसकी सदस्यता पाकिस्तान तथा अफ़ग़ानिस्तान के मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को मिलती है,1996 से लेकर 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के दौरान मुल्ला उमर देश का सर्वोच्च धार्मिक नेता था।1990 की शुरुआत में उत्तरी पाकिस्तान में तालिबान का उदय माना जाता है। 2001 के अफ़ग़ानिस्तान युद्ध के बाद यह लुप्तप्राय हो गया था पर 2004 के बाद इसने अपना गतिविधियाँ दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान में बढ़ाई हैं। फरवरी 2009 में इसने पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सरहद के करीब स्वात घाटी में पाकिस्तान सरकार के साथ एक समझौता किया है जिसके तहत वे लोगों को मारना बंद करेंगे और इसके बदले उन्हें शरीयत के अनुसार काम करने की छूट मिलेगी। पहले भी तालिबान ने 1996 में शासन में आने के बाद लिंग के आधार पर कड़े कानून बनाए। इन कानूनों ने सबसे ज्यादा महिलाओं को प्रभावित किया था। तालिबानी इलाकों में शरीयत का उलंघन करने पर बहुत ही क्रूर सजा दी जाती है।

अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता हासिल करने के बीच यहां की राजनीति में नया मोड़ आ गया है।जब देश के पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने मंगलवार की शाम को देश के संविधान का हवाला देते हुए खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर दिया।

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