उत्तर प्रदेश जुमलेबाज सरकार -आबकारी नीति- ख़ास के लिए ही होती है योजनाए , आम आदमी को दिखाओ आसमान में कबूतर

UP CM: Adityanath Yogi

 

लखनऊ। (अमित मौर्या) सरकार अपनी जुमलों से बाज नहीं आ रही है, चाहे वह राजस्व हित की बात क्यों न हो। हाल ही में घोषित वर्ष 2018-19 की आबकारी नीति भी जुमलेबाजी का एक नायाब उदाहरण है । जिसमें समानता, पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा की बात की गई है।परन्तु जिस प्रकार से ई लॉटरी के दौरान जटिलताओं का अंबार दिखाई पड़ रहा है उससे यह स्पष्ट हो चुका है कि यह नीति पूर्णतः विफल हो रही है। सरकार के दबाव में कोई भी मीडिया इसे खबर नहीं बना रही है। etv news द्वारा एक दिन छोटा सा बाईट दिखाया गया कि पूरी व्यवस्था किसी खास व्यवसायी के लिए बनाई गई है। छोटा और आम व्यापारी जो ई लॉटरी में सम्मलित होने का कयास लगाया था, वह इस नीति की जटिलताओं में उलझकर आबकारी विभाग पर जाकर चप्पल घिस रहा है।क्योंकि नीतिकारों के संदर्भ में आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से कोई सलाह स्वीकार नहीं किया गया है।जिसका नतीजा है कि यह नीति अव्यहारिक है। 21000करोड़ की भारी राजस्व की प्राप्ति दूर की कौड़ी दिखाई देती है।आबकारी विभाग की रीढ़ माने जाने वाले निरीक्षक वर्ग हतप्रभ है कि क्या होगा ? आबकारी राजस्व से कई अन्य विभागों के कर्मचारियों के वेतन व भत्ते दिये जाते हैं।

आबकारी नीति की जटिलतायें इस प्रकार की हैं कि हजारों इच्छुक और योग्यता रखने वाले आवेदनकर्ता हैसियत प्रमाण पत्र बनवाने ,चरित्र प्रणाम पत्र बनवाने में ही उलझे हुए हैं।यदि वे हैसियत प्रमाण पत्र बनवा भी लिए हैं तो 20 -02-2018 से लेकर अभी तक साईबर कैफ़े का चक्कर लगा रहे हैं क्योंकि आजतक सर्वर ठीक से काम नहीं कर रहा है तो कभी पेमेंट नहीं हो रहा है, तो कभी दुकानों की लिस्ट नहीं शो कर रहा है।जिन बैंकों की सूची दी गई है उनमें से बहुसंख्यक बैंक अन्य राज्यों की हैं। भारत के गांवों, कस्बों, शहरों की गलियों में अपनी शाखा खोलने वाला भारतीय स्टेट बैंक ,ग्रामीण बैंक इस सूची में सम्मिलित नहीं है।इससे लोगों को भारी असुविधा हो रही है।आम व्यवसायी आबकारी विभाग के अधिकारियों को फोन कर गालियां दे रहा है, जबकि बड़े व्यावसायिक समूहों की मिलीभगत से ऊपर बैठे अधिकारियों ने अडानी समूह या इसी तरह के किसी अन्य व्यावसायिक घराने को लाभ पहुचाने की योजना से ऐसी नीति बनायी गयी है।जबकि ऊपर से सबको अवसर, समानता, प्रतिस्पर्धा का झूठा जुमला दिया गया है।