कथा के दूसरे दिन शुकदेव के जन्म का वृतांत सुनाया

रायबरेली।(संदीप मौर्या ) जीआईसी ग्राउंड में 4 से 10 नवम्बर तक आयोजित साप्ताहिक श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन छतरपुर से पधारे कथाव्यास राजन जी महाराज ने राजा परीक्षित का जन्म, भगवान शुकदेव का जन्म, भगवान शंकर द्वारा माँ पार्वती को अमर कथा सुनाना आदि प्रसंगों का वर्णन किया। भगवान शंकर जब मां पार्वती को अमर कथा सुना रहे थे, उस समय व्यास मंच के पीछे अंडे के रूप में शुकदेव जी विराजमान थे और कथा श्रवण कर रहे थे। भोले जी को पता लगने पर वे क्रोधित होकर उनके पीछे त्रिशूल लेकर भागे और कैलाश पर्वत के नीचे बद्रीनाथ धाम में वेदव्यास जी की धर्मपत्नी विटका देवी के गर्भ में प्रवेश कर गए और बारह वर्ष तक उनके गर्भ में ही रहे और बाहर आते ही संन्यास के लिए चले गए। अर्थात कथाव्यास के सन्मुख बैठकर कथा सुनने ही धर्मलाभ की प्राप्ति होती है, कभी-भी कथाव्यास के पीछे बैठकर कथा नहीं सुननी चाहिए। उन्होंने आगे बताया कि श्रीमद्भागवत के श्रवण मात्र से व्यक्ति के सोच विचार कर्म सुधर जाते हैं परिणाम स्वरूप जीवन सुखमय हो जाता है स व्यक्ति पाप से बचने लगता है और धीरे धीरे उसमे भक्ति जन्म लेने लगती है जो उसे प्रभु चरण तक ले जाती हैस भगवान अपने भक्तों की सदा रक्षा करते हैं भक्तों पर उनकी कृपा सदा बरसती रहती हैं जिससे भक्त पूर्णकाम हो जाते हैंस इस दौरान कथावाचक ने ‘लेेले लेले रे हरि का नाम…. ‘राधा नाम की लगाई फुलवारी पत्ते-पत्ते पर श्याम बोलताश् आदि कई मधुर भजन सुनाए जिन पर श्रद्धालु आनंदविभोर हो प्रभु भक्ति में जमकर नाचे। इस अवसर पर मुख्य आयोजक हरिश श्रीवास्तव (सपत्नीक), ओ पी शुक्ला, बाल कृष्ण अवस्थी, सुनील शुक्ला राजा राम पाण्डेय, शशिकांत अवस्थी, अ