कलम के सिपाहियों पर हमला करने वालों पर लगे रासुका-कानपुर जर्नलिस्ट क्लब

कानपुर :-यूपी के इलाहाबाद में आज बसपा नेता की हत्या के बाद जमकर बवाल किया मृतक राजेश यादव के समर्थकों और बसपा कार्यकर्ताओं ने इलाहाबाद में जमकर उत्पात चलाया। आक्रोशित समर्थकों ने सिटी बस में आग लगा दी और सड़कों पर आगजनी और पत्थरबाजी भी की।
उपद्रवियों ने पत्रकारों को भी नही बख्शा। पत्रकारों के साथ भी जमकर मारपीट और लूटपाट की,बसपा नेता की हत्या के बाद हो रहे बवाल को कवरेज कर रहे पत्रकारो पर जानलेवा हमला किया गया, उपद्रवियों ने पथराव के दौरान मीडियाकर्मियों को निशाना बनाया। हमले के दौरान उपद्रवियों ने मीडियाकर्मियों को पीटकर जख्मी कर दिया और उनके मोबाइल भी लूट लिए।

हमले में हमारे पत्रकार साथी (आजतक) के पंकज श्रीवास्तव, (इंडिया टीवी) के ईमरान लाइक, (इंडिया वॉइस) के अमित श्रीवास्तव, ईटीवी के मनीष पालीवाल, ओके इंडिया के पवन मिश्रा समेत कई पत्रकार घायल हो गए इनके मोबाइल तोड़े गए यही नही दबंगों ने इनके साथ लूटपाट भी की
उक्त घटना की जानकारी मिलते ही कानपुर जर्नलिस्ट क्लब नें तत्काल एक बैठक का आयोजन किया जिसमे दर्जनों पत्रकार शामिल हुए सभी ने कड़ी निन्दा करते हुए मुख्यमंत्री से पत्रकारों पर हमला करने वालों पर कड़ी कार्यवाही करते हुए उनपर रासुका लगाए जाने की मांग की।
वही संस्था के अध्यक्ष अनुज शुक्ला ने इलाहाबाद के प्रकरण को लेकर CM योगी आदित्यनाथ को ट्वीट कर पूरे मामले में हमलावरों के खिलाफ तत्काल कड़ी कार्यवाही की मांग की है।

वही संस्था के महामंत्री ओमबाबू मिश्रा ने फोन द्वारा जानकारी दी कि पत्रकारों पर बार बार हो रहे हमलों को लेकर अगर सरकार जल्द ही कोई ठोस कार्यवाही नही करती तो जल्द पत्रकारो के लिये कानपुर जर्नलिस्ट क्लब सड़को पर उतर कर आंदोलन करने को बाध्य होगा।

वरिष्ठ पत्रकार गौरव चतुर्वेदी ने घटना का विरोध करते हुए इस कृत्य की निंदा की, उन्होंने कहा कि आज लेखकों और पत्रकारों को निशाना बनाया जाना लोकतंत्र के लिए अच्छा सँदेश नही है।

वरिष्ठ पत्रकार मनीष निगम ने कहा कि पत्रकारो पर हमला संवैधानिक अधिकारों पर हमला है। पत्रकारों को निशाना बनाकर उन पर हमला करना यह दिखाता है कि हम बहुत ही खतरनाक समय में पत्रकारिता कर रहें हैं हमारा जीवन हर समय दांव में लगा रहता है।

संस्था के उपाध्यक्ष अभय त्रिपाठी ने कहा कि जिस भारतीय लोकतंत्र को मजबूत होना था वह लगातार कमजोर हो रहा है प्रतिक्रियावादी ताकतें चाहती हैं कि सिर्फ समर्थन का ही स्वर सुनाई दे। यूपी में इन दिनों कलम के सिपाहियों पर हो रहें कातिलाना हमले सिर्फ पत्रकारों पर हमला नही है बल्कि लोकतंत्र के चार स्तम्भों में से एक स्तम्भ को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। जो कि आने वाले समय में लोकतंत्र को ध्वस्त होने से नहीं बचा सकता।

संस्था के कोषाध्यक्ष अविनाश उपाध्याय ने कहा जब दुनिया के किसी भी कोने में कुछ भी अवांछित घटनाएँ घटती हैं या फिर कोई इंसानियत को शर्मशार करती हुई बातें सामने आती है, तो एक यही जगत है जो “बिना डरे, बिना रुके, बिना थके” दुनिया ऐसे जगह जहाँ सूर्य की किरण नहीं पहुँच पाती है वहां से इंसान को इंसाफ दिलवाने का काम करती है। लेकिन आज ऐसा प्रतीत होता है कि यह जगत खुद खतरे में हैं।

संस्था के मन्त्री श्याम तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता ही एक ऐसा पेशा है जो दिनरात एक करके लोगों के सामने हर एक सच्चाई चाहे वह किसी की बहादुरी हो, किसी का भ्रस्टाचार हो, किसी की मज़बूरी हो या किसी की जरूरत हो, हर एक लोगों के सामने परोसती है। फिर भी पत्रकारों को निशाना बनाकर हमला करने वाली वारदातें इंसानियत को शर्मशार करती है।

वही सभी ने एक सुर में कहा कि आखिर हम कब तक अपने इस चौथे स्तम्भ के एक एक इंट के गिरने पर श्रधांजलि और निंदा करते रहेंगे।क्या इन हमलों का सिलसिला थमेगा? अगर हाँ तो कब तक? क्या इस सिलसिला को रोकने के लिए राज्य या केंद्र सरकार कुछ कदम उठाएगी?

बैठक में प्रमुख रूप से संयुक्त मन्त्री तरुण अग्निहोत्री,चंद्र प्रकाश गुप्ता आशीष अवस्थी,संतोष कुरील,प्रभात गुप्ता समेत अन्य पत्रकार मौजूद रहे।