कानपुर रोटोमैक घोटाला – 3700 करोड़ के घोटाले का पूरा सच

नई दिल्ली: विक्रम कोठारी का फर्जीवाड़ा जितना बड़ा है, उतना ही बड़ा है उसके परिवार का कद भी है. कोठारी परिवार की जन्मभूमि गुजरात रही है लेकिन परिवार ने कर्मभूमि के तौर पर यूपी के कानपुर को चुना. एक समय था जब कोठारी परिवार की कंपनियों की देश में तूती बोला करती थी.

कंपनी के पेन का विज्ञापन बड़े सितारों से करावाया. 90 के दशक में रवीना टंडन एक विज्ञापन में दिखती थीं. उस वक्त इसका टैगलाइन था, ”लिखते-लिखते लव हो जाए.” पेन के लिए फिल्म स्टार सलमान खान ने भी ऐड कैंपेन की. फिर मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ऐड में ये कहते दिखे,  ”लिखो इंडिया की नई पहचान.”

 

जिस पेन के लिए फिल्मी दुनिया के तमाम सितारे ऐड पर ऐड कर रहे थे उसे बनाने वाली कंपनी रोटोमैक के मालिक विक्रम कोठारी हैं. पेन बेचकर देश के सात बैंकों को चूना लगाने वाले विक्रम कोठारी का नाता देश के जाने माने पराग समूह से रहा है.

    • विक्रम कोठारी के पिता मनसुख भाई कोठारी ने 1973 में वो पराग कंपनी शुरू की.
    • जिसका पान पराग एक वक्त पर घर घर में मशहूर हो गया था.
    • 1983 से 87 के बीच पान पराग विज्ञापन देने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में से थी.
    • मनसुख भाई के निधन के बाद उनके दो बेटे विक्रम और दीपक कोठारी के बीच बंटवारा हुआ.
    • तब विक्रम कोठारी ने पेन बनाने वाली कंपनी रोटोमैक शुरू की.
    • 1995 के दौरान रोटोमैक कंपनी पेन की दुनिया में सबसे बड़ी ब्रांड बन गई. इसका मुनाफा तब भी करोड़ों में था.

 

  • यही वजह थी कि विक्रम कोठारी को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के हाथों बेस्ट एक्स्पोर्टर ऑफ द इयर का सम्मान भी मिला.

डायमंड किंग मामा-भांजे के घोटाले के बाद अब देश में पेन किंग का फर्जीवाड़ा सामने आया है. रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटर और मालिक विक्रम कोठारी पर बैंकों के 3700 करोड़ रुपये ना लौटाने के बाद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है. दिल्ली से लेकर कानपुर तक विक्रम कोठारी के कई ठिकानों पर सीलबंदी और छापेमारी हुई है. कोठारी पर देश के सात बैंकों को 3700 करोड़ रुपयों का चूना लगाने का आरोप है.

 

विक्रम कोठारी पर हैं ये आरोप

    • विक्रम कोठारी ने सात बैंकों से कुल 2919 करोड़ रुपये लोन लिए थे.
    • ब्याज के साथ मिलाकर ये आंकड़ा 3695 करोड़ रुपये पहुंच चुका है.
    • लोन देने वाले बैंकों में बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स है.

इसमें से बैंक ऑफ बड़ौदा ने सीबीआई को शिकायत की थी कि विक्रम कोठारी उनकी पत्नी और बेटे ने बैंक से लोन लेने के नाम पर हेराफेरी की. सीबीआई के मुताबिक रोटोमैक कंपनी ने सात बैंको से दस साल पहले लोन लेना शुरू किया था लेकिन वक्त के साथ लोन कम होने की जगह बढ़ता ही गया.

 

घोटाले की शुरूआत

सबसे पहले साल 2008 में कोठारी ने 200 करोड़ रुपये लिए. फिर साल 2010 में 520 करोड़ का लोन लिया. साल 2011 मे एक नया लोन 585 करोड़ का लिया गया. इसके साथ ही विक्रम कोठारी को साल 2012 में 585 और साल 2013 में 585 करोड़ रुपये बैंकों ने बतौर लोन दिए.

रोटोमैक का बैंको से लोन मंजूर कराने का तरीका भी अजीब था. वह कभी गेंहू खरीदने के नाम पर लोन लेता था तो कभी एक्सपोर्ट ऑर्डर को पूरा करने के नाम पर लोन लेता था. जबकि पैसा कही और लगाया जाता था.

सीबीआई के मुताबिक गेहूं खरीद के लिए लिया गया पैसा रायपुर के एक खाते में भेजा गया और वहां से सीधे सिंगापुर ट्रांसफर कर दिया गया. यही नहीं बैंकों से मिले कर्ज से ही विक्रम कोठारी ने हीरे खरीदे और भुगतान के नाम पर अपनी ही दूसरी कंपनियों में पैसा RTGS से ट्रांसफर कर दिया. सीबीआई ने इस मामले में विक्रम कोठारी की पत्नी साधना और बेटे राहुल से भी पूछताछ की है. एहतियात के तौर पर सबके पासपोर्ट भी जब्त कर लिए गए हैं.