कासगंज दंगे के पीछे आखिर क्या थी मंशा ? किसकी थी योजना ?

 

कासगंज।  69वें गणतंत्र दिवस पर एक ओर जहां पूरा देश जश्न मना रहा था, तो वहीं उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में कुछ शरारती तत्वों ने हिंसा को हवा दे दिया। देखते-देखते हालात बेकाबू हो गए और दो गुटों के बीच हुए संघर्ष में एक युवक की जान चली गई। जबकि दो घायल हुए हैं। इस घटना के बाद शुक्रवार को कासगंज में कर्फ्यू लगा दिया गया और भारी तादात में पुलिस, पीएसी और आरएएफ को भी तैनात कर दिया गया।

बावजूद उसके शनिवार यानी 27 जनवरी को एक फिर कुछ लोगों ने मामले को तूल पकड़ा दिया और कई दुकानों और बसों को आग के हवाले कर दिया। जिसमें तनाव एक बार फिर भयानक रूप ले लिया। फिलहाल कासगंज की स्थिति पर सीएम योगी नजर बनाए हुए हैं उन्होंने शास्त्री भवन में गृह विभाग और एडीजी एलओ के साथ बैठक कर पूरे मामले की जानकारी ली।

क्या है पूरा मामला
दरअसल 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के दिन थाना कोतवाली क्षेत्र में बिलराम गेट के पास से तिरंगा यात्रा के दौरान भारत माता की जय, वंदे मातरम् के नारे गूंज रहे थे। तभी किसी बात को लेकर दूसरे गुट ने आपत्ति जताई तो मामले बिगड़ गया। जिसके बाद दोनों पक्षों में भिड़ंत हो गई।


यही दोनों तरफ पत्थरबाजी शुरू हो गई और गोलियां भी चलने लगी। इसके बाद हुई आगजनी एवं फायरिंग में एक युवक की मौत हो गयी जबकि दो अन्य घायल हो गए। जिला प्रशासन ने हिंसाग्रस्त इलाके में कल कर्फ्यू लगा दिया था।

शनिवार को क्या हुआ
गोलीबारी में घायल एबीवीपी कार्यकर्ता चंदन की मौत के बाद एबीवीपी और दूसरे संगठनों ने शव का अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया। जिसके बाद सीएम योगी ने मामले का संज्ञान लिया और पीड़ित परिवार को मुआवजे का आश्वासन देते हुए कार्रवाई कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया तो घरवालों ने अंतिम संस्कार के लिए हामी भरी। चंदन के अंतिम संस्कार में बीजेपी सांसद सहित सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए।

अंतिम संस्कार के बाद फिर भड़की हिंसा
चंदन का अंतिम संस्कार के बाद जब लोग लौट रहे थे तभी एक बार कुछ शरारती तत्वों दुकानों और बसों को आग के हवाले कर दिया। देखते ही देखते कई दुकान खाक हो गई। वहीं हालात बिगड़ते देख मौके पर आगरा के एडीजी सहित तमाम बड़े अफसरों को कासगंज के लिए रवाना कर दिया गया। फिलहाल कासगंज की सीमा को पूरी तरह से सील कर दिया गया और पूरे हालात पर जिला प्रशासन नजर बनाए हुए है।

हिंसा के पीछे किसका हाथ ?
जिस वक्त पूरा देश गणतंत्र दिवस के जश्न में डूबा था, कासगंज में कुछ लोगों ने तिरंगा यात्रा में खलल डालकर हिंसा का रूप दे दिया। सूबे में जब से योगी सरकार बनी है। कानून-व्यवस्था को पटरी पर लाने से योगी सरकार तमाम बड़े फैसले कर चुकी है। बावजूद उसके कासगंज जैसी हिंसा योगी सरकार के लिए कहीं न कहीं मुश्किल खड़ी कर रही है।

धरने पर बैठीं साध्वी प्राची
वहीं, कासगंज जा रहीं साध्वी प्राची और उनके काफिले को सिकंदराराऊ पुलिस ने कासगंज रोड पर रोक दिया। इस दौरान साध्वी के समर्थकों की पुलिस से नोकझोंक हुई। साध्वी अपने समर्थकों के साथ पंत चौराहा पर धरने पर बैठ गईं। इससे अलीगढ़-एटा और मथुरा-बरेली मार्ग जाम लगा रहा। तनावपूर्ण हालात को देखते हुए बड़ी तादाद में फोर्स तैनाती की गई है।