डीआईओएस व प्राचार्य पर एफआईआर दर्ज करवाने हेतु पुलिस अधीक्षक को दिया पत्र

 

बहराइच।(डीपी श्रीवास्तव ) शारदा सहायक परियोजना इंटर कॉलेज गिरिजा पुरी घोटाले व अवैध नियुक्तियों के लग रहे आरोपों के बीच जिला विद्यालय निरीक्षक बहराइच की संलिप्तता को लेकर मामला गर्म होने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी अपराध का खुलासा कर एफआईआर दर्ज करवाने के बजाय मामले को उलझाने का ही कार्य करते देखे जा रहे हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा जब तमाम लिखा-पढ़ी व शिकायत के बाद भी डीआईओएस द्वारा हठधर्मी दिखाते हुए कोई कार्यवाही नहीं की गई तो पुलिस अधीक्षक को एफआईआर दर्ज करने हेतु प्रार्थना पत्र दे दिया गया।

सामाजिक कार्यकर्ता रोशनलाल नाविक द्वारा पुलिस अधीक्षक को दिए गए शिकायती पत्र में कहा गया है कि पूर्व में ही डीआईओएस बहराइच से सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत शारदा सहायक परियोजना इंटर कॉलेज गिरिजा पुरी बहराइच के वित्तीय शैक्षणिक वर्ष 2015-16 व 2016-17 की उपस्थिति पंजिका की प्रमाणित छायाप्रति मांगी गई थी ,लेकिन उनके द्वारा उक्त छायाप्रति उपलब्ध ना करवाकर एक पृष्ठीय पत्र के माध्यम से यह जानकारी दी गई की उक्त मामले की आयोग में सुनवाई तिथि 09-11-2017 बताकर लिखा कि प्रभारी प्रधानाचार्य इसरारुल रहमान द्वारा पंजीकरण अप्राप्त रहने के कारण सूचना देना संभव नहीं है जबकि अभिलेखों के पर्याप्त रहने का ठीकरा तत्कालीन प्रधानाचार्य पर फोड़ा गया। और जब उक्त विद्यालय के तत्कालीन प्रधानाचार्य से दिनांक 12-05-2017 को 8 बिंदुओं पर सूचना मांगी गई तो मात्र 3 बिंदुओं की सूचना देते हुए अभिलेखों की सूचना दिए जाने के लिए शुल्क 550/- जमा करवाने की बात कही गई लेकिन शुल्क जमा करने के बाद भी कोई जानकारी नहीं दी गई। श्री नाविक द्वारा यह भी लिखा गया कि सूचनाएं उसी प्रधानाचार्य के पास ही थी क्योंकि सूचना ना होने की दशा में मुझसे 550/- का शुल्क जमा नहीं करवाया जाता जिसका एक प्रमाण आयोग में दिनांक 4-1-2018 को लगी पेशी में प्रधानाचार्य व जिला विद्यालय निरीक्षक का ना पहुंचना भी था।

श्री नाविक द्वारा बताया गया कि संपूर्ण घटनाक्रम का मेरे द्वारा हवाला देते हुए प्राचार्य के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करवाने हेतु डीआईओएस को भी लिखा गया था प्राचार्य को दोषी पाए जाने के बाद भी कोई एफआईआर दर्ज नहीं करवाई गई, जबकि उनके द्वारा पूर्व में लिखित रुप से बताया गया था कि प्राचार्य दोषी हैं व कार्यवाही गतिमान है श्री नाविक द्वारा दोनों पर आपसी सांठ-गांठ का आरोप लगाते हुए लिखा गया है कि उपस्थित पंजिका एक राजकीय अभिलेख होने के साथ-साथ विद्यालय कर्मचारियों के उपस्थित का साक्ष्य भी होता है जिसे
कतिपथ निजी संपत्ति के तौर पर नहीं रखा जा सकता जो कि उक्त दोनों की सांठ-गांठ से किया गया एक आपराधिक कृत्य है, जिसका खुलासा करने के लिए उक्त दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया जाना नितांत आवश्यक है।ताकि बहराइच की आवाम को भी पता चल सके कि इस जिले में भ्रष्टाचार की जड़े कितनी मजबूत है।

फिलहाल मामला जो भी हो लेकिन लोगों की माने तो डीआइओएस कार्यालय से समय समय पर उठ रहे भ्रष्टाचार के बीच कई मोहकमे की राज्यमंत्री के कार्यवाही पत्रों का विभाग द्वारा संज्ञान न लिया जाना वा सब कुछ जानने के बाद भी जिला प्रशाशन का निष्क्रीय बना रहना उक्त भ्रष्टाचार के पीछे कई बड़े सफेदपोशों के शामिल होने की ओर भी इशारा कर रहे हैं।