निर्दलीय उम्मीदवारों में “चुनाव-चिन्ह” को लेकर कहीं खुशी-कहीं गम

  •  निकाय चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों को आवंटित किये गये चुनाव चिन्ह
  •  किसी को मिला मन माफिक चुनाव निशान तो किसी को लेना पड़ा बेमन
  •  कोई डमरू पाकर खुश तो कोई त्रिशूल की वजह से दिखा दुःखी
  •  महापौर प्रत्याशियों सहित सभासद के निर्दलीय लड़ाकों को दिये गये चुनाव निशान
  •  डमरू वाले बाबा के भक्त होने के कारण खुश तो त्रिशूल वाले मुश्लिम मतदाताओं में समीकरण बिगड़ने से नाखुश

कानपुर महानगर| (सर्वोत्तम तिवारी)  निकाय चुनाव में किस्मत आजमा रहे निर्दलीय प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह को लेकर बेसब्री से इंतजार था| हौले हौले आज वो दिन आ ही गया| नगर निगम मुख्यालय मोतीझील में सुबह से ही प्रत्याशियों की आवाजाही शुरू हो गई थी| लेकिन जैसे ही चुनाव चिन्ह मिलना चालू हुआ तो “कहीं खुशी-कहीं गम” का नजारा देखने को मिला|

नगर निकाय चुनाव में अपने अपने वार्डों में निर्दलीय ताल ठोंक रहे लड़ाकों में जहाँ चुनाव चिन्ह के नाम पर कोई “डमरू” पा कर खुश था तो वहीं “त्रिशूल” पाकर कोई दुःखी दिखा| किसी को मनमाफिक चुनाव चिन्ह मिला तो उसका चेहरा खिल उठा तो किसी को मनमुताबिक चुनाव निशान न मिलने पर बेचैन और उदास देखा गया|

वार्ड 29 ओमपुरवा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे विपिन शुक्ला को डमरू मिला

वार्ड 29 ओमपुरवा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे विपिन शुक्ला को निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव चिन्ह के रूप में “डमरू” बताया गया तो वह खुश हो उठे| विपिन ने कहा मैं बाबा का भक्त हूँ इस लिये भोलेनाथ का डमरू मुझे मिला है| और यह चुनाव निशान पाकर मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि मेरे मनमुताबिक मुझे चुनाव चिन्ह मिला है|

वहीं वार्ड 3 चुन्नीगंज से निर्दलीय प्रदीप कुमार को त्रिशूल मिला

वहीं वार्ड 3 चुन्नीगंज से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे प्रदीप कुमार “त्रिशूल” चुनाव चिन्ह मिलने पर वो दुःखी दिखे| प्रदीप कुमार का कहना था कि मेरे वार्ड में मुश्लिम मतदाताओं की संख्या भी कम नहीं है इस लिये त्रिशूल चुनाव चिन्ह से कहीं न कहीं समीकरण बिगड़ सकता है| उन्होंने कहा कि नगर निगम अधिकारियों से आग्रह किया कि हमारा चुनाव चिन्ह त्रिशूल बदल कर हमें चुनाव चिन्ह “बल्ब” दे दिया जाये| लेकिन नगर निगम प्रशासन ने मेरा निवेदन नहीं माना जिसके कारण हमें बेमन त्रिशूल चुनाव निशान लेना पड़ रहा है|

वार्ड 91 शास्त्रीनगर से निर्दलीय उम्मीदवार रिक्कू यादव को चुनाव चिन्ह घंटी मिली

इसी के साथ और भी कई रणबाँकुरे ऐसे दिखे जो चुनाव निशान को लेकर उत्साहित दिखे तो कई मुँह बनाये नजर आये| वार्ड 91 शास्त्रीनगर से निर्दलीय उम्मीदवार रिक्कू यादव को  चुनाव चिन्ह घंटी मिली तो वार्ड 74 श्यामनगर से सुमित यादव को चुनाव निशान कार आवंटित की गई|

इसी तरह ममता कश्यप को धान का पौधा, तो वरुण यादव को बाइक, सपना कनौजिया को घंटी, तो किसी को हथौड़े से संतुष्ट होना पड़ा|
नगर निगम चुनाव में राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशियों के साथ साथ निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या भी कम नहीं है| जिसमें तो कई कई वार्डों में पार्टी की उपेक्षा का शिकार हुये प्रत्याशी हैं जो कि निर्दलीय होकर भी बड़े बड़े दिग्गजों को टक्कर देते हुये उनके समीकरण बिगाड़ रहे हैं|
आगामी 22 नवम्बर को कहीं कमल डमरू से टकरायेगा तो कहीं पंजा त्रिशूल से…. कहीं झाड़ू धान के पौधे से टककरायेगी तो कहीं साइकिल, कार से| आने वाले दिनों में मौषम के बदलाव के साथ साथ चुनावी घमासान भी जोरों पर होगा|