पुलिस तंत्र से जूझतीं बलात्कर पीड़ित महिलाएं, यहां होते हैं सबसे ज्यादा बलात्कार, औरतों के लिए खतरनाक भारतीय शहर

पेशे से शेफ 35 साल की थाबीसेंग माबुजा एक मिनी बस में सवार होकर अपने काम पर जा रही थीं. बस में वह अकेली ही सवारी थीं. इसी बात का फायदा उठाकर ड्राइवर ने उनके साथ बलात्कार किया

थाबीसेंग माबुजा (बदला हुआ नाम) दक्षिण अफ्रीका में हर साल बलात्कार का शिकार बनने वाली उन हजारों महिलाओं में शामिल हैं जिनके लिए इंसाफ पाने का रास्ता बहुत मुश्किल होता है. माबुजा के साथ बलात्कार करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया. कई महीनों तक उसे हिरासत में रखा गया, लेकिन बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया.

अब दो साल हो गये हैं, लेकिन मामला अदालत तक नहीं पहुंच पाया और इस बीच बलात्कार का आरोपी भी गायब हो गया है. माबुजा इस बात से नाराज है कि पुलिस ने उसे रिहा ही क्यों किया. उनके मुताबिक, उन्हें डर है कि वह आसपास ही घूम रहा होगा.

माबुजा कहती हैं, “जिस दिन मुझे गवाही देनी थी, तो उसका (संदिग्ध बलात्कारी का) कुछ अता पता ही नहीं था.” यह बात उस दिन की है जब माबुजा इस उम्मीद में आखिरी बार अदालत गयी थीं कि आखिरकार उनका मुकदमा शुरू होगा. जोहानेसबर्ग में अपने घर पर पति के साथ बैठी माबुजा कहती हैं, “तब से कुछ नहीं हुआ है.”

पुलिस अधिकारियों से यह जानने की उनकी कोशिशें भी बेकार साबित हुईं कि मामले की जांच कहां तक पहुंची है. पुलिस मामलों के मंत्री फिकिले म्बालुला भी मानते हैं कि देश के पुलिस थानों में कुछ कमियां हैं और वह उन्हें जल्द दुरुस्त करने की बात करते हैं. एएफपी को दिये इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “हमें अपने लाखों लोगों की तकलीफों और शिकायतों पर ध्यान देना होगा कि हमारी पुलिस (बलात्कार से जुड़े मामलों में) पर्याप्त कदम नहीं उठाती है.”

वहीं मेडिकल रिसर्च काउंसिल की रिपोर्ट कहती है कि दक्षिण अफ्रीका की पुलिस को इस बात की पर्याप्त ट्रेनिंग भी नहीं मिली है कि वह बलात्कार से जुड़े मामलों से कैसे निपटे. इसके अलावा काम के दबाव और परिहवन की कमी की समस्याएं भी उसके सामने हैं.

आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि दक्षिण अफ्रीका में अप्रैल 2015 से मार्च 2016 के बीच बलात्कार के 51,895 मामले दर्ज हुए. लेकिन कार्यकर्ताओं का कहना है पुलिस तक तो बहुत ही कम मामले पहुंच पाते हैं. दर्जनों गैर सरकारी संगठन पीड़ित महिलाओं की मदद कर रहे हैं.

मेडिकल रिसर्च काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण अफ्रीका में बलात्कार का कारण एक तरफ हिंसक राजनीतिक इतिहास है तो दूसरी तरफ लैंगिक असमानता. दक्षिण अफ्रीका में यौन अपराधों से निपटने के लिए नयी अदालतें खोली गयी हैं. अब तक ऐसी 57 अदालतें शुरू हो चुकी हैं. हालांकि कार्यकर्ताओं का कहना है कि इनकी संख्या को बढ़ाने की जरूरत है.

 

यहां होते हैं सबसे ज्यादा बलात्कार

1. दक्षिण अफ्रीका

पहले नंबर पर दक्षिण अफ्रीका है जहां प्रति एक लाख बलात्कार के 132 मामले रजिस्टर हुए.

2. बोत्स्वाना

इस सूची में दूसरे नंबर पर अफ्रीकी देश बोत्स्वाना है जहां प्रति लाख बलात्कार के 93 मामले दर्ज हुए.

3. स्वीडन

सबसे ज्यादा बलात्कार वाली सूची में तीसरे नंबर पर यूरोपीय देश स्वीडन है जहां प्रति लाख 69 मामले दर्ज हुए.

4. निकारागुआ

निकारागुआ कुछ साल पहले तक युद्ध पीड़ित रहा है. वहां प्रति लाख 31.6 मामले दर्ज किये गये.

5. ग्रेनेडा

हिंसा और बलात्कार अहम मुद्दा है. सालाना प्रति लाख 30 मामले दर्ज. देश की आबादी ही एक लाख है.

6. पाकिस्तान

भारत का पड़ोसी छठे नंबर है. यहां सालाना बलात्कार के प्रति लाख 28.8 मामले सामने आते हैं

7. सेंट किट्स

कैरिबिक देश सेंट किट्स यूं तो बहुत छोटा है लेकिन बलात्कार के मामले में यह ऑस्ट्रेलिया के साथ खड़ा जहां प्रति लाख 28.6 मामले सामने आए.

8. ऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया में 28.6 प्रति लाख की दर है. यहां लोग शिकायत भी करते हैं और पुलिस कार्रवाई भी करती है

9. पनामा

मध्य अमेरिकी देश पनामा में बलात्कार की दर 28.3 है जिसमें ज्यादातर वैवाहिक बलात्कार के मामले हैं

10. बेल्जियम

यूरोपीय देश बेल्जियम इस सूची में 27.9 मामलों के साथ दसवें नंबर पर है. यहां सजा अपेक्षाकृत कम है.

 

औरतों के लिए खतरनाक भारतीय शहर

नंबर 6: दुर्ग-भिलाई, छत्तीसगढ़

दुर्ग और भिलाई दोनों नगरों को मिलाकर आंकड़े खतरनाक रहे. 10 लाख लोगों के इन शहरों में क्राइम रेट 16.4 रहा और रेप की दर रही 7.9.

नंबर 5: नागपुर, महाराष्ट्र

राज्य की दूसरी राजधानी नागपुर में 2015 में रेप के 166 मामले दर्ज हुए और हिंसा 392. यानी रेप की दर रही 6.6 और हिंसक अपराधों की दर रही 15.7.

नंबर 4: भोपाल, मध्य प्रदेश

राजधानी भोपाल में भी महिलाएं ज्यादा सुरक्षित नहीं हैं. 2015 में यहां 133 रेप हुए और हिंसा के 322 मामले दर्ज हुए. यानी रेप की दर 7.1 रही. हिंसक अपराधों की दर 17.1 रही.

नंबर 3: ग्वालियर, मध्य प्रदेश

महिलाओं के खिलाफ रेप की दर यहां रही 10.4. हिंसक अपराधों की दर 17.1 रही. 2014 में भी यहां हालात कुछ अच्छे नहीं थे.

नंबर 2: दिल्ली

भारत की राजधानी दिल्ली को कई बार लोग रेप कैपिटल भी बोलते हैं. आंकड़े भी खतरनाक हैं. यहां 1893 रेप केस हुए और हिंसा के 4563 मामले हुए. यहां रेप की दर रही 11.6 और हिंसा की 28.

नंबर 1: जोधपुर

राजस्थान के किलों का शहर महिलाओं के लिए खतरनाक साबित हुआ है. यहां रेप के 152 मामले सामने आए और हिंसा के 440 मामले दर्ज हुए जिनमें यौन हिंसा भी शामिल है. यानी रेप की दर रही 13.4 और हिंसा की 38.7.

 

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