पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी एस कृष्णमूर्ति का ईवीएम हैकिंग के बारे में नकली बयान वायरल

“गुजरात और हिमाचल प्रदेश का चुनाव बीजेपी ने ईवीएम हेकिंग से जीता है।” इस हैडलाइन के साथ www.thedailygraph.co.in. वेबसाइट ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त का हवाला देकर एक लेख लिखा इसमें आगे बताया गया “पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने यह कह कर सनसनी फैला दी है कि उत्तर प्रदेश उत्तराखंड गुजरात और हिमाचल प्रदेश का चुनाव सिर्फ और सिर्फ बीजेपी नें ईवीएम हेकिंग की वजह से जीता है।”

लेख लिखते समय तक डेलीग्राफ का यह लेख फेसबुक पर 2571 बार शेयर किया गया था। जबकि इस वेबसाइट ने जैसा कि ऊपर तस्वीर में देखा जा सकता है अपने शेयर काउंट्स भी नकली डाला है कि ये लेख अलग-अलग वेबसाइट पे लगभग 35000 बार साझा किया गया है। गुजरात और हिमाचल-प्रदेश के विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के 3 दिन बाद यह रिपोर्ट 21 दिसम्बर, 2017 को प्रकाशित किया गया था। जैसा कि नीचे तस्वीर में देखा जा सकता है यह लेख एक हिंदी समाचार-पत्र ने छापा है ऐसा दिखता है और इसी तस्वीर को वायरल किया जा रहा है। ऑल्ट न्यूज़ अभी तक यह सत्यापित नहीं कर सका है कि किस समाचर-पत्र ने कौन सी तारीख को यह लेख प्रकाशित किया था।

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने ऑल्ट न्यूज़ से हुए बातचीत में इस खबर को फर्जी बताया और कहा कि उन्होंने ऐसी कोई टिपण्णी नहीं की है। उन्होंने कहा, “यह जानकारी पूरी तरह से गलत है, मैंने कभी गुजरात चुनावों में ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के काम के बारे में कोई राय नहीं व्यक्त की है। मैंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की विश्वसनीयता के बारे में कोई सवाल नहीं उठाए है। मुझे इसके बारे में कोई संदेह नहीं है।” उन्होंने स्पष्ट किया। वास्तव में, 18 दिसंबर, 2017 को जिस दिन गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित किए गए थे, कृष्णमूर्ति ने एक बयान जारी कर दिया था कि अब ईवीएम की आलोचना बंद होनी चाहिए, क्योंकि इसने अपना काम अच्छी तरह से किया।‘,

भारतीय चुनाव प्रणाली में 1998 में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की शुरुआत हुई थी और तबसे इसकी हैकिंग की संभावना पर विवाद उभरता रहा है। हमेशा ही हारने वाली पार्टी यह पक्ष देती है कि सत्ताधारी पार्टी द्वारा चुनाव आयोग से मिलीभगत कर ईवीएम में छेड़छाड़ किया जाता है। ऑल्ट न्यूज का मानना ​​है कि चुनाव प्रक्रिया में विश्वास बनाए रखने के लिए, चुनाव आयोग प्रासंगिक शैक्षणिक सामग्री बताकर अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित कर सकता है। खासकर विडियो के माध्यम से बताया जा सकता है कि कैसे चुनावी प्रक्रिया सुरक्षित है और किसी छेड़छाड़ से मुक्त है। सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाले दावों को भी चुनाव आयोग द्वारा खारिज करना चाहिए है क्योंकि ईवीएम के संबंध में अक्सर संदेह पैदा किया जाता है।

 

mediavigil