गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत का मामला अभी थमा नहीं था कि फर्रुखाबाद के सरकारी अस्पताल में 49 बच्चों की जान चली जाने का मामला सामने आ गया है.
49 में से अकेले 30 नवजातों की मौत सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में हुई है. आरोप है कि अस्पताल में आॅक्सीजन की कमी हुई, जिसमें महीने भर के अंदर इतने बच्चों की मौत हुई.
मामले में अब फर्रुखाबाद के सिटी मजिस्ट्रेट जयनेन्द्र कुमार जैन ने जांच में बच्चों की मौत के पीछे आॅक्सीजन की कमी को कारण मानते हुए थाना कोतवाली के प्रभारी से संबंधित चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
कोतवाली प्रभरी को जयनेन्द्र कुमार ने लिखा है कि डीएम द्वारा डॉ राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय, फर्रुखाबाद के 23 मई से 14 अगस्त 2017 व पूर्व में समय-समय पर किए गए निरीक्षणों में एसएनसीयू वार्ड में पिछले 6 महीने में मृत शिशुओं का विवरण मांगा गया था. लेकिन सीएमओ, फर्रुखाबाद व सीएमएस ने आदेश की अवहेलना करते हुए सूचना उपलब्ध नहीं कराई.
30 अगस्त को डीएम द्वारा एसएनसीयू वार्ड में अगस्त महीने में 49 शिशुओं की मृत्यु के संबंध में सीएमओ व सीएमएस की अध्यक्षता में टीम गठित कर हर शिशु की मौत का कारण सहित 3 दिन में जांच शिशुवार मांगी गई थी. लेकिन अधिकारियों ने इसकी भी अवहेलना की और अपूर्ण व भ्रामक आख्या प्रेषित की गई.
रिपोर्ट में 21 जुलाई से 20 अगस्त तक एसएनसीयू वार्ड में 30 मृत शिशुओं की बात सामने आई है, जिनमें से अधिकांश की मौत का कारण पेरिनटल एसफिक्सिया से होना दर्शाया गया है.
सिटी मजिस्ट्रेट के अनुसार जांच अधिकारी को मृत शिशुओं की मां और परिजनों ने फोन पर बताया कि समय पर डॉक्टरों ने आॅक्सीजन की नली नहीं लगाई व कोई दवा नहीं दी, जिससे स्पष्ट है कि अधिकतर शिशुओं पर्याप्त मात्रा में आॅक्सीजन न मिलने के कारण हुई. इस संबंध में आॅक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति न होने पर शिशुओं की मृत्यु हो जाने का ज्ञान उपचार करने वाले डॉक्टरों को होना संभाव्य था.
नगर मजिस्ट्रेट ने लिखा है कि इस क्रम में संबंधित चिकित्सकों के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही किए जाने का कष्ट करें.
बता दें कि शिशुओं की मृत्युदर के ये आंकड़े 21 जुलाई से 20 अगस्त के बीच के हैं. मामला सामने आया तो इन मौतों पर डॉक्टर कुछ भी बोलने से कतराते दखे.
गौरतलब है कि शिशु-मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार की ओर से करोड़ों खर्च हो रहे हैं. जननी सुरक्षा व जननी शिशु सुरक्षा योजना के तहत टीकाकरण, आन कॉल एंबुलेंस व आशाओं की तैनाती भी है. वहीं जन-जागरूकता के नाम पर पोस्टर, बैनर, वॉल पेंटिग जैसे विभिन्न मदों में खर्च का खाता अलग है. इसके बावजूद राम मनोहर लोहिया महिला अस्पताल में 21 जुलाई से 20 अगस्त तक 49 नवजात शिशुओं की मौत होना स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल खड़े कर रहा है.
विभागीय आंकड़ों के अनुसार इस अवधि में लोहिया अस्पताल में 468 नवजात शिशुओं का जन्म हुआ. अस्पताल में प्रसव के दौरान इनमें से 19 बच्चों की मौत हुई है. इस अवधि में गंभीर रूप से बीमार 211 नवजात शिशुओं को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया. इनमें से 30 बच्चों की मौत हो गई. यह स्थिति तब है, जबकि लोहिया में नवजात शिशुओं की सुरक्षा के लिए हाईटेक तकनीक से युक्त एसएनसीयू व केएमसी वार्ड स्थापित है.
Read More- news18