बालश्रम एक जघन्य अपराध है और अधिकारो का उल्लंघन भी है-डॉ सरिता मौर्य

(संजय मौर्या,वरिष्ठ स्वतन्त्र पत्रकार)

उत्तर प्रदेश,जनपद चंदौली, छोटे बालको को बाल मजदूरी को रोकने के लिए ‘विश्व बाल श्रम निषेध दिवस’ की शुरुआत की।गईप्रत्येक साल 12 जून को यह बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। ‘विश्व बाल श्रम निषेध दिवस’ की शुरुआत आईएलओ ने 2002 में की थी,विश्व बाल श्रम दिवस के मौक पर एक रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 में पिछले चार साल में पूरी दुनिया में बाल श्रमिकों की संख्या 84 लाख से बढ़ कर 1.6 करोड़ तक हो गई है, वहीं आईएलओ की रीपोर्ट के अनुसार 5 से 11 साल की उम्र के बाल श्रम में पड़े बच्चों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है, अब इन बच्चों की संख्या कुल बाल श्रमिकों की संख्या की आधी से ज्यादा हो गई है,वहीं 5 से 17 साल तक के बच्चे जो खतरनाक कार्यों के संलग्न हैं, वे साल 2016 से 65 लाख से 7.9 करोड़ तक हो गए हैं।जनपद चंदौली,चहनियां ब्लॉक के जगरनाथपुर गांव निवासी डॉ. सरिता मौर्य लंबे समय से समाजसेवा व महिला सशक्तीकरण का काम कर रही है। उनका नाम बेहतर काम करने पर इंडिया बुक आफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है,विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर जनपद चंदौली के चहनियां क्षेत्र की रहने वाली समाज सेविका डॉ सरिता मौर्य(प्रदेश अध्यक्ष मानवाधिकार सीडब्ल्यूए) ने बाल श्रम निषेध दिवस पर बच्चों व उनके माता-पिता को जागरूक करते हुए कहां की आज के आधुनिक युग के वर्तमान समय में बच्चों को स्कूल जाना और उनके भविष्य की चिंता करना बहुत ही जरूरी है। कम उम्र के बच्चों से बाल श्रम नहीं करवाना चाहिए यह कानूनी जुर्म होता है।जिसमें बच्चों के अधिकारों के हनन के जुर्म में माता-पिता या बाल श्रम करवाने वाले व्यक्ति को जेल या सजा भी हो सकती है। बाल श्रम रोकने के लिए सरकार की जारी गाइडलाइन को भी बताया।अन्त में सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि माता-पिता का असंतोष,अशिक्षित होना बाल श्रम जैसे अपराध को बढ़ावा देता है।बड़े-बड़े कारखाने जैसे कोयला खदान,गिट्टी, पत्थर, ईट की खदानों में,मैरेज लान में कम उम्र के बच्चों से कार्य कराया जाता है। भारत राष्ट्र तब तक उन्नति नहीं कर सकता जब तक कि हम बाल श्रम को पूर्ण रूप से रोक ना ले। बाल श्रम पर पूर्ण रूप से रोक होगी तभी जाकर हम विकास की रडार पर होंगे।

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