भाजपा का प्यारा सोशल मीडिया गुजरात में उसके लिए ही इतनी बड़ी मुसीबत कैसे बन गया है?

किसी जमाने में ऑस्ट्रेलिया और मिस्र के लड़ाके शिकार और जंग के दौरान बूमरैंग नाम के हथियार का प्रमुखता से इस्तेमाल किया करते थे. अंग्रेजी के ‘सी’ अक्षर से मिलते-जुलते बूमरैंग की खासियत होती है कि यह शिकार को घायल कर इसे फेंकने वाले के पास वापिस लौट आता है. लेकिन बूमरैंग को इस्तेमाल करने वाला सतर्कता न बरते तो यह हथियार उसे भी उतना ही नुकसान पहुंचा सकता है. यदि गुजरात विधानसभा चुनाव के संदर्भ में देंखे तो कहना गलत नहीं होगा कि यहां सोशल मीडिया भारतीय जनता पार्टी के लिए बूमरैंग सरीखा ही साबित हो रहा है.

2014 के लोकसभा चुनावों से ही भारतीय जनता पार्टी अपने प्रचार या कुछ लोगों के शब्दों में, ‘कई तरह के दुष्प्रचार’ के लिए सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल करती आई है. चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसी युगपुरुष के तौर पर स्थापित करना हो या अपने विरोधियों को देशद्रोही घोषित करना, जानकार कहते हैं कि भाजपा के आईटी सेल ने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया और कुछ समय पहले तक इस माध्यम पर पार्टी के एकछत्र दबदबे को बरकरार रखा.

लेकिन अब हवाओं का रुख बदलने लगा है. जिस सोशल मीडिया पर भारतीय जनता पार्टी की मर्जी के बिना एक पत्ता तक नहीं हिलता था उसी पर भाजपा को अपने खिलाफ उठ रहे तूफान का डर सता रहा है. गुजरात में कई विरोधी संगठन डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिये सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को बैकफुट पर आने के लिए मजबूर कर रहे हैं.

इस एक छोटे से मैसेज ने गुजरात में भाजपा की नींद उड़ा दी

किसने सोचा था कि ‘व्हाट्सएप’ के एक मामूली से ग्रुप में कही गई एक बात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा के खिलाफ एक युद्धस्तरीय मुहीम छेड़ देगी. असल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकास’ के एजेंडे पर किसी नौजवान ने व्यंग्य करते हुए गुजराती में लिख दिया था – विकास पागल हो गया है. फिर क्या था! गुजरात में भाजपा विरोधियों, खासकर कांग्रेस ने मौके को भुनाते हुए ‘विकास पागल हो गया है’ को एक व्यापक कैंपेन में बदल दिया. इसे न सिर्फ सोशल मीडिया बल्कि जगह-जगह पोस्टर और बैनर लगाकर भी प्रचारित किया गया. हाल ही में गुजरात दौरे पर गए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी अपने संबोधनों में इसका जमकर इस्तेमाल किया. कुछ खबरों की मानें तो इस स्लोगन पर इस बार गरबा के लिए भी कई गीत बनाये गये थे.

प्रदेश के एक वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं, ‘आकर्षक और ह्युमरस होने की वजह से न सिर्फ विरोधी बल्कि आमजन भी विकास वाली बात पर भाजपा की चुटकी लेने लगे हैं. इससे पार्टी की चिंताए बढ़ गई हैं.’ सूत्रों के मुताबिक इसी कैंपेन की वजह से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को बीते दिनों अहमदाबाद में अपने कार्यकर्ताओं और लोगों से यह कहना पड़ा था कि वे सोशल मीडिया पर आई भाजपा विरोधी बातों पर ध्यान न देते हुए अपनी समझ का इस्तेमाल करें.

जानकार कहते हैं कि ‘विकास पागल हो गया है’ की बढ़ती लोकप्रियता को ही देखते हुए ही भाजपा ने गुजरात में अपने महत्वाकांक्षी अभियान ‘गौरव यात्रा’ की पंचलाइन ‘मैं विकास हूं, मैं गुजरात हूं’ तय की थी. अब पार्टी हाईकमान द्वारा अपने आईटी सेल को सोशल मीडिया से जुड़ी रणनीतियों में बड़े बदलाव करने के निर्देश दिए जाने की खबरें भी आ रही हैं.

गुजरात में भाजपा के विरोध में सोशल मीडिया पर ये कैंपेन भी प्रमुखता से चल रहे हैं

प्रदेश की राजनीति पर नज़र रखने वाले एक अन्य पत्रकार के मुताबिक ‘विकास पागल हो गया है’ के बाद तो जैसे प्रदेश में सोशल मीडिया पर भाजपा विरोधी कैंपेनों की झड़ी सी लग गई है. इनमें ‘साला धोखा दे गया’, ‘भाजपा को गिरा दो’ और ‘कमल का कमाल’ जैसे स्लोगन प्रमुख हैं. जानकार बताते हैं कि इन सभी कैंपेनों में भाजपा से ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को सीधे तौर पर निशान बनाया जाता है.

इस समय गुजरात में राजनैतिक पार्टियों से ज्यादा अलग-अलग समुदायों द्वारा चलाए जा रहे कैंपेन सोशल मीडिया पर ज्यादा प्रचलित हैं. यहां के एक गांव में दलित लड़कों की पिटाई और इससे पहले गरबा देखकर लौटते एक दलित युवक की हत्या की खबरें सामने आने के बाद समुदाय से जुड़े लोगों ने प्रशासन के खिलाफ अपना रोष ज़ाहिर करने के लिए सोशल मीडिया का जमकर सहारा लिया. प्रदेश में ऐसे ही कुछ अभियान भाजपा से नाराज पाटीदार (पटेल) और मुस्लिम समुदायों ने भी छेड़ रखे हैं.

क्यों गुजरात में भाजपा अचानक से सोशल मीडिया पर कमजोर नज़र आने लगी है?

इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने प्रदेश की राजनीति से जुड़े तमाम लोगों से बातचीत करने की कोशिश की. खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी रिश्तेदार बताने वाले और प्रदेश कांग्रेस के आईटी सेल से जुड़े वरिष्ठ नेता कल्पेश भाटिया मोदी कहते हैं, ‘लोगों के मन में सरकार के प्रति असंतोष का भाव लंबे अरसे से पनप रहा था. लेकिन जो लोग खुलकर सामने आने से डरते थे वे अब सोशल मीडिया पर अपनी नाराज़गी जाहिर करने लगे हैं.’

प्रदेश महिला कांग्रेस की नेता किंजल पुरोहित के शब्दों में, ‘स्वच्छता अभियान से लेकर बेरोजगारी और अन्य सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी ने सोशल मीडिया के जरिए सिर्फ झूठ फैलाया था जिसे लोगों ने अब नकारना शुरु कर दिया है.’ पुरोहित की बातों से सहमति जताते हुए प्रदेश के एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता क़लीम सिद्दीकी कहते हैं, ‘पिछले करीब दो दशकों से प्रदेश की सत्ता पर भाजपा काबिज़ रही है. ऐसे में वो न तो किसी दूसरी पार्टी से कोई सवाल कर सकती है और न ही अपनी नाकामियों को लेकर किसी पर आरोप लगा सकती है. यह समय तो सिर्फ उसके जवाब देने का है.’

प्रदेश की राजनीति से जुड़े एक अन्य विशेषज्ञ बताते हैं कि गुजरात में पहली बार कई राजनैतिक और सामाजिक दल एक साथ भाजपा के विरोध में उतर आए हैं. फिर चाहे वो हार्दिक पटेल की अगुवाई में पाटीदार जैसा मजबूत समुदाय हो या जिग्नेश मेवानी के साथ खड़े दलित हों या फिर मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोग, सभी ने भाजपा के विरोध में फिलहाल पूरी ताकत झोंक रखी है. पाटीदार आंदोलन से जुड़े एक कार्यकर्ता बताते हैं कि इस समय प्रदेश में पाटीदारों के 600 से ज्यादा व्हाट्सएप ग्रुप आधिकारिक तौर पर सक्रिय हैं जो भाजपा के हर एक झूठ को लोगों के सामने लाने का काम कर रहे हैं. उनके मुताबिक ‘विकास पागल हो गया है’ भी संदेश के तौर पर सबसे पहले ऐसे ही एक ग्रुप में भेजा गया था.

जानकार कहते हैं कि पाटीदारों की ही तरह दलित नेता जिग्नेश मेवानी भी ‘भाजपा को गिरा दो’ जैसे एक अन्य प्रमुख कैंपेन का संचालन कर रहे हैं. हाल ही में मूंछ रखने पर दलित लड़कों की पिटाई के विरोध में समुदाय द्वारा चालू किए गए एक महत्वपूर्ण कैंपेन के पीछे भी मेवानी की ही सोच बताई जा रही है. इनके अलावा गुजरात में इस बार आम आदमी पार्टी (आप) भी खासी सक्रिय नजर आ रही है. वह भी सोशल मीडिया पर भारतीय जनता पार्टी को जमकर आड़े हाथ ले रही है. पार्टी से जुड़ीं वंदना बेन पटेल का कहना है कि आप ने ‘गुजरात में परिवर्तन लाओ’ नाम से एक प्रदेशव्यापी मुहीम छेड़ रखी है.

राजनैतिक विश्लेषकों की मानें तो गुजरात में अब तक भारतीय जनता पार्टी के सामने सिर्फ कांग्रेस थी जिसे सोशल मीडिया के मोर्चे पर भी शिकस्त देना उसके लिए बांये हाथ का खेल था. लेकिन अब दूसरे संगठनों के मैदान में आ जाने से उसका खेल बिगड़ता जा रहा है.

हालांकि भारतीय जनता पार्टी इस तरह के आकलन से इत्तेफ़ाक नहीं रखती. संगठन के आईटी सेल से जुड़ीं नंदिता ठाकुर के शब्दों में, ‘हम गुजरात में अपनी जीत को लेकर निश्चिंत हैं. हमारी टीम ने उत्तर प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन किया है जिसे हम गुजरात में भी बनाए रखेंगे.’ ठाकुर जोर देते हुए आगे कहती हैं, ‘सोशल मीडिया पर हम भी नहीं बल्कि सिर्फ हम ही मजबूत हैं और आगे भी हम ही रहेंगे.’

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