भारत में है एक कंपनी, जहां चपरासी से लेकर अधिकारी हैं करोड़पति

नई दिल्ली: गुड्ज एंड सर्विसेज टैक्स (GST) की खबरों से अगर आप ऊब गए हैं तो ये खबर आपको थोड़ा सूकुन दे सकती है. भारत में एक ऐसी कंपनी है जहां कर्मचारियों की सैलरी 10 से 20 हजार रुपए के बीच है, लेकिन सभी करोड़पति हैं. यह बात आपको थोड़ी अटपटी लग सकती है लेकिन यह सौ फीसदी सच है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह अनोखी कंपनी रविराज फोइल्स लिमिटेड गुजरात स्थित अहमदाबाद के साणंद में है. दिलचस्प बात यह है कि यहां मजदूरी तक करने वाले कर्मचारियों के खाते में करोड़ रुपए हैं. अब आप सोच रहे हैं होंगे भला ऐसा कैसे हो सकता है. या आप आप सोच रहे होंगे कि बैंक की गलती से शायद कुछ देर के लिए यहां के कर्मचारियों के खाते में करोड़ रुपए ट्रांसफर हो गए होंगे, लेकिन ऐसा नहीं है.

दरअसल, रविराज फोइल्स लिमिटेड कंपनी ने अहमदाबाद में फैक्ट्री स्थापित करने के लिए जमीन का अधिग्रहण किया था. कंपनी ने तय वादे के मुताबिक जिन लोगों की जमीन ली थी उन्हें अपनी फैक्ट्री में नौकरी भी दी है. जमीन अधिग्रहण में मुआवजे के तौर पर गांव के लोगों को करोड़ों रुपए मिले हैं. साथ ही वे अपनी योग्यता के आधार पर इस फैक्ट्री में सुपरवाइजर, सिक्योरिटी गार्ड, फोन मैन, मजदूर आदि की नौकरी भी करते हैं. इस फैक्ट्री में 300 कर्मचारी काम करते हैं, जिसमें करीब 150 के बैंक खाते में करोड़ से ज्यादा रुपए हैं.

इस इलाके में गुजरात सरकार ने चार हजार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया था, जिसके लिए 2000 करोड़ रुपए का भगुतान किया गया है. रविराज फोइल्स के प्रबंध निदेशक जयदीपसिंह वाघेला का कहना है कि इस इलाके में लोगों के पास आमदनी का दूसरा श्रोत नहीं है. कंपनी ने अपने वादे के मुताबिक जिन लोगों की जमीन ली थी उनकी योग्यता के आधार पर नौकरी पर रखा है.

उदाहरण के तौर पर रविराज फोइल्स में मशीन ऑपरेटर की नौकरी करने वाले धर्मेंद्र सिंह वाघेला की सैलरी 15 हजार रुपए प्रति महीना है, पर उनके बैंक खाते में करीब 2 करोड़ रुपए हैं. इसके अलावा जगदीश राठौड़ को स्टोर असिस्टेंट की नौकरी के लिए 12 हजार रुपए हर महीने मिलते हैं, लेकिन उनके खाते में करीब डेढ़ करोड़ रुपए हैं. इसी तरह स्टोरकीपर नरेंद्र सिंह बराड की सैलरी 11 हजार रुपए है, जबकि उन्हें जमीन बेचने पर करीब चार करोड़ रुपए मिले हैं. लगभग सारे करोड़पति कामगारों ने पैसों को बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट करवा रखा है. ब्याज से उनके परिवार का खर्च चलता है और नौकरी के पैसे अन्य जरूरतें पूरी होती हैं. यह कंपनी 2013 में शुरू हुई थी, लगभग सारे कर्मचारी तभी से यहां काम कर रहे हैं.

 

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