महिलाओ पर हो रहे अत्याचारों का जिम्मेदार कौन ? फेल साबित हुआ एंटी रोमिओ सेल

सरकार भले ही महिलाओं की सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे करती है पर, जो असलियत है या यूँ कहें की जमीनी हकीकत है वो किसी से छुपी नहीं है। 2012 में दिल दहला देने वाली घटना दिल्ली में हुए निर्भया रेप केस, फिर उन्नाव गैंगरेप और उसके बाद एक मासूम बच्ची के साथ कठुआ में गैंग रेप (rape) ये एहसास दिलाता है कि देश या उत्तर प्रदेश में लड़कियों की सुरक्षा के लिए अभी भी काफी सख्ती बरतने की आवयश्कता है।

NCRB की रिपोर्ट ने किया था खुलासा

2016 में NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं से छेड़छाड़ और बलात्कार जैसे अपराधों का ग्राफ दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इस रिपोर्ट के आधार पर ये पता लगा है कि महिलाओं से हुए दुष्कर्म के मामलों में उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर है। यह आंकड़ा वर्ष 2015 के मुकाबले 12.4 प्रतिशत ज्यादा है।

 

अगर महिला सुरक्षा की बात करें तो आप खुद ही देख सकते हैं कि उत्तर प्रदेश में आये-दिन महिलाओं के साथ अत्याचार के मामले सामने आते रहते हैं। हाल ही में उन्नाव रेप केस ने काफी बवाल मचाया था। इस मामले में पहले तो सरकार ने दुष्कर्म पीड़िता की बात ही नहीं सुनी जब मामला काफी गम्भीर हो गया और पीड़िता ने आत्मदाह का कदम उठाने का फैसला लिया तब इसे संज्ञान में लिया गया।

फूट पेट्रोलिंग के दिए गये थे आदेश

जबकि आपको बता दें कि सरकार ने खुद ही खराब मनोवृति वाले लोगों में भय पैदा करने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर फुट पेट्रोलिंग करने के आदेश दिए थे। इसके साथ ही ये भी आदेश दिए गये थे कि अगर कोई इस तरह की घटना होती है तो कांस्टेबल से लेकर अधिकारी तक सबकी जवाबदेही तय होगी।