लखनऊ : लंबे समय से प्रतिबंधित चल रहे छात्रसंघ के चुनाव को बहाल करने की तैयारी योगी सरकार ने शुरु कर दी है। बताया जाता है कि सूबे की बीजेपी सरकार छात्रसंघ चुनावों को लेकर एक प्रस्ताव बना रही है। इससे पहले सरकार की सभी यूनिवर्सिटीज के साथ बैठक कर इस पर चर्चा हो चुकी है। साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए इसका एलान करने की सरकार की मंशा है। छात्रसंघ चुनाव के लिए योगी सरकार तैयार कर रही है प्रस्ताव, जल्द शुरु होंगे चुनाव
राजभवन की ओर से कई बार भेजा गया लेटर
.यूपी में छात्रसंघ चुनावों की बहाली के लिए पिछले कई सालों से संगठन व स्टूडेंट्स मांग करते आए हैं। इसको लेकर जगह जगह हजारों प्रदर्शन हुए, ये चुनाव कब होंगे, ये सवाल लगातार बना हुआ है। .पिछले साल कई छात्र संगठनों ने यूपी के गवर्नर राम नाईक को चिट्ठी लिखी थी, जिस पर राजभवन की तरफ से चिट्ठी लिखकर जवाब मांगा गया । उस वक्त अखिलेश सरकार ने इस पर मन नहीं बनाया। .अगर उस वक्त सपा छात्रसंघ चुनाव कराने को तैयार हो जाती, तो उसे लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक चुनाव कराना पड़ता। ऐसे में अखिलेश सरकार बेवजह का दबाव नहीं चाहती थी, इसलिए उसने स्थिति जैसे थी, वैसे छोड़ दी। .योगी सरकार के बनते ही डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने गर्वनर राम नाईक से भी छात्रहितों के बारे में मुलाकात कर यूनिवर्सिटी में जरुरी बदलावों पर चर्चा की। फिलहाल इस वक्त कुछ मुद्दों पर राज्य यूनिवर्सिटी प्रशासन में सहमति नहीं बनी है। जिसके बाद डिप्टी सीएम ने सभी से उनके सुझाव मांगे। सुझाव के आधर पर सहमति बनाने की कोशिश जारी है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए योगी सरकार इस पर फैसला कर सकती है।
बसपा सरकार ने चुनावों पर लगायी थी रोक
-हाईकोर्ट में रिट दायर करने वाले हेमंत सिंह ने कहा, “हमें लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों पर कुछ ऐसे मुद्दों पर असहमति है,जो हम छात्रों को चुनाव लड़ने से ही रोक देती है। हर सरकार ने छात्रों के साथ धोखा किया है। -NSUI से नेशनल कमेटी के मेंबर विक्रम पांडेय ने कहा, “हमने यूपी गर्वनर और राष्ट्रपति को भी कई बार लेटर लिखकर चुनाव कराने का निवेदन किया था । कांग्रेस एक मात्र ऐसी पार्टी हैं, जहां यूथ को तवज्जो दी जाती है।राहुल गांधी की पहल पर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में चुनावों को दोबारा शुरू कराया था।”