लोक सभा 2019 – कानपुर देहात – क्या कांग्रेस के भरोसे में खरे उतरेंगे राजाराम पाल ?

नितिन कुमार

फ़्लैश बैक – कानपुर देहात में केवल एक लोक सभा सीट अकबरपुर है जिसमे 1996 में बीएसपी के घनश्याम चंद्र खरवार एमपी बने जिन्होंने बीजेपी के बचन राम को हराया था। इसके बाद अकबरपुर सीट पर बीएसपी का वर्चस्व रहा। इसके बाद मायावती 1998 ,1999 दोनों बार लोकसभा सीट पर जीत दर्ज़ की थी। जिसमे रनर उप समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार ही था। इसके बाद byepol इलेक्शन 2002 में बीएसपी व 2004 में समाजवादी पार्टी में सुखलाल माझी ने ही सीटों पर कब्ज़ा कर रखा था। 2004 में एक बार फिर मायावती ने लोक सभा सीट पर वर्चस्व कायम किया और भारी अंतर से समाजवादी पार्टी के सुखलाल माझी को हराया था। यह सीट मायावती के लिए ख़ास इस लिए भी है क्योकि यहाँ की जनता ने तीन बार एमपी बनता था।

1996 से लेकर 1998 तक अस्थिरताओ का दौर चल रहा था , 1996 में अटल बिहारी बाजपाई की केवल 16 दिन की सरकार रही। इसके बाद फिर चुनाव हुए जिसमे डेवेगैडा प्रधानमंत्री बने जो केवल एक साल तक टिक पाए। 1997 में दोबारा चुनाव हुए जिसमे जनता दल के आइके गुजराल प्रधानमंत्री बने हो केवल 332 की सरकार थी। बार – बार चुनाव से देश की जनता त्रस्त हो चुकी थी।जनता को एक विकल्प दिखाई दे रहा था बीजेपी। अब समय था एक सधी हुए सरकार का निर्माण करने का। 1998 में अटल बिहारी बाजपाई की सरकार बनी जो 6 साल 64 दिन तक चली।

इसके बाद अकबरपुर सीट से 2009 में कांग्रेस के राजाराम पाल मैदान पर उतरे ,देश बदलाव चाह रहा था जिसके बाद अनिल शुक्ल वारसी बीएसपी के उमीदवार को हराया था। 2014 में मोदी लहर में देवेंद्र सिंह भोले की भी निकल पड़ी अकबरपुर सीट से भारी अंतर से जीत दर्ज़ की। 2009 के विजेता कांग्रेस के राजाराम पाल वोट प्रतिशत -20 % हो गया। जो चौथे पायदान पर पहुंच गए। बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र सिंह भोले का वोट प्रतिशत +28 % बड़ा।

2014 चुनाव के बाद क्या कांग्रेस के उमीदवार लोकसभा सीट पर कितनी बार जनता के साथ रहे , या 2019 का चुनाव आते अपनी लोक सभा सीट पर काम करने लगे है। कांग्रेस के लिए ये बेहद चिंता का विषय होगा कि कांग्रेस का वोट प्रतिशत 2014 में इतना कम क्यों हो गया ?

कांग्रेस पार्टी राजाराम पाल पर फिर दांव खेल सकती है , चुनाव के आने पर ही नेता जनता के बीच जा कर अपनी उपलब्धि गिनने और वर्तमान सरकार की कमियों को दिखाने पर लगे है। 2017 के यूपी विधान सभा में महाराजपुर से कांग्रेस ने राजाराम पाल को उमीदवार बनाया था लेकिन कांग्रेस की जमानत जप्त हो गयी थी ऐसे में सवाल यह है कि कांग्रेस राजाराम पाल पर भरोसा करेगी ?