विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक : भारत में पत्रकारिता के लिए हालात और मुश्किल हुए

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2017 में भारत पिछले साल के मुकाबले तीन पायदान नीचे खिसक गया है

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा बुधवार को जारी 2017 के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत का स्थान 2016 के मुकाबले तीन पायदान नीचे रहा है. इसमें भारत को 136वां स्थान मिला है जो पत्रकारिता के लिए ‘मुश्किल परिस्थिति’ वाले देशों की श्रेणी है. इसमें अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे भारत के पड़ोसी देश आते हैं.

भारत में प्रेस की आजादी की बाधाओं का जिक्र करते हुए रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यहां हिंदू राष्ट्रवादियों द्वारा राष्ट्रीय बहसों में दखल देने की कोशिशें और मुख्यधारा के मीडिया में सेल्फ-सेंसरशिप में तेजी आई है. इसके अलावा कट्टर राष्ट्रवादियों द्वारा पत्रकारों के खिलाफ ऑनलाइन दुष्प्रचार अभियान के मामले और उन्हें शारीरिक नुकसान पहुंचाने की धमकियों भी बढ़ी हैं.

निगरानीकर्ता समूह ने पूरी दुनिया में प्रेस की आजादी को सीमित करने की कोशिशों पर चिंता जाहिर की है. उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘हम, खास तौर पर लोकतांत्रिक देशों में सच्चाई से परे भावुक अपीलों, दुष्प्रचार और आजादी के दमन के समय में पहुंच चुके हैं. लोकतांत्रिक देश सूचकांक में लगातार नीचे खिसक रहे हैं जो अभूतपूर्व है, लेकिन उनमें इस गिरावट को रोकने की कोई कोशिश नहीं दिखाई देती.’

2017 के प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में कई देशों का प्रदर्शन पिछले साल की तुलना में कमजोर रहा है. उदाहरण के लिए ब्रिटेन, अमेरिका और चिली दो-दो स्थान की गिरावट के साथ क्रमशः 40वें, 43वें और 33वें स्थान पर, जबकि न्यूजीलैंड आठ स्थान की गिरावट के साथ 13वें स्थान पर आए हैं. वहीं, रूस में प्रेस की आजादी की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है. वह पिछले साल की तरह 148वें स्थान पर ही बना हुआ है. प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में नॉर्वे पहले और उत्तर कोरिया आखिरी स्थान पर है.

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