शिवपाल यादव छोड़ेंगे मुलायम का साथ : नई पार्टी या अलग मोर्चा बना सकते हैं

नई दिल्ली .मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव नई पार्टी या मोर्चा बना सकते हैं। दरअसल, इस पार्टी का एलान तो सोमवार को ही होना था। शिवपाल ने मुलायम सिंह यादव को एक प्रेस नोट भी तैयार करके दिया था। लेकिन, मुलायम जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहुंचे तो उन्होंने इस प्रेस नोट को पढ़ा ही नहीं। सूत्रों के मुताबिक- इस प्रेस कॉन्फ्रेंस से ठीक पहले शिवपाल ने मुलायम से बात भी की थी। लेकिन, मुलायम ने नई पार्टी के एलान से इनकार कर दिया। पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का कहना है- मुलायम के कदम से शिवपाल खफा हैं और इसीलिए वो इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं पहुंचे। उनके पास नेताजी का साथ छोड़कर दूसरा रास्ता अख्तियार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। शिवपाल को साफ नजर आने लगा है कि मुलायम बेटे अखिलेश के पॉलिटिकल कॅरियर को बचाए रखने के लिए उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं।
शिवपाल के पास क्या ऑप्शन…
1) नया मोर्चा बनाएंगे शिवपाल
– पॉलिटिकल एक्सपर्ट प्रदीप सिंह के मुताबिक, “शिवपाल को अहसास है कि अब कांग्रेस, सपा और बसपा मिलकर ही कुछ कर सकती हैं। वो ये भी मानते हैं कि मुलायम, अखिलेश के चक्कर में उनकी बातों को अनसुना कर अपने मन की कर रहे हैं। ऐसा करके वह उनकी राजनीति को खतरे में डाल रहे हैं। ऐसे में वह अलग मोर्चा बना सकते हैं।”
– “शिवपाल बीजेपी की सेंट्रल लीडरशिप से रिश्ते बढ़ा रहे हैं। लेकिन, वह खुद रामगोपाल यादव पर भाजपा को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते रहे हैं। ऐसे में वह नीतीश कुमार की जेडीयू में शामिल होकर इनडायरेक्टिली बीजेपी के साथ आ सकते हैं। उन्होंने अलग मोर्चे की संभावना से भी इन्कार नहीं किया।”
– “मुलायम अपने बेटे के काम की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन अखिलेश की राजनीति दांव पर नहीं लगा सकते। अखिलेश पर उनकी किसी बात का असर नहीं होता। अखिलेश तय कर चुके हैं कि उन्हें क्या करना है। हालांकि, वह यह भी चाहते हैं कि किसी तरह मुलायम मान जाएं, जो फिलहाल तो, आसानी से होता नहीं दिख रहा।”
2) शिवपाल की पैठ हर पार्टी में?
– एक और पॉलिटिकल एक्सपर्ट रतनमणि लाल का कहना है, “शिवपाल मुलायम का साथ छोड़ देंगे क्योंकि वह लंबे समय से चाह रहे हैं कि नेताजी सपा से अलग पार्टी बनाने का एलान करें। जबकि मुलायम बेटे के कॅरियर को बचाने के लिए उनकी अनदेखी कर रहे हैं। शिवपाल को लगता है कि मुलायम कहते कुछ हैं और करते कुछ और हैं। पहले भी वह कांग्रेस को कई बार धोखा दे चुके हैं।”
– “हाल ही में महागठबंधन से अलग सबसे पहले अलग होने वालों में भी मुलायम ही थे। ऐसे में शिवपाल को लगने लगा है कि अगर उन्हें अपना सियासी वजूद बचाना है तो मुलायम से अलग होना ही होगा। शिवपाल वैसे तो वह जेडीयू, बीजेपी या बीएसपी में किसी के सााथ भी जा सकते हैं क्योंकि उन्होंने सभी जगह अपनी पैठ बना रखी है, लेकिन वह अलग मोर्चा बनाने को ज्यादा तरजीह दे सकते हैं।”
3) क्या बीएसपी के साथ जा सकते हैं शिवपाल?
सोर्सेज ने कहा कि मुलायम बार-बार शिवपाल को अनसुना कर रहे हैं। ऐसे में अगर दोनों के बीच नाराजगी बढ़ती है और शिवपाल मुलायम सिंह का साथ छोड़ते हैं तो ये तय है कि वो बीएसपी के साथ जाएंगे। सोर्सेज के मुताबिक, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अखिलेश के खिलाफ शिवपाल ने अंदरखाने मायावती का साथ दिया था। वहीं, अक्टूबर में होने वाले पार्टी चुनाव में अखिलेश का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना तय है।
4) डिंपल को चुनाव से क्यों दूर रख रहे हैं अखिलेश?
– अखिलेश ने कहा है कि डिंपल यादव अगला चुनाव नहीं लड़ेंगी, क्योंकि समाजवादी पार्टी में परिवारवाद के लिए कोई जगह नहीं है। इस पर प्रदीप सिंह का कहना है- अगर वह वादे को पूरा करते हैं तो ये अच्छा कदम होगा।
– इस पर रतनमणि लाल का कहना है- डिंपल मुलायम की वजह से ही निर्विरोध चुनी गई हैं। अगर इस बार वह चुनाव लड़ती हैं और उनके खिलाफ बीजेपी या बीएसपी में से कोई ने भी अगर दम से मुकाबला किया तो डिंपल की हार तय है। लिहाजा, ऐसी घोषणा कर अखिलेश पॉलिटिकल माइलेज लेने की जुगाड़ में हैं।
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