समोसे बेचने के लिए छोड़ दी गूगल की नौकरी, आज कंपनी का टर्नओवर लाखों में

कहा जाता है कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। इसकी मिशाल पेश करते हैं मुनाफ। मुनाफ ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए लाखों के पैकेज वाली गूगल की नौकरी छोड़ दी। मुनाफ बचपने से ही कुछ अलग करना चाहते थे।

आपको जानकर हो सकता है कि थोड़ा अजीब लगे लेकिन मुनाफ  कोई बचपन से ही समोसा नहीं बेचना चाहते थे।यह महज कुछ पलों में लिया गया फैसला है। हो सकता है कि समोसे के काम के लिए अच्छे पैकेज की नौकरी छोड़ने से लोग भले ही बचकाना फैसला कहें लेकिन मुनाफ के 1 साल की कमाई 50 लाख से ज्यादा है। “कुछ सालों तक गूगल में नौकरी करने के बाद मुनाफ को लगा कि, वह इससे बेहतर काम कर सकते हैं। बस फिर क्‍या था, दिमाग में बिजनेस का नया आईडिया लेकर वह घर लौटे और उन्‍होंने यहां अपना समोसे का बिजनेस शुरू कर दिया।”

छोड़ दी गूगल की नौकरी

आईटी फील्ड में काम करने वाले किसी भी शख्स का सपना होता है गूगल जैसी कंपनी में काम करना। गूगल में नौकरी करने का मतलब है पूरी जिंदगी शान और आराम से जीना। गूगल के एम्प्लॉई की सैलरी की शायद आप कल्पना न कर सकें, क्योंकि ये कंपनी फ्रैशर्स को भी करोड़ों का पैकेज ऑफर कर देती है। लेकिन मुनाफ ने गूगल की अच्छी खासी नौकरी छोड़ दी वह भी समोसे बेचने के लिए। और आज ‘द बोहरी किचन’ वाले ‘मुनाफ कपाड़िया’ के सलाना का टर्नओवर 50 लाख से ज्यादा है।

बिजनेस का नया आईडिया

मुनाफ कपाड़िया के फेसबुक प्रोफाइल के बायो में लिखा है कि “मैं वो व्यक्ति हूं जिसने समोसा बेचने के लिए गूगल की नौकरी छोड़ दी।” लेकिन उनके समोसे की खास बात यह है कि वह मुंबई के पांच सितारा होटलों और बॉलीवुड हस्तियों के बीच खासा लोकप्रिय है। मुनाफ ने एमबीए की पढ़ाई की थी और उसके बाद उन्होंने कुछ कंपनियों में नौकरी की और फिर चले गये विदेश। विदेश में ही कुछ कंपनियों में इंटरव्‍यू देने के बाद मुनाफ को गूगल में नौकरी मिल गई। कुछ सालों तक गूगल में नौकरी करने के बाद मुनाफ को लगा कि, वह इससे बेहतर काम कर सकते हैं। बस फिर क्‍या था, दिमाग में बिजनेस का नया आईडिया लेकर वह घर लौटे और उन्‍होंने यहां अपना बिजनेस शुरू कर दिया।

मां के खाने से मिली प्रेरणा

मुनाफ जिस इलाके में रहते है वहां मध्यमवर्गीय परिवार ज्यादा रहते हैं। लेकिन जिसतरह का आइडिया मुनाफ ने सोचा था उस हिसाब से उन्हें यहां ग्राहक मिलना मुश्किल था। इसलिए मुनाफ ने प्रयोग के तौर पर अपने 50 दोस्तों को ईमेल और मैसेज किया और उन्हें खाने पर बुलाया। अपनी मां के हाथों का बना खाना लोगों को खिलाया। सबने उनके खाने की तारीफ की। इससे मुनाफ को बल मिला और वह इस सपने को पूरा करने में लग गए।

 

होटल के बन गए मालिक

मुनाफ अब भारत में ‘द बोहरी किचन’ नाम का रेस्‍टोरेंट चलाते हैं। मुनाफ बताते हैं, रेस्टोरेंट में सिर्फ समोसे ही नहीं मिलते। हां समोसा उनका ट्रेडमार्क जरूर है। दरअसल मुनाफ जिस दाऊदी बोहरा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं उनकी डिशेज काफी शानदार होती हैं। जैसे- मटन समोसा, नरगि‍स कबाब, डब्‍बा गोश्‍त, कढ़ी चावल इत्यादि। मुनाफ इन डिशेज को अपने रेस्टोरेंट में रखते हैं। बोहरी थाल स्वादिष्ट मटन समोसा, नरगीस कबाब, डब्बा गोश्त, करी -चावल आदि के लिए मशहूर है। वह कीमा समोसा और रान भी बनाते हैं, जिसकी डिमांड काफी ज्यादा होती है। अभी उनके रेस्टोरेंट को खुले सिर्फ एक साल हुआ है और उनका टर्नओवर 50 लाख पहुंच गया है। मुनाफ इसे अगले कुछ सालों में 3 से 5 करोड़ तक पहुंचाना चाहते हैं।

अचीवर्स की लिस्‍ट में उनका नाम शामिल

कहा जाता है कि मोहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती। इसका ही परिणाम है कि उनका काम इतना फेमस हुआ कि फोर्ब्‍स ने अंडर 30 अचीवर्स की लिस्‍ट में उनका नाम शामिल कर लिया है। मुनाफ अपनी कंपनी के सीईओ हैं। मुनाफ के रेस्टोरेंट में इतनी भीड़ होती है कि यहां खाने के लिए लोगों को इंतजार करना पड़ता है। मुनाफ अभी मुंबई के वर्ली इलाके से फूड की डिलिवरी करते हैं। लेकिन आने वाले समय में वह इसी नाम से कुछ और रेस्टोरेंट खोलना चाहते हैं। अपनी सफलता का पूरा श्रेय मुनाफ अपनी मां को देते हैं। क्योंकि उनके बगैर यह संभव नहीं हो पाता।

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