“”सम्पूर्ण राष्ट्रों” को…अंतःकरण की असीम गहराईयों से “भारत” नमन करता है- डॉ.प्रियंका”हम हैं ना”

“ब्रम्हाण्ड है अपना परिवार…
मानवीय गुण रहे…
ना रहे कोई विकार…
“सम्पूर्ण राष्ट्र” करे;
“भारत” का नमन स्वीकार…।।””

“”सम्पूर्ण राष्ट्रों” को…अंतःकरण की असीम गहराईयों से “भारत” नमन करता है…।
“निखार”
(सुसंस्करों का प्रभाव…)
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विचारों में निखार पैदा कीजिये…
सुसंस्करों का प्रभाव पैदा कीजिये…।।

क्यूँ पलटते हो इतिहास के पन्नों को बार-बार…
स्वयं के दिल में दिलेर-दिलदार पैदा कीजिये…
मानवता के लिए कुछ तो कीजिये…
ठहरो नहीं;कुछ तो कीजिये…।।

विचारों में निखार पैदा कीजिये…
सुसंस्करों का प्रभाव पैदा कीजिये…।।

क्यूँ वक़्त खो रहे हो औरों के पीछे घूमकर…
वक़्त की कीमत समझो…
स्वयं में ही सबकुछ समाया है…
स्वयं ही स्वयं की पहचान पैदा कीजिये…।।

विचारों में निखार पैदा कीजिये…
सुसंस्करों का प्रभाव पैदा कीजिये…।।

ये राष्ट्र तुम्हारा है…
तुम्हे इजाज़त लेना नहीं किसी से…
अब “विश्वपटल” पर;
“भारत” को सर्वोच्च स्थान दिला दीजिये…।।

विचारों में निखार पैदा कीजिये…
सुसंस्करों का प्रभाव पैदा कीजिये…।।

यूँ बातें ना कर कोरी बुलबुले वाली…
तू ज़र्रा ही सही…तू ज़र्रा ही सही…
घर के भेदिये के आँखों में छा के…
उसके आँखों की रौशनी छीन लीजिये…।।

विचारों में निखार पैदा कीजिये…
सुसंस्करों का प्रभाव पैदा कीजिये…।।

कुछ मत सोचिये…
सिर्फ़ और सिर्फ़…
“पंचशील” की राह अपना लीजिये…
सुन्दर-सरल जीवन का आनन्द लीजिये…।।

विचारों में निखार पैदा कीजिये…
सुसंस्करों का प्रभाव पैदा कीजिये…।।

निडरता-साहस-धैर्य…
सहनशीलता-विनम्रता से…
ज़िन्दगी की हर जंग जीत लीजिये…
हर किले को फ़तेह कीजिये…।।

विचारों में निखार पैदा कीजिये…
सुसंस्करों का प्रभाव पैदा कीजिये…।।

मत रुकिये;
स्वयं में अभी से परिवर्तन शुरू कीजिये…
कोशिश तो कीजिये…
एक कोशिश…एक कोशिश…।।

विचारों में निखार पैदा कीजिये…
सुसंस्करों का प्रभाव पैदा कीजिये…।।

विचारों को दूषित न कीजिये…
न…ही उसका दोहन होनें दीजिये…
“सुविचार” आपकी “सम्पदा” है…
उसकी रक्षा कीजिये…।।

विचारों में निखार पैदा कीजिये…
सुसंस्करों का प्रभाव पैदा कीजिये…।।

विचारों से मनुष्य निर्मित होता है…
स्वयं के विचारों को तपाकर…
कुन्दन-सा निखार दीजिये…
“स्वर्णिम मंज़िल” तय कीजिये…।।

विचारों में निखार पैदा कीजिये…
सुसंस्करों का प्रभाव पैदा कीजिये…।।

स्वयं में कौशल पैदा कीजिये…
विष को अमृत में बदल दीजिये…
स्वर्णिम इतिहास दोहरा दीजिये…
“भारत” को ” विश्वगुरु” बना दीजिये…।।

विचारों में निखार पैदा कीजिये…
सुसंस्करों का प्रभाव पैदा कीजिये…।।

“भारत” की ख़ातिर स्वयं के दिल में…
दिलेर-दिलदार पैदा कीजिये…
दिलेर-दिलदार पैदा कीजिये…
दिलेर-दिलदार पैदा कीजिये…

“”आ…चल…सुसंस्करों के प्रभाव से…
जीवन को निखार दें…
ज़िन्दगी बड़ी प्यारी-सी है…
उसे थोड़ा और प्यार दें…।।””

“”स्वयं को निखार कर…
दुनियाँ को रौशन कर दे…
स्वयं के दम पर…
स्वर्णिम इतिहास रच दे…।।””

“”नयी ऊर्जा…नयी उमंग के साथ…स्वयं को निखारते-सँवारते हुये…””

आ…अब…सभी मिलकर चलें…विश्वपटल की ओर…