“सम्पूर्ण राष्ट्रों” को…अंतःकरण की असीम गहराईयों से “भारत” नमन करता है- डॉ.प्रियंका”हम हैं ना”

“जय भारत” ! साथियों…!
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“”ब्रम्हाण्ड है अपना परिवार…
मानवीय गुण रहे…
ना रहे कोई विकार…
“सम्पूर्ण राष्ट्र” करे ;
“भारत” का नमन स्वीकार…।।””

“सम्पूर्ण राष्ट्रों” को…अंतःकरण की असीम गहराईयों से “भारत” नमन करता है…।

“बाबा साहेब”
जय संविधान !
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“”हे ! “नारीमुक्ति” के दाता…
हे ! “संविधान” के   विधाता…
करती “नमन” मैं तुझको…
बार-बार मेरे होठों पे…
जय भीम ! है…आता…
जय भीम ! है…आता…
जय भीम ! है…आता…।।””

              “सोचो !!!”
(तुमनें क्या किया???)
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सोचो…!!!
ये जीवन तुम्हारा किस काम का…???
जो काम किसी के न आ सका…।।

जो गिरते को…न उठा सका…
जो शोषित को…न बचा सका…
जो नाउम्मीद…आँखों में…
उम्मीद…न जगा सका…।।

ये जीवन तुम्हारा किस काम का…???
जो काम किसी के न आ सका…।।

जो दुःखी-उदास चेहरे पे…
तबस्सुम…न खिला सका…
जो “मानवजाति” को…मानवता का…
“हक़-अधिकार” न दिला सका…।।

ये जीवन तुम्हारा किस काम का…???
जो काम किसी के न आ सका…।।

जो ऐशो-आराम के आगे सबकुछ दाँव पे है लगा रखा…
जो “महापुरुषों” का मान न बचा सका…
जो “भारत” की शान न सजा सका…
जो “भारत” को पुनः “विश्वगुरु” का सम्मान न दिला सका…।।

ये जीवन तुम्हारा किस काम का…???
जो काम किसी के न आ सका…।।

जो “बाबा साहेब” के सपनों को…साकार न बना सका…
जो “संविधान” के “कर्तव्य-अधिकारों” को…
जीवन में न अपना सका…
सोचो !  तुमनें अब तक क्या किया…???
सोचो !!!

ये जीवन तुम्हारा किस काम का…???
जो काम किसी के न आ सका…।।

अंतःकरण टटोलो…ये जीवन तुम्हारा…
भला किस काम का ???  सोचो…!!!
भला किस काम का ???  सोचो…!!!
भला किस काम का ???  सोचो…!!!

हमनें प्रण किया है;…
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“”हमारा…हमारे “विशाल कुटुम्ब” से है वादा …
अन्याय के ख़िलाफ़ ; “न्याय के साथ”…
रहेगें हमेशा…थामें “हाथों में हाथ”…
छोड़ेगें नहीं…”आजीवन ये साथ”…।।””

इसी “प्रण” के साथ…

आ…अब…सभी मिलकर चलें…विश्वपटल की ओर…