सरकार ने नागा विद्रोही गुटों युद्धविराम समझौते को आगे बढ़ाया गया

(वरिष्ठ पत्रकार अरुण सिंह चंदेल की रिपोर्ट )

नयी दिल्ली, 20 अप्रैल 2022,नरेंद्र मोदी सरकार ,गृह मंत्री अमित शाह ने नागा विद्रोही गुटों युद्धविराम समझौते को आगे बढ़ाया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी. कि भारत सरकार और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड/एनके (एनएससीएन/एनके), नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड/रिफॉर्मेशन (एनएससीएन/आर) और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड/के-खान्गो (एनएससीएन/के-खान्गो) के बीच युद्धविराम समझौते जारी हैं।

इन युद्धविराम समझौतों को एक वर्ष की एक और अवधि के लिए आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया। एनएससीएन/एनके और एनएससीएन/आर के साथ यह युद्धविराम समझौता 28 अप्रैल, 2022 से लेकर 27 अप्रैल, 2023 तक और एनएससीएन/के-खान्गो के साथ यह युद्धविराम समझौता 18 अप्रैल, 2022 से लेकर 17 अप्रैल, 2023 तक प्रभावी रहेगा। इन समझौतों पर 19 अप्रैल, 2022 को हस्ताक्षर किए गए थे।

आइये आपको बताते चले ,तीन अगस्त का और वर्ष 2015, सबसे बड़े नगा विद्रोही संगठन, नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ़ नागालैंड यानी एनएससीएन (मुइवाह) और भारत सरकार के बीच शांति समझौता हुआ था,एक समय था जब एनएससीएन-आईएम के नागालैंड के अलग झंडे और संविधान की मांग पर जोर देने के कारण समझौता बीच में खतरे में पड़ गया था लेकिन सरकार ने इस मांग को पहले ही खारिज कर दिया था ,फिर एनएससीएन-आईएम ढीला पड़ गया। एक समय पवार एक्ट 1958 को लागू किया गया था , जो एक फौजी कानून है, जिसे “डिस्टर्ब” क्षेत्रों में लागू किया जाता है, यह कानून सुरक्षा बलों और सेना को कुछ विशेष अधिकार देता है. किसी आश्रय स्थल या ढांचे को तबाह किया जा सकता है जहां से हथियार बंद हमले का अंदेशा हो। फिर धीरे धीरे स्थिति में सुधर हुआ। नागा विद्रोही गुटों युद्धविराम समझौते होने लगे।

नागालैंड में एक कानून लगा “अफस्पा कानून “इसके तहत सेना पांच या इससे ज़्यादा लोगों को एक जगह इक्ट्ठा होने से रोक सकती है. इसके तहत सेना किसी के घर में बिना वारंट के घुसकर तलाशी ले सकती है. ये कानून सेना को बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने की ताकत देता है. गोली चलाने के लिए किसी के भी आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ता. गोलीबारी में अगर किसी की हत्या हो जाती है तो सैनिक पर हत्या का मुकदमा भी नहीं चलेगा. अगर राज्य सरकार या पुलिस प्रशासन, किसी सैनिक या सेना की टुकड़ी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करती है तो कोर्ट में उसके अभियोग के लिए केंद्र सरकार की इजाजत जरूरी होती है।

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