हौसले बुलंद हो

मीना मौर्य (मशाल)
———————

फूल जैसी जो तुम्हें महबूबा पसंद हो
कांटो से क्या डरना जब हौसले बुलंद हो l
मंजिल हो बहुत दूर आपसे तो क्या हुआ
आप थकोगे नहीं जब हवा मंद मंद हो l
जीत कर हार जाना आपने सीखा नहीं
दुश्मनों से कितना भी बड़ा प्रतिद्वंद् हो l
अपनी चाल यार जरा संभल कर चलिए
सामने वाला भी जब कोई अकलमंद हो l
आज कीमत जीत की समझ में तब आएगी
हारी बाजी जीतने में जब आनंद हो l
चांद सितारों के बीच बने महल आपका
सपने अच्छे लगते हैं जब नजर बंद हो l

Be the first to comment

Leave a Reply