UP के रायबरेली में 50 पैसे प्रति दिन का बनाया गया आय प्रमाण पत्र, बदहवास अधिकारी – शून्य सिस्टम ?

तो एक व्यक्ति की सालाना आय 180 रुपये, जी हां  -चौकिए मत क्योंकि यह मज़ाक नहीं बल्कि उत्तरप्रदेश के रायबरेली का सच है. जहां एक व्यक्ति की आय 50 पैसे बताई गई है. दरअसल, यह मामला रायबरेली की डलमऊ तहसील के हींगामउ गांव का है जहां एक आय प्रमाण पत्र जारी करने के लिए लेखपाल ने अपनी रिपोर्ट में सारे नियम कानूनों की धज्जियां उड़ा दी हैं. आय प्रमाण पत्र में लेखपाल ने आवेदन में आवेदक के आय का स्त्रोत मजदूरी माना है, जबकि आवेदक के नाम राजस्व अभिलेखों में जमीन भी दर्ज है.

आय प्रमाण पत्र बनाने में लेखपाल और तहसीलदार किस तरह से लापरवाही करते हैं यह इसका जीता जागता उदाहरण है. बेहाल है व्यस्था, बदहाल हैं अधिकारी और शून्य हो गया है सिस्टम. ऐसी लापरवाही में उन्होंने एक आदमी का आय प्रमाण पत्र बनाया जिसके आधार पर व्यक्ति की आय 50 पैसे प्रति मिनट बताई गई है.

इस प्रमाण पत्र के मुताबिक़ जागेलाल की मासिक आय पंद्रह रुपये है. इस हिसाब से उसकी प्रतिदिन की आय पचास पैसे है. रायबरेली जिले के जागेलाल की आय इतनी ही है. डलमऊ तहसील क्षेत्र के ग्राम हींगामऊ गांव में 6 बिस्वा जमीन होने और मनरेगा में मजदूरी करने के बाद भी सरकारी अभिलेखों में जागेलाल की मासिक आय महज 15 रुपये दिखा दी गई.

लेखपाल ही नहीं बड़े बड़े ज़िम्मेदारों ने भी उसी रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करके यह साबित कर दिया कि रायबरेली की तहसील में अगर कोई लेखपाल चाहे तो अधिकारी से उसका ही इस्तीफ़ा लिख कर हस्ताक्षर करवा सकता है, मगर साहब को उसको देखने की फुर्सत नहीं है. क्योंकि यदि साहब को उसको देखने की फुर्सत होती, तो आय प्रमाण पत्र 180 रुपए महीना यानी अठन्नी का प्रतिदिन ना बनाया जाता. अब पूरे मामले पर कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं.

सवालों के घेरे में नहीं बल्कि सवालों का केंद्र बन चुकी रिपोर्ट

सवाल बस इतना ही नहीं बल्कि आय प्रमाण पत्र की रिपोर्ट के बाद तहसीलदार महोदय ने हस्ताक्षर करके प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया. आय प्रमाण पत्र में हल्का लेखपाल ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जागे लाल की आय का स्रोत मजदूरी है जबकि जागे लाल के नाम राजस्व अभिलेखों में जमीन दर्ज है, जिससे की स्पष्ट होता है कि डलमऊ तहसील में आय प्रमाण पत्र सहित अन्य प्रमाण पत्र जारी करने में बिना किसी प्रकार की व्याख्या व किसी भी प्रकार की सही स्थलीय जांच के ही समस्त आख्या लगाई जाती है, और जिम्मेदार बिना देखे उस पर हस्ताक्षर कर के लेखपाल को पूरी मनमानी से कार्य करने की खुली छूट मिल जाती हैं.

निरस्त होगा प्रमाण पत्र

मामले पर तहसीलदार ज्ञानचन्द्र गुप्ता ने बताया की तकनीकी त्रुटि के कारण ऐसा हुआ है, उक्त आय प्रमाण पत्र को निरस्त कर सुधार करने के निरस्त करने के निर्देश दिए गए हैं. आय प्रमाण पत्र में 180 रूपये वार्षिक की रिपोर्ट लेखपाल के द्वारा रिपोर्ट लगाने के समय कम्प्यूटर हैंग हो जाने से लग गयी है. लेकिन अगर यदि 180 रुपये वार्षिक का आय प्रमाण पत्र जारी हुआ है, तो उसे तत्काल निरस्त कराया जाएगा. ऐसा किसकी लापरवाही से हुआ इसकी जांच भी कराई जाएगी. जांच में जो भी दोषी मिलेगा उस पर कार्रवाई होगी.

कार्रवाई जब होगी – तब होगी.  लेकिन इस कारनामें के बाद – अब यह तो तय हो चला है, कि तहसील का मतलब आखिर होता क्या है ? क्या हुआ जो दस्तख़त कर दिये. क्या हुआ जो 50 पैसे प्रतिदिन की आय बता दी. निरस्त कर दूसरा बना देंगे तहसीलदार साहब, अरे दस्तख़त करने से पहले पड़ते क्यों नहीं हो तहसीलदार साहब, यह आपकी बदहवासी का सुबूत है, यह आपके अंधेपन का सुबूत है, यह रायबरेली की अंधेर नगरी और चौपट राजा का जीवंत उदाहरण है

 

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