UP STF के 19 साल, मिले 156 आउट ऑफ टर्न और 91 गैलेंट्री अवार्ड

नब्बे के दशक में जब भारत में आर्थिक गतिविधियों ने तेज से रफ्तार पकड़ी तो इंडस्ट्री और बिजनेस के क्षेत्र में भी तेजी आई। इस दौरान कैश और बैकिंग एक्टिविटीज भी अपने चरम पर थीं। यह वह समय था जब मोबाइल क्रान्ति ने व्यापार की सीमा को भी विस्तार दिया, तो वहीं अपराध और अपराधियों के दायरे भी जिलों से होकर राज्यों में फैलने लगे। लूट, फिरौती और रंगदारी की रकम हजारों से लाखों और फिर करोड़ो तक पहुंच गई। किडनैपिंग और कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के मामलों ने पुलिस प्रशासन के सामने कड़ी चुनौती खड़ी कर दी थी। जिसका खात्मा करने के लिए तत्कालीन सरकार को यूपी में एसटीएफ का गठन करना पड़ा।

1998 में हुआ एसटीएफ का गठन

साल 1998 में यूपी एसटीएफ का गठन एक ऐसी फोर्स के तौर पर किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य संगठित अपराधों के खिलाफ संगठित तौर पर कार्रवाई करना था। एसटीएफ का गठन कर एक ऐसी रणनीति विकसित करना था जो पुलिस को अपराधियों से चार कदम आगे रखे।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि एसटीएफ के जरिए अंतर्राज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय माफियाओं, अपराधिक गैंगों के प्रति ऐसी समझ और दृष्टिकोण विकसित करना जो जिला और थाना पुलिस के दायरे में रहकर संभव न हो। इन बातों को ध्यान में रखते हुए इस टीम को थाना और जिले की सीमाओं से परे रखते हुए पूरे उत्तर प्रदेश में स्पेशल ऑपरेशन के लिए अधिकृत किया गया।

गठन के बाद से ही यूपी एसटीएफ ने न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे भारत में अपनी वर्किंग स्टाइल की वजह से अपराध जगत में खलबली मचा दी। इस दौरान एसटीएफ ने अपराधियों के जहन में ऐसी डर पैदा कर दिया कि वह एसटीएफ के नाम से ही खौफ खाने लगे थे। एसटीएफ की वर्किंग स्टाइल को देखते हुए प्रत्येक राज्य की पुलिस ने अपने स्तर पर स्पेशल पुलिस फोर्स का गठन किया जिनका नाम एसटीएफ की तर्ज पर रखा गया।

यूपी एसटीएफ का 19 सालों का सफर

1998 से 2017 तक के अपने 19 सालों के सफर में एसटीएफ की इमेज एक व्यावसायिक, कर्तव्यनिष्ठ, प्रतिबद्ध और साहसी संस्था के रूप में बनकर सामने आई। देश हित में काम करने वाली पुलिस की इस यूनिट को सभी का भरोसा मिला। यही वजह रही कि एसटीएफ ने अपने कर्मियों की मेहनत और लगन की वजह से सभी की अपेक्षाओं पर खरी उतरी। उत्तर प्रदेश प्रशासन और सीनियर अधिकारियों के द्वारा समय समय पर मिलने वाले प्रोत्साहन ने एसटीएफ यूनिट का मनोबल बढ़ाया।

एसटीएफ ने रचा इतिहास, मिले 156 आउट ऑफ टर्न और 91 गैलेंट्री अवार्ड

आपको बता दें कि एसटीएफ ने इस दौरान 156 आउट ऑफ टर्न और 91 गैलेंट्री अवार्ड अपने नाम कर इतिहास रच दिया। वहीं, 9 एसटीएफ के जवान अभियानों के दौरान अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए शहीद हो गए, जबकि कई जवान एसटीएफ द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन में घायल भी हुए। पिछले कुछ सालों में उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल इकाई के तौर पर काम कर रही एसटीएफ के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं।

 

यही नहीं, अपराधों ने भी अपने नये आयाम गढ़े। अब ऑन लाइन ठगी, साइबर क्राइम, भर्ती/परीक्षा संबंधी अपराध भविष्य में तेजी से बढ़ने वाले आर्थिक अपराधों की ओर इशारा करने लगे। ऐसे में संगठित अपराध और दुर्दांत अपराधियों पर कार्रवाई के लिए बनाई गई एसटीएफ यूनिट ने इसे चुनौती के तौर पर लिया, और कुछ ही समय में बड़ी सफलताएं हासिल कीं।

एसटीएफ ने राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल अपराधियों के खिलाफ की कार्रवाई

साल 2001 में जैस-ए-मोहम्मद के 3 खूंखार आतंकवादियों को लखनऊ में एक मुठभेड़ के दौरान मार गिराया।

साल 2005 में खूंखार आतंकवादी सलार मुठभेड़ में हुआ ढेर।

साल 2010 में 10 बड़ें नक्सलियों को उनके लीडर के साथ गिरफ्तार किया।

साल 2017  में आतंकी सैफुल्लाह को एसटीएफ ने मार गिराया। 

एसटीएफ का माफियाओं पर चला चाबुक

साल 1998 में आतंक और खौफ का पर्याय बन रहा माफिया श्री प्रकाश शुक्ला को गाजियाबाद में मुठभेड़ के दौरान मार गिराया गया। आपकों बता दें कि यह वही शख्स था जिसने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की हत्या की सुपारी ली थी। यही नहीं, 1998 में कोलकाता में मंजीत सिंह उर्फ मंगे सरदार को मुठभेड़ में ढेर किया गया।

एसटीएफ ने चलाया दस्यू उन्मूलन अभियान

साल 2006 में दुर्दान्त दस्यू रघुवीर धीमर को उसके तीन साथियों के साथ मुठभेड़ में मार गिराया।

साल 2007 में दुर्दान्त दस्यू ददुआ को मुठभेड़ के दौरान ढेर किया गया।

साल 2008 में दुर्दान्त दस्यू अम्बिका पटेल उर्फ ठोकिया को मुठभेड़ के दौरान मार गिराया।

साल 2008 में ही दुर्दान्त दस्यू उमर केवट को मुठभेड़ के दौरान ढेर किया गया।

किडनैपिंग के बड़े मामलों का किया खुलासा

2006 में लखनऊ क्रिकेट एसोसिएशन के चेयरमैन की किडनैपिंग मामले का खुलासा करते हुए एसटीएफ ने खलिक मुख्तार को पटना से बरामद किया और अपहरण करने वालों को जेल पहुंचाया।

साल 2015 में बिहार से किडनैप हुए डॉक्टर दंपत्ति के किडनैपर्स को लखनऊ से धर दबोचा।

एसटीएफ ने किया कई बड़े खुलासे

साल 2016 में एनआईए के डीवाईएसपी तंजील अहमद की हत्या का खुलासा करते हुए 2 लाख के इनामी अपराधी मुनीर अहमद को गिरफ्तार किया।

साल 2017 में नोएडा में पोन्जी स्कीम का पर्दाफाश।

साल 2017 में पेट्रोल पम्पो की मशीनों में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगाकर घटतौली करने वाले गिरोह का पदार्फाश।

प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली का किया खुलासा

राजस्तरीय और ऑनलाइन प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न पत्र लीक कर धांधली करने वाले गिरोहों का भंडाफोड़ किया।

वन्य जीव अपराध में शामिल अपराधियों पर कसा शिकंजा

साल 2006 में वाइल्ड लाइफ अपराध के माफिया सब्बीर कुरैशी को गिरफ्तार कर जेल पहुंचाया।

साल 2017 में कछुओं की कई बड़ी खेपों को बरामद किया, जिनकी तस्करी करने की फिराक में थे अपराधी।

साइबर क्राइम में लिप्त अपराधियों पर कसा शिकंजा

साइबर क्राइम के कई जटिल मामलों का खुलासा कर भारी संख्या में अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा।

जाली करेंसी की बड़ी खेप की बरामद

साल 2008 में डुमरियागंज से भारी मात्रा में भारत की नकली करेंसी बरामद की।

आपको बता दें कि साल 2017 एसटीएफ के लिए बेहद खास रहा। इस दौरान शुरुआती चार महीनों में ही एसटीएफ ने 100 से ज्यादा बेहतरीन काम कर एक नया बेंचमार्क स्थापित किया।

 

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